हिमशिखर खबर ब्यूरो
भाई कमलानंद (पूर्व केंद्रीय सचिव, भारत सरकार) : साउथ अफ्रीका की यात्रा में काफी कुछ चर्चाएं हुई। अभी दो दिन पूर्व अन्ना हजारे जी से उनके आवास पर मुलाकात हुई। अभी अमेरिका से निमंत्रण मिला है। बता दें कि, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनिया गुटेरेस ने दो दिन पूर्व एक वक्तव्य में कहा कि ग्लोबल वार्मिंग का युग समाप्त हो गया है और ग्लोबल बोइलिंग का युग आ गया है। गुटेरेस ने कहा, जलवायु परिवर्तन भयावह है और यह तो बस शुरूआत है। वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करना और जलवायु परिवर्तन की सबसे बुरी स्थित से बचना अभी भी संभव है। लेकिन उसके लिए कार्रवाई करनी होगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की इस टिप्पणी से मालूम चलता है कि मामला बहुत गंभीर है। ये अब ग्लोबल वार्मिंग नहीं ग्लोबल बोइलिंग है। दोनो शब्दों को समझिए। ये बोइल होना और वार्म होना दोनों अलग अलग है। इसका मतलब बोइलिंग में तो मामला गर्म हो जाता है। तो हरेक को अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी। ये ग्लोबल वार्मिंग और ग्लोबल बोइलिंग जो हो रहा है, इसमें सरकार, जनता, धर्म समुदाय का रोल और हमारी जीवन शैली का रोल है। देखिए कई चीजें हमारे हाथ से नहीं है। सरकार के हाथ में है। बात तो सही है। लेकिन अब देखना पड़ेगा कि अपने को कैसे मजबूत करे।
तो मेरा सबसे अनुरोध है कि हिंदू धर्म के साथ ही जैन धर्म का भी अध्ययन कीजिए। इसमें सात्विक जीवन शैली है, शाकाहार है, अहिंसा है, धर्मगुरुओं का रोल है। अपने को ग्लोबल के इस परिप्रेक्ष्य में व्यक्तिगत रूप से शुरुआत करनी पडेगी। अपने को कैसे स्वास्थ्य से, शास्त्र अध्ययन, समृद्धि से और आनंद से परिपूर्ण करे। ये शहर में नहीं हो सकता। इसके लिए गांव में जाना ही पडेगा। हमने अभी कई लोगों से अनुरोध किया है कि जो उत्तराखण्ड में जो गांव खाली हो गए हैं, उनको बद्री गाय के गांव बनाओ, को-ओपरेटिव से जुडो। एक दूसरे की नीयत को आप सदभाव से जोड़ो। ये सस्टेनेबल नहीं है और इसका एक ही उत्तर है कि अन्ना हजारे जी के साथ बात हुई कि लोग जागें और अपना भला, अपनी सोच अपनी गाय, अपना ग्रामोद्योग, अपना स्वरोजगार करें। जैसा 70 साल पहले होता था, उस समय पूरी दुनिया स्वावलंबी थी। हर चीज उनके यहां अपनी थी। फिर अब वापस तो नहीं जा सकते हैं, लेकिन उससे पाठ तो सीख सकते हैं। मॉडर्न के साथ ट्रेडिशन को जोड़ते हुए अपना भविष्य कैसे बनाएं।
यहाँ ब्यूरोक्रेसी इतनी हावी हो गई कि मंत्रियों की भी नहीं सुनी जा रही है। मंत्री असहाय महसूस करते हैं, लेकिन वे बोलते नहीं हैं। अपने को जलवायु संकट से बचाने के लिए काम करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के बाद जो अगला स्टेज आ गया है, यह सरकारों की देन हैं। जैव विविधता खत्म होती जा रही है और गायों का संरक्षण नहीं किया जा रहा है। ये अकेले सामान्य जनता से नहीं हो सकता है। इसलिए आइए मिलकर ग्लोबल वार्मिंग, ग्लोबल बोइलिंग पर चर्चा शुरू करें। हम इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं। करने वालों से सीखें। यह मैं बार अनुरोध कर रहा हूं, कि जागो। 77 साल की उम्र में अपने अनुभव और दिल के दर्द को बांटता हूं कि शायद कुछ लोग ध्यान से सुन लें, कि वे अपना जीवन समृद्ध कर लें।