अजा एकादशी आज: अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल देती है अजा एकादशी

Uttarakhand

पंडित उदय शंकर भट्ट

भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। कहीं-कहीं इसे अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दो दिन बाद पड़ती है। ये व्रत आज 3 सितंबर को किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र रूप की पूजा और अराधना की जाती है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

एकादशी व्रत कैसे करें
इस दिन घर की साफ-सफाई करें। झाड़ू और पोंछा लगाने के बाद पूरे घर में गौमूत्र का छिड़काव करें। उसके बाद शरीर पर तिल और मिट्टी का लेप लगा कर कुशा से स्नान करें। नहाने के पानी में गंगाजल जरूर मिलाएं। नहाने के बाद भगवान विष्णु जी की पूजा करें। दिनभर नियम संयम के साथ रहते हुए रात में जागरण और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तिन की परंपरा है।

अजा एकादशी की पूजा विधि
घर में पूजा के स्थान पर या पूर्व दिशा में किसी साफ जगह पर गौमूत्र छिड़ककर वहां गेहूं रखें। फिर उस पर तांबे का लोटा यानी कलश रखें। लोटे को जल से भरें और उसपर अशोक के पत्ते या डंठल वाले पान रखें फिर उस पर नारियल रख दें। इस तरह कलश स्थापना करें। फिर कलश पर या उसके पास विष्णु भगवान की मूर्ति रखकर कलश और भगवान विष्णु की पूजा करें। और दीपक लगाएं। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें और अगले दिन तक कलश की स्थापना हटा लें। फिर उस कलश का पानी पूरे घर में छिड़क दें और बचा हुआ पानी तुलसी में डाल दें।

इस एकादशी का फल
अजा एकादशी पर जो कोई भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है। उसके पाप खत्म हो जाते हैं। व्रत और पूजा के प्रभाव से स्वर्गलोक की प्राप्‍ति होती है। इस व्रत में एकादशी की कथा सुनने भर से ही अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को करने से ही राजा हरिशचंद्र को अपना राज्य वापस मिल गया था और मृत पुत्र फिर से जीवित हो गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *