बुध प्रदोष व्रत आज: भोलेनाथ भक्तों की मुरादें करेंगे पूरी!

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आषाढ़ मास की 20 है।

बुध प्रदोष व्रत आज

हिंदू धर्म में आषाढ़ माह के प्रदोष व्रत में शिव-गौरी की पूजा का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी करते हैं।

शिव की आराधना के लिए प्रदोष व्रत और सावन का महीना बेहद खास माना गया है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महिलाएं प्रदोष व्रत रखती हैं और इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करती हैं।

मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। परिवार के सदस्यों पर भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है। आषाढ़ माह का पहला प्रदोष व्रत आज 3 जुलाई को रखा जाएगा।

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 3 जुलाई को सुबह होगा और 4 जुलाई को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 3 जुलाई को पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

आज का पंचांग

बुधवार, जुलाई 3, 2024
सूर्योदय: 05:28 ए एम
सूर्यास्त: 07:23 पी एम
तिथि: द्वादशी – 07:10 ए एम तक
नक्षत्र: रोहिणी – 04:07 ए एम, जुलाई 04 तक
योग: शूल – 09:02 ए एम तक
करण: तैतिल – 07:10 ए एम तक
द्वितीय करण: गर – 06:29 पी एम तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: बुधवार
अमान्त महीना: ज्येष्ठ
पूर्णिमान्त महीना: आषाढ़
चन्द्र राशि: वृषभ
सूर्य राशि: मिथुन

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आज का विचार

गुणवान मनुष्य के संपर्क में रहकर सामान्य मनुष्य भी गौरव प्राप्त करता है, जैसे की फूलों के हार में रहकर धागा भी मस्तक के ऊपर स्थान प्राप्त करता है.!

जय सियाराम सुप्रभातम्

संभु प्रसाद सुमति हियँ हुलसी। रामचरितमानस कबि तुलसी॥
करइ मनोहर मति अनुहारी। सुजन सुचित सुनि लेहु सुधारी॥

भावार्थ:-श्री शिवजी की कृपा से उसके हृदय में सुंदर बुद्धि का विकास हुआ, जिससे यह तुलसीदास श्री रामचरित मानस का कवि हुआ। अपनी बुद्धि के अनुसार तो वह इसे मनोहर ही बनाता है, किन्तु फिर भी हे सज्जनो! सुंदर चित्त से सुनकर इसे आप सुधार लीजिए॥

सुमति भूमि थल हृदय अगाधू। बेद पुरान उदधि घन साधू॥
बरषहिं राम सुजस बर बारी। मधुर मनोहर मंगलकारी॥

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भावार्थ:-सुंदर (सात्त्वकी) बुद्धि भूमि है, हृदय ही उसमें गहरा स्थान है, वेद-पुराण समुद्र हैं और साधु-संत मेघ हैं। वे (साधु रूपी मेघ) श्री रामजी के सुयश रूपी सुंदर, मधुर, मनोहर और मंगलकारी जल की वर्षा करते हैं॥

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