सावधान! कहीं आप अनजाने में हनुमान जी को रुष्ट तो नहीं कर रहे!

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या मंगलवार को छोड़कर अन्य दिनों में मांस का सेवन किया जा सकता है? क्या मांसाहारी की भक्ति स्वीकार होती है?

Uttarakhand

हिमशिखर धर्म डेस्क

हनुमान जी बल, बुद्धि और विद्या के देवता हैं और अष्ट सिद्धि और नवनिधि के भी दाता हैं। साथ ही हनुमान जी के पास शक्तियों का इतना भंडार है कि जिसकी व्याख्या भी नहीं की जा सकती है। हनुमान जी के नाम मात्र से बहुत सारे कष्ट हर जाते हैं। उनके नाम में ही इतनी शक्ति छुपी हुई है कि जो लोग सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा करते हैं, जब उनका नाम लेते हैं तो उनके शरीर में ऐसी तरंगें उत्पन्न होती है कि उनके कष्ट हर जाते हैं।

उदाहरण के लिए जब भी हम ज्योतिष की भी बात करते हैं, तो जब भी किसी व्यक्ति को बहुत अधिक कष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं जब शनिदेव तक रुष्ट हो जाते हैं, तब ऐसे जातक को हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। जब कई व्यक्ति विशेष हनुमान जी की पूजा करते हैं तो उनको रिजल्ट क्यों नहीं मिल पाते। हनुमान जी प्रकृति के साथ जुड़े हुए देवता हैं। जब आप हनुमान जी को समझ लेंगे तो जीवन का आधार और प्रकृति का आधार सब कुछ आपको समझ आ जाएगा। क्योंकि हनुमान जी चिरंजीवी भी हैं। आप जानते हैं कि हनुमान जी ने न जाने कितने असुरों का संहार किया। लेकिन उन्होंने उन असुरों को सुधरने के मौके भी दिए। ऐसा भी देखने में आया कि कई असुर सुधरे भी और बाद में हनुमान जी के भक्त बन गए। सोचिए कि हनुमान जी हर एक भक्त को सुधरने का मौका तो देते हैं। इतने शक्तिशाली होने के बावजूद हनुमान जी के पैरों तले एक चीटीं को भी कष्ट नहीं हुआ। अब सोचिए कि दूसरी तरफ जब कई मांस का सेवन करते हैं। यह कहते हैं कि हम हनुमान जी की पूजा करते हैं और हनुमान जी के भक्त हैं, तब हमारी संवेदनशीलता कहां चले जाती है। एक तरफ हम ऐसी स्ट्रांग शक्ति की पूजा करते है, जो प्रकृति के साथ इतनी ज्यादा जुड़ी हुई कि वो प्रकृति का ख्याल रखना चाहती है, वो हर एक जीव के रक्षक हैं ओर वो गलती से भी किसी चींटी तक को कष्ट नहीं देना चाहते।  हनुमान जी के कारण किसी चीटीं तक को कष्ट हुआ ही नहीं

जरा सोचिए कि हम इतने असंवेनदशील कैसे हो जाते हैं कि हम अपनी जिव्हा के स्वाद के लिए जिन जीवों को कोई दोष भी नहीं है, हम जीव हत्या करते हैं और हम उन जीतों को खाते हैं, जिसे नॉनवेज कहा जाता है। बल्कि संसार में प्रकृति ने मानव के लिए बहुत सारे खाद्य पदार्थ बनाए हुए हैं। सच्चाई यह है कि यह नानवेज आइटम इंसान के लिए बने ही नहीं हैं। हनुमान जी इस चीज के खिलाफ है, क्योंकि वे प्रकृति के साथ जुडे हुए हैं। मांसाहार सेवन करने वाले लोगों को इन जीवों के कष्टों को कभी न कभी तो भोगना ही पड़ेगा।

बहुत सारे लोग बोलेंगे कि इस ज्ञान से हम नहीं सुधरेंगे। तो इसको वैज्ञानिक तरीके से समझेंगे। मांसाहारी जानवरों के शरीरों में भोजन नली की लंबाई सामान्य रूप से उनकी खुद की लंबाई से बन तीन गुनी ज्यादा होती है। जबकि शाकाहारी प्राणियों में भोजन की नपली की लंबाई उनके शरीर की लंबाई से 5 से 6 गुनी ज्यादा बडी होती है। मनुष्यों में यह 24 से 28 फीट लंबी होती है, जो मनुष्य की सामान्य ऊंचाई से लगभग 5 से 6 गुना ज्यादा है। अगर इस तरह की भोजन नली में आप मांस भेजते हैं तो इसमें से बहुत धीरे-धीरे निकलेगा। कच्चा माँस 70 – 72 घंटों में बाहर आयेगा। पका हुआ माँस 50 – 52 घंटे लेगा। पकी हुई सब्जियों के खाने को बाहर आने में 24 – 30 घंटे लगते हैं जब कि कच्ची सब्जियाँ 12 -15 घंटे लेती हैं। फलों के आहार को सिर्फ डेढ़ से तीन घंटे ही लगते हैं। तो हम ये जानने लगे कि किस तरह का भोजन शरीर में से जल्दी निकल जाता है और कम से कम कचरा छोड़ता है।

जो लोग कहते हैं कि हम हनुमान जी के भक्त हैं और उनकी पूजा पाठ भी करते हैं। अब आप सोचिए कि मांसाहार का सेवन करने वाले जातक को कैसे पूजा-पाठ का फायदा मिल सकेगा। हनुमान जी रक्षक हैं और मांस का सेवन करने वाले लोगों को हनुमान जी की पूजा से फायदा मिल ही नहीं सकता। हनुमान जी के लिए कुछ भी असंभव नहीं। असंभव शब्द हनुमान जी की डिक्शनरी में है ही नहीं। हनुमान जी की पूजा करने का लाभ तभी मिल सकेगा, जब आप उनकी जीवन शैली को अपने जीवन में उतारें। हनुमान जी को मानने वाले लोगों को पहले प्रकृति को समझना पड़ेगा। पौधों का रोपण कीजिए और जीवों को कष्ट देना बंद कीजिए।

महापुरुष और ज्ञानी जन हमेशा से कहते रहे हैं कि अच्छे कर्मों को करने और बुरे कर्मों का परित्याग करने में ही हमारी भलाई है। अपने कर्मों के प्रति यदि आप आज से ही सजग और सतर्क हो जाते हैं, तो यह सब आप भी पा सकते हैं। सारा खेल कर्मों का है। हम कर्म अच्छा करते नहीं और फल बहुत अच्छा चाहते हैं। यह भला कैसे संभव होगा?

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