बहुगुणा की विरासत को आगे बढ़ाना होगा: चन्द्र सिंह

  • बहुगुणा की जयंती पर दो पुस्तकों का विमोचन

देहरादून। प्रख्यात पर्यावरणविद स्व.सुंदरलाल बहुगुणा की 97 वीं जयंती पर उनकी संघर्षपूर्ण आंदोलनकारी जीवनयात्रा को याद किया गया। वक्ताओं ने न केवल उनकी चर्चित किताबों का पुनर्पाठ किया, बल्कि उनके तमाम अतीत के किस्सों को आपस में साझा भी किया। कार्यक्रम में बहुगुणा जी की दो किताबों का भी विमोचन किया गया।

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शास्त्री नगर में आयोजित कार्यक्रम में एसआरएचयू यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. प्रो राजेंद्र डोभाल ने कहा कि वो बतौर वैज्ञानिक जिस किसी भी देश में गए। वहां के लोगों को जब बताया कि मैं सुंदर लाल बहुगुणा की जमीन से आया हूं। तो सभी समझ जाते थे कि मैं हिमालय से आया हूं। ऐसे मैं हमारा सम्मान और बढ़ जाता था।

पूर्व आईएएस चन्द्र सिंह ने कहा कि हमें बहुगुणा जी विरासत को आगे बढ़ाने का काम अनिवार्य रूप से करना होगा। साहित्यकार अतुल शर्मा ने जनगीत नदी तू बहते रहना गाकर पर्यावरण की अहमियत बताई। कार्यक्रम में सुंदर लाल बहुगुणा की दो किताब ‘कश्मीर से कोहिमा तक’ और ‘उत्तराखंड में 120 दिन’ का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर पर्यावरणविद और सुंदरलाल बहुगुणा की धर्मपत्नी विमला बहुगुणा, पुत्र व वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप बहुगुणा, राजीव नयन बहुगुणा, मधु पाठक, डॉ.बीसी पाठक, राज्यमंत्री विनोद उनियाल, आईएएस ललित मोहन रयाल, डॉ.बीपी नौटियाल, हर्ष डोभाल, एसएमए काज़मी, शिशिर प्रशांत, शशि रतूड़ी, कैलाश उनियाल, विनोद बहुगुणा, सुबोध बहुगुणा, शमा काज़मी, कुसुम रावत, जयदीप सकलानी, समीर रतूड़ी, राहुल कोटियाल आदि मौजूद रहे।

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