30 अगस्त को पूरे दिन रहेगी भद्रा, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, दूर करें कंफ्यूजन

हिंदू पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लगने साथ ही भद्रा लग जाएगी जो रात को 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगी।


पंडित हर्षमणि बहुगुणा
जल्द ही रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार कब है और किस दिन मनाएं इसको लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। रक्षाबंधन पर बहनें भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं ऐसे में बहनों के मन में राखी को लेकर मन में दुविधा बनी हुई कि इस साल 30 या 31 अगस्त कब रक्षाबंधन मनाएं। दरअसल 30 अगस्त को सावन पूर्णिमा तिथि है और इसी के साथ भद्रा का साया भी साथ में रहेगा जिसके चलते राखी का त्योहार 31 अगस्त को मनाना शास्त्र सम्मत है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है।

हमारे पर्व कुछ विचारकों के कारण भ्रम में पड़ कर चर्चित हो जाते हैं, इसमें विशेष रूप से भ्रम से बचने की आवश्यकता है। वैसे जिसे जब जो सहुलियत हो तब रक्षाबंधन के पर्व को मनाना चाहिए, फिर भी शास्त्र में क्या लिखा है हम उसका अर्थ क्या लेते हैं परन्तु वास्तविकता से रूबरू होना चाहिए । यह स्थिति गत वर्ष भी रही। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म पर्व को लेकर संशय (भ्रम) की स्थिति बनी हुई है। हिंदू पर्वो में एकरूपता लाने के लिए हम सभी को एकजुट होकर मध्यमार्ग अपनाते हुए, अपने धर्म शास्त्रों का अध्ययन करते हुए सही निर्णय लेना चाहिए। 31 अगस्त को सूर्योदय से प्रातः 7:07 तक रक्षाबंधन का विशेष मुहूर्त है और पर्व दिनभर सम्पन्न किया जा सकता है।

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श्रावणी उपाकर्म पर्व पूर्णिमा तिथि श्रवण नक्षत्र में मनाने का विधान है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त 2023 प्रातः 11:00 बजे प्रारंभ हो रही है जो कि 31 अगस्त 2023 को प्रातः 7:07 तक रहेगी। 30 अगस्त 2023 को प्रातः 10:59 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है उसके उपरांत पूर्णिमा तिथि लग रही है पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही भद्रा प्रारंभ हो रही हैं जो कि रात्रि 9:02 तक रहेगी। रात्रि काल में यज्ञोपवीत धारण, रक्षाबंधन निषेध है इस कारण रक्षाबंधन, उपाकर्म पर्व 31 अगस्त 2023 पूर्णिमा उदय व्यापिनी तिथि में मनाना शास्त्र सम्मत होगा। 31 अगस्त को प्रातः 7:07 तक नूतन यज्ञोपवीत धारण करना श्रेयस्कर है तदुपरांत रक्षाबंधन पर्व दिनभर सम्पन्न किया जा सकता है।

संशय (भ्रम) की स्थिति उत्पन्न होने पर हमारे धार्मिक ग्रंथों में ऋषियों, मनीषियों, धर्माचार्यों द्वारा समाधान सुझाए गए हैं।
1– एक, मुहूर्त परिमीतम् औदायिकी, श्रावणी पूर्णिमा, तिथि यजुषाम् उपाकर्माय ग्राह्या।– (मनु स्मृति)

2–सवा दो घटिका परिमितम् औद्दायिकी पूर्णिमा तिथि अनुसार उपाकर्माय ग्राह्या । (निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु) (और इस बार 31अगस्त को श्रावण शुक्ल पूर्णिमा तीन घटिका पांच पल औदायिकी स्थिति को प्राप्त हो रही है। औदायिकी पूर्णिमा तिथि एक मुहूर्त 55 मिनट तथा सवा दो घटिका से अधिक समय को प्राप्त हो रही है। अत: उक्त निर्णयों के आधार पर यजुषाम् श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबन्धन का पर्व 31 अगस्त 2023 गुरुवार को मनाना शास्त्र सम्मत रहेगा)

3 –भद्रायां द्वे न कर्तव्यो श्रावणी फाल्गुनी तथा।
श्रावणी नृपति हन्ती ग्रामम् दहती फाल्गुनी।। (निर्णय सिंधु)
भद्रा में दो कार्य पूर्ण रूप से निषेध माने गए हैं श्रावणी (रक्षाबंधन) और फाल्गुनी (होलिका दहन) भद्रा में श्रावणी पर्व मनाने से राजा का नाश होता है तथा फाल्गुनी सारे ग्राम का दहन करती हैं।

4–मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क,कुंभ वो मीन राशि में हो तो भद्रा का वास मृत्युलोक अर्थात् पृथ्वी में होता है।-कुंभकर्क मीने चन्द्रे मृत्ये। ( मुहूर्त चिंतामणि)
भूलोक में जब भद्रा का वास हो उसे शुभकार्यो में त्यागने का शास्त्रों में निर्देश है।

5–स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी।
अर्थात – जब भी पृथ्वी लोक में वास करेगी तब वो विनाशकारी होगी ।

6–व्रतोपवासस्नानादौ घटिकैकापि या भवैत।
उदये सा तिथिग्राह्या विपरिता तु पैतृके।। (निर्णय सिंधु)
उदिते देवतं भानौ पित्रये चास्तमिते रवौ ।
द्विमुहुर्ता त्रिरहवश्च सा तिथि हव्य कव्ययो: ।।
अर्थात सूर्योदय से दो मुहूर्त पर्यन्त जो तिथि हो वो देवकार्य हेतु श्रेष्ठ मानी गई है।

इन तथ्यों के आधार पर 31 अगस्त 2023 दिन गुरुवार को श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबंधन पर्व मनाना शास्त्र सम्मत है। अतः निसंकोच स्वच्छंद मन से भाई बहन के प्रेम कै प्रतीक पर्व रक्षाबंधन मनाएं।

रक्षा बंधन रात को नहीं दिन को मनाना चाहिए। हां यदि दूसरे दिन पूर्णिमा न होती तो भद्रापुच्छ में समय निकाला जा सकता था। केवल रक्षा बंधन ही नहीं उस दिन संस्कृत दिवस भी है। शेष तर्क वितर्क में नहीं पड़ना चाहिए, इससे हमारे धर्म के प्रति हमारी आस्था कम होती है। हम सुझाव ही दे सकते हैं, अमल में लाना न लाना आपके अधिकार क्षेत्र में है। यह भी सत्य है कि जब भी हमारा अहंकार जागृत होता है तब कुछ न कुछ अनहोनी होती है।

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