भाई कमलानंद
पूर्व सचिव भारत सरकार
मैं इन दिनों गुजरात के भ्रमण में हूं। कल स्वतंत्रता दिवस सौराष्ट्र में राजकोट स्थित ढोलकिया स्कूल में शिक्षकों, छात्रों, डा वल्लभ भाई कथीरिया और वैज्ञानिकों के साथ मनाने का मौका मिला। इस दौरान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के कार्यों को भी याद किया। आजादी में उनका काफी अहम योगदान रहा है।
आज मैंने सोचा कि दमदारों की क्या जिम्मेदारियां हैं। जो व्यक्ति समझदार हैं, भविष्य के खतरों को भांप रहे है। क्या आने वाली चुनौतियों के लिए वो लोग चुपचाप बैठे रहें। निराशा में बैठे रहें या उनसे जो संभव हो उसके अनुसार कार्य करते रहें। पूर्व मंत्री भारत सरकार डा वल्लभ भाई कथीरिया के साथ अच्छी चर्चा रही। सरदार पटेल के जन्म स्थान के आस-पास पर कई बडे-बडे मकान खाली पडे हुए है। उन भवनों के स्वामी विदेशों में रह है। मैंने सुझाव दिया कि क्यो न यहां पर सरदार वल्लभ भाई विद्यापीठ ऑफ लीडरशिप की स्थापना की जाए। जिसमे दुनिया भर के राजनैतिक लोगों के साथ, सामाजिक, आर्थिक, बैंकिग, ट्रस्ट के लोग लीडरशिप ले सकेंगे। वर्तमान में हम लीडरशिप का ढांचा देख रहे हैं।
अमेरिका में चुनाव पर कितना बड़ा खर्चा होता है। इसका भार तो सामान्य जनता पर ही पडता है। ऐसी दशा में एक नई नेतृत्वशाला, नई सोच, नई विकल्प, नए लीडरशिप का विकल्प देना जरूरी है। मैं कल मिले हुए सभी लोगो से अनुरोध करता हूं कि कृपया अपनी जिम्मेदारियां समझे और आने वाले समय की चुनौतियां समझे। जिम्मेदारी लेकर अपनी टीम बनाए, जिससे आततायी शक्तियां, जो निर्दयी है। उनको डर पैदा हो कि उनकी क्रूरता नहीं चल सकती। सभी को शुभकामनाएं।