भाई कमलानंद
पूर्व सचिव, भारत सरकार
मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि आगामी 8 तारिख को दिल्ली में पूर्व मंत्री माननीय शर्मा जी और जीसीसीआई के अध्यक्ष डा. बल्लभ भाई कथीरिया जी ने बैठक आयोजित की है। मैं कई दिनों से बार-बार कह रहा था कि अपने कार्य को विकेंद्रिकरण करना चाहिए और जिला स्तर पर कैसे गाय के माध्यम से रोजगार बढ़ने के साथ ही पर्यावरण पूरक विकास हो सके। जिसमें स्वास्थ्य के साथ-साथ समृद्धि भी हो। बहरहाल, मीटिंग के आयोजनकर्ताओं को मेरी ओर से हार्दिक शुभमकामनाएं।
मैं कहना चाहूंगा कि पंचगव्य विद्यापीठम के साथ मिलकर पहला यह कि पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से प्रत्येक जनपद में किस तरह से स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ा सकते हैं। दूसरा यह कि वहां पर स्थानीय अनाज का रकबा और गुणवत्ता को कैसे बढ़ाया जाए। तीसरा यह है कि यदि किसी क्षेत्र में निवेश बढ़ता है तो रोजगार भी बढ़ता है।
मेरा मत है कि देश के 6000 विकासखण्ड में 1 करोड़ लोगों को गाय, नर्सरी, पंचगव्य उत्पाद, स्थानीय संसाधनों से रोजगार संभव है। चौथा यह है कि मैंने इंडियन नर्सरीमेन एसोसिएशन को पत्र भेजकर अपने मुझाव दिए हैं। इंडियन नर्सरीमेन ऐसोसिएशन (एनआईए) सरकार से बिना कोई अनुदान लिए लाखों लोगों को स्वरोजगार दे रहा है, जो कि सराहनीय प्रयास है। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और हरियाली वास्तव में उपयोगी है। ऐसे में संकट के दौर में स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने में सभी की भागीदारी बन जानी चाहिए। संभव हो तो, उनको भी इस बैठक में बुलाया जा सकता है।
अंत में पूर्व सांसद आरके सिन्हा जी की तरह अन्य जो लोग गाय, संस्कृति, पर्यावरण, अध्यात्म के प्रति प्रेम रखते हैं, उन सबको एकजुट कर राज्य स्तर पर कमेटियां बनाएं। और अपने क्षेत्र में कैसे रोजगार धंध बढ़ाने पर काम किया जाए।
शरद पवार जी ने पिछले दिनों गाय और गोमूत्र का मजाक उड़ाया था। शरद पवार जैसे लोगों को आड़े हाथों लेने की जरूरत है। उन्होंने समय-समय पर गौमाता का अपमान किया है।
मेरी पुनः हार्दिक शुभकामनाएं। और मुझे पूरा विश्वास है कि शर्मा जी के यहां होने वाली बैठक में कुछ एक्शन प्लान निकलेगा जो व्यावहारिक होगा और पूरे देश में असरकारी अभियान गाय, गांव, ग्रामोद्योग, गंगा, गौरी, गरीबी को उसमें जोड़ेगा।
शुभकामनाएं।