हिमशिखर धर्म डेस्क
भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट छह माह के शीतकाल के बाद आज मंगलवार तड़के खोल दिए गए हैं। पूरे विधि-विधान के साथ मंगलवार सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर मंदिर के कपाट खोले गए। कोरोना महामारी के चलते दूसरी बार ऐसा होगा कि जब कपाट खुलते वक्त धाम में श्रद्धालु मौजूद नहीं थे। इस दौरान मास्क के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कया गया। इससे पूर्व पूरे मंदिर परिसर को सैनिटाइज किया गया।
वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ द्वार पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रातः 4 बजकर 15 मिनट पर रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने धाम के कपाट खोल दिए। सुबह सबसे पहले कपाट खुलते ही भगवान बद्री विशाल की मूर्ति से घृत कंबल को हटाया गया। कपाट बंद होते समय मूर्ति पर घी का लेप और माणा गांव की कुंवारी कन्याओं के द्वारा बनाई गई कंबल से भगवान को ढका जाता है और कपाट खुलने पर हटाया जाता है। इसके बाद मंदिर के कपाट खुलते ही गर्भ गृह से माता लक्ष्मी को लक्ष्मी मंदिर में स्थापित किया गया और कुबेर जी व उद्धव जी की चल विग्रह मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित किया गया। भगवान का तेल कलश भी भगवान के गर्भ गृह में स्थापित कर दिया गया है। इसी तेल कलश में भरे हुए तिल के तेल से छह माह यात्रा काल के दौरान भगवान का अभिषेक होगा। इसी के साथ भगवान बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हो गए।
कपाट खुलने के साथ ही बद्रीनाथ के अन्य सभी पूजा विग्रहों व मंदिरों में भगवान की पूजा प्रारंभ कर दी गई है। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, एसडीएम जोशीमठ कुमकुम जोशी, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, वेदपाठी गण,टेहरी नरेश के राजगुरू नौटियाल समेत बहुत ही सीमित संख्या में मंदिर से जुड़े हुए हक हकूक धारी मेहता थोक, भंडारी थोक,कामदी थोक व पुजारी गण मौजूद थे। कपाट खुलने की परंपरा पारंपरिक रीति रिवाज व पौराणिक मान्यताओं के साथ पूरी तरीके से कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए संपन्न हुई।