मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस साल गंगा दशहरा का पर्व कल 30 मई को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिमशिखर धर्म डेस्क
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पोषक मां गंगा का अवतरण दिवस ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दशमी के दिन गंगाजी का स्वर्ग से धरती पर आगमन हुआ था। ऐसे में इस दिन पतितपावनी मां गंगा के आगमन को सनातन समाज में गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
वाल्मीकि रामायण, स्कंद पुराण सहित कई ग्रंथों में गंगा अवतरण की कथा आती है। जिनके अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन महाराज भगीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से गंगा जी पृथ्वी पर आई थी। ऐसे में इस साल गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा। पापमोचनी गंगाजी का स्नान व पूजन सनातन धर्म में विशेष पुण्यदायक माना गया है।
गंगा दशहरा पर भगवान शिव की जटाओं से भगवति गंगा राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। गंगा युगों-युगों से प्राणी मात्र को जीवनदान के साथ ही मुक्ति देती आ रही है। गंगा शताब्दियों से हमारे पुरखों की राख और हड्डियों को संभाले हुए है। गंगा का स्पर्श अनजाने में अपने पूर्वजों का स्पर्श भी है। गंगा दशहरा स्नान एवं दान के साथ ही तन-मन को शुद्ध करने का पर्व है।
पौराणिक कथाओं के अनुसर, गंगा नदी ब्रह्मा के कमण्डल में विराजती हैं, भगवान विष्णु के पैरों से होकर निकलती हैं तथा भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर अवतरित हुई। गंगा जी के इसी अवतरण दिवस को गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है।
पापों से मिलता है छुटकारा…
इस दिन गंगाजी में स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप, उपासना और उपवास किया जाता है। मान्यता के अनुसार इससे दस प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। इसमें 3 कायिक पाप होते हैं, 4 वाचिक और 3 मानसिक पाप होते हैं। ऐसे में इस दिन लाखों लोग दूर-दूर से आकर गंगाजी की पवित्र जलधारा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। जिसके चलते इस दिन गंगाजी के तटों और घाटों पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं।