हिमशिखर धर्म डेस्क
आज आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि है। इस तिथि के स्वामी भगवान नारायण हैं। इसलिए इस दिन विष्णुजी की पूजा करने का विधान पुराणों में बताया गया है। इस दिन तीर्थ स्नान या गंगाजल मिले पानी से नहाने पर जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। भगवान विष्णु की तिथि होने से इस दिन व्रत और पूजा करने से कई पुण्य फल मिलता है। नारद पुराण के अनुसार द्वादशी तिथि पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने और बारह नाम बोलते हुए सूर्य को प्रणाम करने से दोष खत्म होते हैं। बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है।
द्वादशी तिथि का महत्व
ग्रंथों में हर द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व बताया गया है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के 12 नामों से पूजा करनी चाहिए। साथ ही ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को अन्नदान करना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं और कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। पुराणों के मुताबिक इस तिथि के शुभ प्रभाव से सुख-समृद्धि बढ़ती है और मोक्ष मिलता है।
तीर्थ और दिव्य स्नान
आषाढ़ महीने की एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। हो सके तो नहाते वक्त पूर्व दिशा में मुंह रखना चाहिए। इस तिथि पर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे, तिल और आंवला डालकर नहाने का विधान है। इस तरह नहाने से तीर्थ और दिव्य स्नान का पुण्य फल मिलता है। नहाते वक्त ऊँ नमो नारायणाय बोलते हुए स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म होते हैं।
अभिषेक करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं
स्कन्द पुराण और महाभारत में बताया गया है कि हर महीने की द्वादशी तिथि पर शंख में गंगाजल से भगवान विष्णु या श्री कृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री और फिर तुलसी पत्र चढ़ाएं। पूजा में भगवान विष्णु को ऋतु फल (मौसमी फल) अर्पित करना चाहिए। इसके बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। फिर ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।
नारद पुराण में सूर्य पूजा का महत्व
नारद पुराण में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु के ही रूप द्वादश आदित्यों की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। इसके बाद उगते हुए सूरज को जल चढ़ाना चाहिए और द्वादश आदित्यों के नाम का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियां खत्म होने लगती है और उम्र भी बढ़ती है।