मन की बात की 106वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सम्बोधन का मूल पाठ पढिए-
मेरे प्यारे परिवारजनों, नमस्कार। ‘मन की बात’ में आपका एक बार फिर स्वागत है। ये एपिसोड ऐसे समय में हो रहा है जब पूरे देश में त्योहारों की उमंग है आप सभी को आने वाले सभी त्योहारों की बहुत-बहुत बधाईयाँ।
साथियो, त्योहारों की इस उमंग के बीच, दिल्ली की एक खबर से ही मैं ‘मन की बात’ की शुरुआत करना चाहता हूँ। इस महीने की शुरुआत में गांधी जयन्ती के अवसर पर दिल्ली में खादी की रिकॉर्ड बिक्री हुई। यहाँ कनॉट प्लेस में, एक ही खादी स्टोर में, एक ही दिन में, डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान लोगों ने खरीदा। इस महीने चल रहे खादी महोत्सव ने एक बार फिर बिक्री के अपने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। आपको एक और बात जानकार भी बहुत अच्छा लगेगा, दस साल पहले देश में जहां खादी प्रोडक्ट्स की बिक्री बड़ी मुश्किल से 30 हजार करोड़ रुपये से भी कम की थी, अब ये बढ़कर सवा लाख करोड़ रूपए के आसपास पहुँच रही है। खादी की बिक्री बढ़ने का मतलब है इसका फायदा शहर से लेकर गाँव तक में अलग-अलग वर्गों तक पहुंचता है। इस बिक्री का लाभ हमारे बुनकर, हस्तशिल्प के कारीगर, हमारे किसान, आयुर्वेदिक पौधे लगाने वाले कुटीर उद्योग सबको लाभ मिल रहा है, और, यही तो, ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान की ताकत है और धीरे-धीरे आप सब देशवासियों का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है।
साथियो, आज मैं अपना एक और आग्रह आपके सामने दोहराना चाहता हूँ और बहुत ही आग्रहपूर्वक दोहराना चाहता हूँ। जब भी आप पर्यटन पर जाएं, तीर्थाटन पर जाएं, तो वहां के स्थानीय कलाकारों के द्वारा बनाए गए उत्पादों को जरुर खरीदें। आप अपनी उस यात्रा के कुल बजट में स्थानीय उत्पादों की खरीदी को एक महत्त्वपूर्ण प्राथमिकता के रूप में जरुर रखें। 10 परसेंट हो, 20 परसेंट हो, जितना आपका बजट बैठता हो, लोकल पर जरुर खर्च करिएगा और वहीँ पर खर्च कीजिएगा।
साथियो, हर बार की तरह, इस बार भी, हमारे त्योहारों में, हमारी प्राथमिकता हो ‘वोकल फॉर लोकल’ और हम मिलकर उस सपने को पूरा करें, हमारा सपना है ‘आत्मनिर्भर भारत’। इस बार ऐसे प्रोडक्ट से ही घर को रोशन करें जिसमें मेरे किसी देशवासी के पसीने की महक हो, मेरे देश के किसी युवा का talent हो, उसके बनने में मेरे देशवासियों को रोज़गार मिला हो, रोज़मर्रा की जिन्दगी की कोई भी आवश्यकता हो – हम लोकल ही लेंगे। लेकिन, आपको, एक और बात पर गौर करना होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ की ये भावना सिर्फ त्योहारों की खरीदारी तक के लिए ही सीमित नहीं है और कहीं तो मैंने देखा है, दीवाली का दीया लेते हैं और फिर सोशल मीडिया पर डालते हैं ‘वोकल फॉर लोकल’ – नहीं जी, वो तो शुरुआत है। हमें बहुत आगे बढना है, जीवन की हर आवश्यकता -हमारे देश में, अब, सब कुछ उपलब्ध है। ये vision केवल छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी से सामान लेने तक सीमित नहीं है। आज भारत, दुनिया का बड़ा manufacturing HUB बन रहा है। कई बड़े brand यहीं पर अपने product को तैयार कर रहे हैं। अगर हम उन प्रोडक्ट को अपनाते हैं, तो, Make in India को बढ़ावा मिलता है, और, ये भी, ‘लोकल के लिए वोकल’ ही होना होता है, और हाँ, ऐसे प्रोडक्ट को खरीदते समय हमारे देश की शान UPI digital payment system से payment करने के आग्रही बनें, जीवन में आदत डालें, और उस प्रोडक्ट के साथ, या, उस कारीगर के साथ selfie NamoApp पर मेरे साथ share करें और वो भी Made in India smart phone से। मैं उनमें से कुछ post को सोशल मीडिया पर share करूँगा ताकि दूसरे लोगों को भी ‘वोकल फॉर लोकल’ की प्रेरणा मिले।
साथियो, जब आप, भारत में बने, भारतीयों द्वारा बनाए गए उत्पादों से अपनी दीवाली रौशन करेंगे, अपने परिवार की हर छोटी-मोटी आवश्यकता लोकल से पूरी करेंगे तो दीवाली की जगमगाहट और ज़्यादा बढ़ेगी ही बढ़ेगी, लेकिन, उन कारीगरों की ज़िंदगी में, एक, नयी दीवाली आयेगी, जीवन की एक सुबह आयेगी, उनका जीवन शानदार बनेगा। भारत को आत्मनिर्भर बनाइए, ‘Make in India’ ही चुनते जाइए, जिससे आपके साथ-साथ और भी करोड़ों देशवासियों की दीवाली शानदार बने, जानदार बने, रौशन बने, दिलचस्प बने।
मेरे प्यारे देशवासियो, 31 अक्टूबर का दिन हम सभी के लिए बहुत विशेष होता है। इस दिन हमारे लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती मनाते हैं। हम भारतवासी, उन्हें, कई वजहों से याद करते हैं, और श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। सबसे बड़ी वजह है – देश की 580 से ज्यादा रियासतों को जोड़ने में उनकी अतुलनीय भूमिका। हम जानते हैं हर साल 31 अक्टूबर को गुजरात में Statue of Unity पर एकता दिवस से जुड़ा मुख्य समारोह होता है। इस बार इसके अलावा दिल्ली में कर्तव्य पथ पर एक बहुत ही विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। आपको याद होगा, मैंने पिछले दिनों देश के हर गाँव से, हर घर से मिट्टी संग्रह करने का आग्रह किया गया था। हर घर से मिट्टी संग्रह करने के बाद उसे कलश में रखा गया और फिर अमृत कलश यात्राएं निकाली गईं। देश के कोने-कोने से एकत्रित की गयी ये माटी, ये हजारों अमृत कलश यात्राएं अब दिल्ली पहुँच रही हैं। यहाँ दिल्ली में उस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में डाला जाएगा और इसी पवित्र मिट्टी से दिल्ली में ‘अमृत वाटिका’ का निर्माण होगा। यह देश की राजधानी के हृदय में अमृत महोत्सव की भव्य विरासत के रूप में मौजूद रहेगी। 31 अक्टूबर को ही देशभर में पिछले ढ़ाई साल से चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का समापन होगा। आप सभी ने मिलकर इसे दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाले महोत्सव में से एक बना दिया। अपने सेनानियों का सम्मान हो या फिर हर घर तिरंगा, आजादी के अमृत महोत्सव में, लोगों ने अपने स्थानीय इतिहास को, एक नई पहचान दी है। इस दौरान सामुदायिक सेवा की भी अद्भुत मिसाल देखने को मिली है।
साथियो, मैं आज आपको एक और खुशखबरी सुना रहा हूँ, विशेषकर मेरे नौजवान बेटे-बेटियों को, जिनके दिलों में देश के लिए कुछ करने का जज़्बा है, सपने हैं, संकल्प हैं। ये खुशखबरी देशवासियों के लिए तो है ही है, मेरे नौजवान साथियो आपके लिए विशेष है। दो दिन बाद ही 31 अक्टूबर को एक बहुत बड़े राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है और वो भी सरदार साहब की जन्मजयन्ती के दिन। इस संगठन का नाम है – मेरा युवा भारत, यानी MYBharat. MYBharat संगठन, भारत के युवाओं को राष्ट्रनिर्माण के विभिन्न आयोजनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा। ये, विकसित भारत के निर्माण में भारत की युवा शक्ति को एकजुट करने का एक अनोखा प्रयास है। मेरा युवा भारत की वेबसाइट MYBharat भी शुरू होने वाली है। मैं युवाओं से आग्रह करूँगा, बार-बार आग्रह करूंगा कि आप सभी मेरे देश के नौजवान, आप सभी मेरे देश के बेटे-बेटी MYBharat.Gov.in पर register करें और विभिन्न कार्यक्रम के लिए Sign Up करें। 31 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की पुण्यतिथि भी है। मैं उन्हें भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
मेरे परिवारजनों, हमारा साहित्य, literature, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रगाढ़ करने के सबसे बेहतरीन माध्यमों में से एक है। मैं आपके साथ तमिलनाडु की गौरवशाली विरासत से जुड़े दो बहुत ही प्रेरक प्रयासों को साझा करना चाहता हूँ। मुझे तमिल की प्रसिद्ध लेखिका बहन शिवशंकरी जी के बारे में जानने का अवसर मिला है। उन्होंने एक Project किया है – Knit India, Through Literature इसका मतलब है – साहित्य से देश को एक धागे में पिरोना और जोड़ना। वे इस Project पर बीते 16 सालों से काम कर रही है। इस Project के जरिए उन्होंने 18 भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। उन्होंने कई बार कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इंफाल से जैसलमेर तक देशभर में यात्राएँ की, ताकि अलग – अलग राज्यों के लेखकों और कवियों के Interview कर सकें। शिवशंकरी जी ने अलग – अलग जगहों पर अपनी यात्रा की, travel commentary के साथ उन्हें Publish किया है। यह तमिल और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है। इस Project में चार बड़े volumes हैं और हर volume भारत के अलग-अलग हिस्से को समर्पित है। मुझे उनकी इस संकल्प शक्ति पर गर्व है।
साथियो, कन्याकुमारी के थिरु ए. के. पेरूमल जी का काम भी बहुत प्रेरित करने वाला है। उन्होंने तमिलनाडु के ये जो storytelling tradition है उसको संरक्षित करने का सराहनीय काम किया है। वे अपने इस मिशन में पिछले 40 सालों से जुटे हैं। इसके लिए वे तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में Travel करते हैं और Folk Art Forms को खोज कर उसे अपनी Book का हिस्सा बनाते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंने अब तक ऐसी करीब 100 किताबें लिख डाली हैं। इसके अलावा पेरूमल जी का एक और भी Passion है। तमिलनाडु के Temple Culture के बारे में Research करना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने Leather Puppets पर भी काफी Research की है, जिसका लाभ वहाँ के स्थानीय लोक कलाकारों को हो रहा है। शिवशंकरी जी और ए. के. पेरूमल जी के प्रयास हर किसी के लिए एक मिसाल हैं। भारत को अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने वाले ऐसे हर प्रयास पर गर्व है, जो हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने के साथ ही देश का नाम, देश का मान, सब कुछ बढ़ाये।
मेरे परिवारजनों, आने वाले 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा। यह विशेष दिन भगवान बिरसा मुंडा की जन्म-जयंती से जुड़ा है। भगवान बिरसा मुंडा हम सब के ह्रदय में बसे हैं। सच्चा साहस क्या है और अपनी संकल्प शक्ति पर अडिग रहना किसे कहते हैं, ये हम उनके जीवन से सीख सकते हैं। उन्होंने विदेशी शासन को कभी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जहाँ अन्याय के लिए कोई जगह नहीं थी। वे चाहते थे कि हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का जीवन मिले। भगवान बिरसा मुंडा ने प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना इस पर भी हमेशा जोर दिया। आज भी हम देख सकते हैं कि हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति की देखभाल और उसके संरक्षण के लिए हर तरह से समर्पित हैं। हम सब के लिए, हमारे आदिवासी भाई-बहनों का ये काम बहुत बड़ी प्रेरणा है।
साथियो, कल यानि 30 अक्टूबर को गोविन्द गुरु जी की पुण्यतिथि भी है। हमारे गुजरात और राजस्थान के आदिवासी और वंचित समुदायों के जीवन में गोविन्द गुरु जी का बहुत विशेष महत्व रहा है। गोविन्द गुरु जी को भी मैं अपनी श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ। नवंबर महीने में हम मानगढ़ नरसंहार की बरसी भी मनाते हैं। मैं उस नरसंहार में, शहीद माँ भारती की, सभी संतानों को नमन करता हूँ।
साथियो, भारतवर्ष में आदिवासी योद्धाओं का समृद्ध इतिहास रहा है। इसी भारत भूमि पर महान तिलका मांझी ने अन्याय के खिलाफ बिगुल फूंका था। इसी धरती से सिद्धो-कान्हू ने समानता की आवाज उठाई। हमें गर्व है कि जिन योद्धा टंट्या भील ने हमारी धरती पर जन्म लिया। हम शहीद वीर नारायण सिंह को पूरी श्रद्धा के साथ याद करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में अपने लोगों के साथ खड़े रहे। वीर रामजी गोंड हों, वीर गुंडाधुर हों, भीमा नायक हों, उनका साहस आज भी हमें प्रेरित करता है। अल्लूरी सीताराम राजू ने आदिवासी भाई-बहनों में जो अलख जगाई, उसे देश आज भी याद करता है। North East में कियांग नोबांग और रानी गाइदिन्ल्यू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से भी हमें काफी प्रेरणा मिलती है। आदिवासी समाज से ही देश को राजमोहिनी देवी और रानी कमलापति जैसी वीरांगनाएं मिलीं। देश इस समय आदिवासी समाज को प्रेरणा देने वाली रानी दुर्गावती जी की 500वीं जयंती मना रही हैं। मैं आशा करता हूँ कि देश के अधिक से अधिक युवा अपने क्षेत्र की आदिवासी विभूतियों के बारे में जानेंगे और उनसे प्रेरणा लेंगे। देश अपने आदिवासी समाज का कृतज्ञ है, जिन्होंने राष्ट्र के स्वाभिमान और उत्थान को हमेशा सर्वोपरि रखा है।
मेरे प्यारे देशवासियों, त्योहारों के इस मौसम में, इस समय देश में Sports का भी परचम लहरा रहा है। पिछले दिनों Asian Games के बाद Para Asian Games में भी भारतीय खिलाड़ियों ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है। इन खेलों में भारत ने 111 मेडल जीतकर एक नया इतिहास रच दिया है। मैं Para Asian Games में हिस्सा लेने वाले सभी Athletes को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
सथियो, मैं आपका ध्यान Special Olympics World Summer Games की ओर भी ले जाना चाहता हूँ। इसका आयोजन बर्लिन में हुआ था। ये प्रतियोगिता हमारे Intellectual Disabilities वाले एथलीटों की अद्भुत क्षमता को सामने लाती है। इस प्रतियोगिता में भारतीय दल ने 75 Gold Medals सहित 200 पदक जीते। Roller skating हो, Beach Volleyball हो, Football हो, या Tennis, भारतीय खिलाड़ियों ने Medals की झड़ी लगा दी। इन पदक विजेताओं की Life Journey काफ़ी Inspiring रही है। हरियाणा के रणवीर सैनी ने Golf में Gold Medal जीता है। बचपन से ही Autism से जूझ रहे रणवीर के लिए कोई भी चुनौती Golf को लेकर उनके जुनून को कम नहीं कर पाई। उनकी माँ तो यहाँ तक कहती हैं कि परिवार में आज सब Golfer बन गए हैं। पुडुचेरी के 16 साल के टी-विशाल ने चार Medal जीते। गोवा की सिया सरोदे ने Powerlifting में 2 Gold Medals सहित चार पदक अपने नाम किये। 9 साल की उम्र में अपनी माँ को खोने के बाद भी उन्होंने खुद को निराश नहीं होने दिया। छत्तीसगढ़ के दुर्ग के रहने वाले अनुराग प्रसाद ने Powerlifting में तीन Gold और एक Silver Medal जीता है। ऐसे ही प्रेरक गाथा झारखंड के इंदु प्रकाश की है, जिन्होंने Cycling में दो Medal जीते हैं। बहुत ही साधारण परिवार से आने के बावजूद, इंदु ने गरीबी को कभी अपनी सफलता के सामने दीवार नहीं बनने दिया। मुझे विश्वास है कि इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की सफलता Intellectual Disabilities का मुकाबला कर रहे अन्य बच्चों और परिवारों को भी प्रेरित करेगी। मेरी आप सब से भी प्रार्थना है आपके गाँव में, आपके गाँव के अगल-बगल में, ऐसे बच्चे, जिन्होंने इस खेलकूद में हिस्सा लिया है या विजयी हुए हैं, आप सपरिवार उनके साथ जाइए। उनको बधाई दीजिये। और कुछ पल उन बच्चों के साथ बिताइए। आपको एक नया ही अनुभव होगा। परमात्मा ने उनके अन्दर एक ऐसी शक्ति भरी है आपको भी उसके दर्शन का मौका मिलेगा। जरुर जाइएगा।
मेरे परिवारजनों, आप सभी ने गुजरात के तीर्थक्षेत्र अंबाजी मंदिर के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा। यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ है, जहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां अंबे के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यहां गब्बर पर्वत के रास्ते में आपको विभिन्न प्रकार की योग मुद्राओं और आसनों की प्रतिमाएं दिखाई देंगी। क्या आप जानते हैं कि इन प्रतिमाओं की खास क्या बात है ? दरअसल ये Scrap से बने Sculpture हैं, एक प्रकार से कबाड़ से बने हुए और जो बेहद अद्दभुत हैं। यानि ये प्रतिमाएं इस्तेमाल हो चुकी, कबाड़ में फेक दी गयी पुरानी चीजों से बनाई गई हैं। अंबाजी शक्ति पीठ पर देवी मां के दर्शन के साथ-साथ ये प्रतिमाएं भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं। इस प्रयास की सफलता को देखकर, मेरे मन में एक सुझाव भी आ रहा है। हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो Waste से इस तरह की कलाकृतियां बना सकते हैं। तो मेरा गुजरात सरकार से आग्रह है कि वो एक प्रतियोगिता शुरू करे और ऐसे लोगों को आमंत्रित करे। ये प्रयास, गब्बर पर्वत का आकर्षण बढ़ाने के साथ ही, पूरे देश में ‘Waste to Wealth’ अभियान के लिए लोगों को प्रेरित करेगा।
साथियो, जब भी स्वच्छ भारत और ‘Waste to Wealth’ की बात आती है, तो हमें, देश के कोने-कोने से अनगिनत उदाहरण देखने को मिलते हैं। असम के Kamrup Metropolitan District में Akshar Forum इस नाम का एक School बच्चों में, Sustainable Development की भावना भरने का, संस्कार का, एक निरंतर काम कर रहा है। यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी हर हफ्ते Plastic Waste जमा करते हैं, जिसका उपयोग Eco- Friendly ईटें और चाबी की Chain जैसे सामान बनाने में होता है। यहां Students को Recycling और Plastic Waste से Products बनाना भी सिखाया जाता है। कम आयु में ही पर्यावरण के प्रति ये जागरूकता, इन बच्चों को देश का एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाने में बहुत मदद करेगी।
मेरे परिवारजनों, आज जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं, जहाँ हमें नारी शक्ति का सामर्थ्य देखने को नहीं मिल रहा हो। इस दौर में, जब हर तरफ उनकी उपलब्धियों को सराहा जा रहा है, तो हमें भक्ति की शक्ति को दिखाने वाली एक ऐसी महिला संत को भी याद रखना है, जिसका नाम इतिहास के सुनहरे पन्नो में दर्ज है। देश इस वर्ष महान संत मीराबाई की 525वीं जन्म-जयंती मना रहा है। वो देशभर के लोगों के लिए कई वजहों से एक प्रेरणाशक्ति रही हैं। अगर किसी की संगीत में रूचि हो, तो वो संगीत के प्रति समर्पण का बड़ा उदाहरण ही है, अगर कोई कविताओं का प्रेमी हो, तो भक्तिरस में डूबे मीराबाई के भजन, उसे अलग ही आनंद देते हैं, अगर कोई दैवीय शक्ति में विश्वास रखता हो, तो मीराबाई का श्रीकृष्ण में लीन हो जाना उसके लिए एक बड़ी प्रेरणा बन सकता है। मीराबाई, संत रविदास को अपना गुरु मानती थी। वो कहती भी थी-
गुरु मिलिया रैदास, दीन्ही ज्ञान की गुटकी।
देश की माताओं-बहनों और बेटियों के लिए मीराबाई आज भी प्रेरणापुंज हैं। उस कालखंड में भी उन्होंने अपने भीतर की आवाज़ को ही सुना और रुढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी हुई। एक संत के रूप में भी वे हम सबको प्रेरित करती हैं। वे भारतीय समाज और संस्कृति को तब सशक्त करने के लिए आगे आईं, जब देश कई प्रकार के हमले झेल रहा था। सरलता और सादगी में कितनी शक्ति होती है, ये हमें मीराबाई के जीवनकाल से पता चलता है। मैं संत मीराबाई को नमन करता हूं।
मेरे प्यारे परिवारजनों, इस बार ‘मन की बात’ में इतना ही। आप सबके साथ होने वाला हर संवाद मुझे नई ऊर्जा से भर देता है। आपके संदेशों में उम्मीद और Positivity से जुड़ी सैकड़ों गाथाएं मुझ तक पहुंचती रहती हैं। मेरा फिर से आपसे आग्रह है – आत्मनिर्भर भारत अभियान पर बल दें। स्थानीय उत्पाद खरीदें, लोकल के लिए वोकल बनें। जैसे आप अपने घरों को स्वच्छ रखते हैं, वैसे ही अपने मोहल्ले और शहर को स्वच्छ रखें और आपको पता है, 31 अक्टूबर सरदार साहब की जयंती, देश, एकता के दिवस के रूप में मनाती है, देश के अनेक स्थानों पर Run for Unity के कार्यक्रम होते है, आप भी 31 अक्टूबर को Run for Unity के कार्यक्रम को आयोजित करें। बहुत बड़ी मात्रा में आप भी जुडें, एकता के संकल्प को मजबूत करें। एक बार फिर मैं आने वाले त्योहारों के लिए अनेक–अनेक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सभी परिवार समेत खुशियां मनाएं, स्वस्थ रहें, आनंद में रहें, यही मेरी कामना है। और हाँ दिवाली के समय कहीं ऐसी गलती न हो जाये, कि कहीं आग की कोई घटनाएं हो जाए। किसी के जीवन को खतरा हो जाए तो आप जरुर संभालिये, खुद को भी संभालिये और पूरे क्षेत्र को भी संभालिये। बहुत बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।