आज का पंचांग:संतोषी बनो, अकर्मण्य नहीं

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है।

आज का विचार

जिंदगी को आसान नहीं, खुद को मजबूत बनाना पड़ता है सही समय कभी नहीं आता, बस समय को सही बनाना पड़ता है।

संतोषी बनो, अकर्मण्य नहीं

संतोषी अवश्य बनो लेकिन अकर्मण्य कभी मत बनो। अकर्मण्यता का नाम संतोष नहीं अपितु निरंतर प्रयत्नशील बने रहकर परिणाम के प्रति अनासक्त बने रहना ही संतोष है। संतोष का अर्थ प्रयत्न ना करना नहीं है अपितु प्रयत्न करने के बाद जो भी मिल जाए उसमें प्रसन्न रहना ही संतोष है। संतोष की आड़ में अकर्मण्यता को छुपाना भी जीवन के प्रगति पथ में बाधक है।

प्रयत्न करने में, उद्यम करने में, पुरुषार्थ करने में असंतोषी रहो व प्रयास की अंतिम सीमाओं तक जाओ। एक क्षण के लिए भी लक्ष्य को मत भूलो। कर्म करते समय सब कुछ मुझ पर ही निर्भर है, इस भाव से कर्म करो और कर्म करने के बाद सब कुछ प्रभु पर ही निर्भर है, इस भाव से शरणागत हो जाओ। परिणाम में जो प्राप्त हो उसे प्रेम से स्वीकार कर लो यही जीवन की परम शांति एवं आनंद का मार्ग है।

आज का पंचांग

शुक्रवार, नवम्बर 15, 2024
सूर्योदय: 06:44 ए एम
सूर्यास्त: 05:27 पी एम
तिथि: पूर्णिमा – 02:58 ए एम, नवम्बर 16 तक
नक्षत्र: भरणी – 09:55 पी एम तक
योग: व्यतीपात – 07:30 ए एम तक
क्षय योग: वरीयान् – 03:33 ए एम, नवम्बर 16 तक
करण: विष्टि – 04:37 पी एम तक
द्वितीय करण: बव – 02:58 ए एम, नवम्बर 16 तक
पक्ष: शुक्ल पक्ष
वार: शुक्रवार
अमान्त महीना: कार्तिक
पूर्णिमान्त महीना: कार्तिक
चन्द्र राशि: मेष – 03:17 ए एम, नवम्बर 16 तक
सूर्य राशि: तुला

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