एक और इंकलाब:अतीत के आईने में सच की परछाइयां

प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’

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मुम्बईया सिने जगत पर वामपन्थ का प्रभाव शुरू से ही था। कोई ऐतिसहासिक मूवी भी बनायेंगे तो स्टोरी में हेर फेर कर के भारतीय राजा की हार और उसे कमतर ही दिखायेंगे।

साल 1941 में प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एक्टर सोहराब मोदी ने एक फ़िल्म का निर्माण किया, जिसमें खुद ही निर्देशक और लीड एक्टर भी थे। फ़िल्म का नाम था ‘सिकन्दर’…..

इस फ़िल्म में सोहराब मोदी पोरस की भूमिका में थे और पृथ्वीराज कपूर सिकन्दर की भूमिका में।

मूवी के अन्त में दिखाया जाता है कि ग्रीक लुटेरा सिकन्दर (लुटेरा ही कहेंगे, उसने शासन तो कभी किया ही नही। बाप फ़िलिप की हत्या कर मकदुनिया का राजा बना और उसके बाद ग्रीस, इजिप्ट, फ़ारस वग़ैरह में नरसंहार और लूट मचाते हुए भारत भी लूटने पहुँचा था।) राजा पोरस को युद्ध में हरा के बन्दी बना लेता है और पोरस से पूछता है कि तुमसे क्या सलूक किया जाये। पोरस का किरदार जवाब देता है कि वही जो एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है।

उसका ऐसा जवाब सुनकर सिकन्दर उससे प्रभावित होता है। उसपे तरस खा के उसे उसका पौरव राज्य लौटा देता है और वही से वापस अपने देश मकदुनिया को निकल जाता है।

पोरस वाले इस डायलॉग को मीडिया में बहुत फूटेज दिया गया। आज भी इस डायलॉग को कालजयी बताया जाता रहा है।

फिर इसी मूवी का रिमेक 1965 में बना और नाम दिया गया ‘सिकन्दर ए आज़म’…

इस मूवी में पृथ्वी राज कपूर पोरस की भूमिका में थे और सिकन्दर की भूमिका में दारा सिंह थे।

इस मूवी में भी पोरस वाला डायलॉग वैसे ही रखा गया था। ये मूवी भी अपने जमाने की ब्लॉकबस्टर मूवी रही थी।

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अब बॉलीवुड से हॉलीवूड चलते हैं।

साल 2004 में Alexander मूवी आयी। इस मूवी का बस नाम सुना था और ध्यान इस लिये गया कि इसमें ऐक्ट्रेस ऐंजेलीना जोली की भी विशेष भूमिका है। वो सिकन्दर की साइको माँ की भूमिका में रहती है जो बचपन से ही सिकन्दर के दिमाग़ में ज़हर भरती रहती है । दो घंटा बीस मिनट के बाद महाराजा पोरस से युद्ध का सीन आता है।

महाराजा पोरस की गज सेना थी जिससे सिकन्दर की घुड़सवार सेना बहुत बुरी तरह से डरी हुई थी। युद्ध में सिकन्दर की सेना के कदम उखाड़ दिये थे पोरस कि गज सेना ने।

सिकन्दर और उसकी सेना ने जीवन में कभी हाथी देखा ही नही था तो उनके लिये बहुत विपरीत परिस्थिति थी।

अंत में सिकन्दर महाराजा पोरस से भिड़ गया। हाथी पर सवार महाराजा पोरस ने एक तीर सिकन्दर के घोड़े को मारा और एक तीर से सिकन्दर का सीना भेद दिया।

सिकन्दर अचेत हो के भूमि पे गिरा और मरणासन अवस्था में चला गया। अब उसके सिपाहसालारों ने किसी तरह सिकन्दर को पोरस से बचाया और किसी तरह सुरक्षित स्थान ले गए ताकि उसकी उचित चिकित्सा हो सके।

होश में आने के बाद से ही सिकन्दर का विश्वविजयी स्वप्न ध्वस्त हो गया और अपनी सेना को मकदुनिया वापसी हुक्म दिया। सेना भी खुश क्यूँकि उनकी हिम्मत नही थी भारत के प्रहरी महाराजा पोरस से युद्ध करने का।

ये सब दृश्य देख के मेरा माथा चकरा गया। ये हॉलीवुड वाले क्या दिखा रहे हैं? सिकन्दर महान की इतनी बेज्जती? पोरस से हार के भाग गया। जबकि बॉलीवुड वालों ने तो सिकन्दर की महानता में चार चाँद लगा दिये थे।

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अब मैंने गुगल करना चाहा कि आख़िर किसने ऐसी स्टोरी बनाई है हॉलीवुड के लिए? तो पता चला कि एक ब्रिटिश इतिहासकार ने पूरे तथ्यों के साथ सिकंदर पर एक बुक लिखा था Alexander The Great के नाम से। उसी बुक को आधार बना के इस हॉलीवुड मूवी की स्क्रिप्ट लिखी गयी।

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