हिमशिखर धर्म डेस्क
न्याय के देवता शनि को भले ही क्रूर ग्रह माना जाता है, लेकिन ये सदैव अपने कर्तव्य पथ का पालन करते हुए उसी के अनुसार फल देते हैं। शनि देव के इसी कर्मफल के चलते जहां लोग इनसे डरते हैं, वहीं कई लोग इन्हें अत्यंत क्रूर मानते हैं। कारण ये है कि, ये कभी भी कर्म के फल में किसी चीज से प्रभावित नहीं होते। शनिदेव हमारे कर्मों के अनुसार अच्छा या बुरा फल प्रदान करते हैंहैं।
सामान्यत: -शनि के अपनी राशि में आते ही कई लोग ऐसे कर्म छोड़ देते हैं जो उनकी नजर में भी उचित नहीं होते, लेकिन शनि की दशा न होने पर वे उन्हीं कर्मों को कई बार अपने फायदे के लिए उपयोग में लाते हैं। ऐसे में शनि आपके उन्हीं कर्मों का दंड प्रदान करते हैं। जबकि यदि आप सदैव उचित जीवन जीते हैं, तो शनि अपनी साढ़े साती में तक आपको दंडित न करते हुए आपको कुछ शानदार अवसर तक प्रदान करते हैं।
दरअसल आज के दौर में जल्दबाजी के बीच शनि की चाल धीरे होने की वजह से लोग इनके द्वारा दिए जाने वाले आशीर्वाद को कम ही पहचानते हैं। दरअसल माना जाता है कि शनिदेव धीरे ही सही लेकिन आपके कार्य में मजबूती व स्थिरता प्रदान करते हैं।
वे यदि आप पर खुश हैं तो श्रेष्ठता प्रदान करने वाले भी माने जाते है। तभी सामान्यत: जब लोग जॉब ज्वाइन करने जाते हैं तो उन्हें इसे शनिवार के दिन ज्वाइन करने की ज्योतिष सलाह देते हैं, क्योंकि यहां शनि एक ओर जहां आपको मजबूती प्रदान करते हैं, वहीं स्थिरता भी देते हैं।
शनिदेव का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं, जबकि ऐसा नहीं है, यदि आप पर शनि की अच्छी दृष्टि है तो, जीवन में किसी भी काम में आपको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, तरक्की व कामयाबी हमेशा आपका रास्ता चूमेगी। हां, लेकिन यदि शनि की बुरी दृष्टि आप पर है, तो इसके कारण आपको परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वहीं कुछ लोग शनि की महादशा, शनि की ढैय्या, शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित होते हैं। जबकि सामान्य धारणा ये है कि यदि शनि शुरुआती 2.5 सालों में कुछ बुरा करता है, तो अंत के 2.5 सालों में वह अच्छा भी करता है। वहीं कुछ लोगों के साथ पहले ढइया में कुछ लोगों को आराम देने के बाद शनि आखिर के ढाई साल में परेशानी देते हैं।
ऐसे समझें शनि की साढ़ेसाती…
शनि आने पर शुरुआती ढाई साल में सिर पर रहते हैं, इसके बाद के ढ़ाई साल में वे पेट पर व आखिरी ढाई सालों में वे पैरों पर अपना खास असर दिखाते हैं।
साढ़ेसाती का मतलब है कि, एक जातक की कुंडली में साढ़े सात साल तक शनि का प्रभाव रहना, और यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ऐसा होता है। तो शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचने के लिए आप कुछ आसान उपाय कर सकते हैं, ताकि शनि की बुरी दृष्टि से आपको बचे रहने में मदद मिल सके।
शनि की साढ़ेसाती से बचाव –
1. मंगलवार का उपाय…
माना जाता है कि, शनि कभी भी हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करता, वहीं सप्ताह के दिनों में मंगलवार के कारक देव श्री हनुमान माने जाते हैं। ऐसे में मंगलवार का व्रत करने से, मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाने से, मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ करने से, हनुमान मंदिर में मंगलवार के दिन दिया जलाने से, शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचने में मदद मिलती है। मंगलवार के साथ शनिवार को भी सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना फायदेमंद माना जाता है।
2. गुरुवार को यह करें !
गुरुवार के दिन चने की दाल और गुड़ या फिर ताजे आटे के पेड़े पर हल्दी लगाकर गाय को खिलाने से भी शनि दोष को शांत करने में मदद मिलती है।
शनिवार के दिन करें यह उपाय:–
शनिवार के दिन एक बर्तन में पानी लेकर उसमें जल डालें और उसके बाद उसमें थोड़ी चीनी और काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें उसके बाद पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाएं, ऐसा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
इसके अलावा शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर खाएं, ऐसा करने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है और शनि दोष से राहत पाने में मदद मिलती है। शनिवार के दिन पीपल पर दिया जलाने से भी शनि दोष को कम करने में मदद मिलती है।
वहीं शनिवार के दिन तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनि मंत्रों का जाप…
शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी व शनि के मंत्रों का उच्चारण करें, ऐसा करने से भी शनि की साढ़ेसाती के बुरे प्रभाव से बचे रहने में मदद मिलती है।
शिव की पूजा…
जानकारों का कहना है कि, भगवान शिव की पूजा करने से भी शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को खत्म करने में मदद मिलती है। यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती है तो, इसके लिए आप शनिवार के दिन शिव चालीसा का पाठ करें, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, मान्यता के अनुसार ऐसा करने से शनि दोष शीघ्र ही दूर हो जाता है।
ये करें दान…
शनिवार के दिन काला कपडा, काले तिल, काली दाल, लोहे के सामान, कम्बल आदि का दान करें। ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
शनि मंदिर जाएं
शनिवार को शनि मंदिर जरूर जाएं और सरसों के तेल और काले तिल से शनि देव की पूजा करें, साथ ही सिंदूरी हनुमान जी की भी पूजा करें, माना जाता है कि, ऐसा करने से भी शनि की साढ़ेसाती के कारण होने होने वाले बुरे प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
बुरे कर्म न करें
किसी के बारे में बुरा न बोलें, बुरा न सोचें, किसी का बुरा न करें, ऐसा कोई काम न करें जिससे किसी का बुरा हो, सबके लिए अच्छा करें, जरूरतमंद की मदद करें। ऐसा करने से भी शनि की अच्छी दृष्टि आप पर बनी रहती है और शनि की बुरी दृष्टि से आपको बचे रहने में मदद मिलती है।
विभिन्न राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव कब से कब तक !
क्या होती है शनि की साढ़ेसाती !
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती लगभग साढ़े सात साल तक रहती है. इस दौरान जिन राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव होता उन्हें कई तरह के कष्ट और परेशानियां होती है. किसी भी राशि पर शनि की साढ़ेसाती तीन चरणों में चलती है और इसका अलग-अलग प्रभाव होता है !
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती के पहले चरण में आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, दूसरे चरण में शनि पारिवारिक जीवन में प्रभाव डालते हैं और तीसरे चरण में सेहत संबंधी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण काफी कष्टकारक माना जाता है !
इस चरण में सभी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.ज्योतिष गणना के अनुसार शनि साढ़ेसाती तब लगती है, जब जन्म राशि से 12वें,पहले और दूसरे भाव में शनि संचरण करते हैं, वहीं जब शनि का गोचर राशि से चौथे और आठवें भाव में होता है तो शनि की ढैय्या लगती है.