प्रेम प्रकाश उपाध्याय ‘नेचुरल’
बागेश्वर, उत्तराखंड
कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा और ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका तरफ बै हर साल नवंबर-दिसंबर म्हैण में राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन आयोजित करी जां। हालांकि यो सम्मेलन आज तलक ज्यादातर अल्मोड़ा जिला मुख्यालय और एक-एक बखत डोल आश्रम और मौनी माई आश्रम नौकुचियाताल में आयोजित करी गोछी। भौत खुशीकि बात छु कि अलीबेरक यानी तेरूं वार्षिक सम्मेलन दि. 25, 26 और 27 दिसम्बर 2021हुं भगवान श्री बागनाथ ज्यूकि छत्रछाया में नरेन्द्र पैलेस, सूरजकुंड, बागेश्वर में आयोजित हुनौ।
येक लिजी स्थानीय आयोजन समितिक संयोजक नामी सामाजिक कार्यकर्ता वृक्षमित्र श्री किशनसिंह मलड़ा और उनर कार्यकुशल दगड़ुओं द्वारा उरातार बैठक करिबेर भौत भल इंतजाम करी जानौ। इन लोगोंकि मिहनत कैं देखिबेर लागनौ कि अलीबेरक सम्मेलन लै हौर सालोंकि चारि भौत भव्य रूप में आयोजित हुनेर छु। आपूं सब कुमाउनी भाषा प्रेमियों थैं गुजारिश छु कि यो कार्यक्रम में जरूर प्रतिभाग करिया।
अल्मोड़ा स्थिति कुमाऊनी मासिक पत्रिका ‘पहेरु’ जो इस दिशा में दशकों से प्रयासरत है कि हमारी बोली को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल कर भाषा का रूप दिया जाय। इसीलिए सभी भाषा प्रेमियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई।
कुमाउन मासिक पत्रिका ‘पहरू’ का तेर साल का सफर।
‘पहरू’ पत्रिकाक तेर सालक सफर पुर है गो। तेर सालाक दरमियान ‘पहरू’ कें पाठकोंक, रचनाकारोंक जो प्यार, सहयोग मिलौ, उ बेमिसाल छ। सबै पाठक यैक प्रचार-प्रसार में, ‘पहरू’ कें घर-घर पुजौन में आपण-आपण तरबै जुटी हुई छन, येकै वील आज ‘पहरू’ सा्र देश में पढ़ी जनौ और तेर साला भितर यैक भौत भल प्रसार है गो। आज ‘पहरू’ देशक कुण-कुण में पढ़ी जनै और करीब पच्चीस हजार लोग पढ़नई। सोशल मीडिया हमरि लिजी विशेष खुशी बात यो लै छ कि आज कुमाउनी भाषा में लेखनेरोंकि एक भौत ठुलि जमात ठाड़ि है गै। तेर सालों दरमियान आठ सौ (800) रचनाकार ‘पहरू’ में छपि गई।
आज करीब नौ सौ (900) है सकर लोग कुमाउनी में लेखनई। यतुक जादा तादाद में कुमाउनी रचनाकार हुण कुमाउनी भाषा बिकासै लिजी शुभ लक्षण छन। इन तेर सालों में (नवम्बर, 2008 बटि अक्टूबर, 2021 तक) ‘पहरू’ में तमाम बिधाओं /स्तंभों में छपी रचनाओंक विवरण यो प्रकार छ- बंदना/प्रार्थना-240, चिट्ठी-पत्री- 963, कहानि-394, लघु कथा-154, हास्य ब्यंग (गद्य)-101, नाटक-55, समीक्षा, समालोचना-196, उपन्यास अंश-09, लोक का्थ-78, लेख-672, कबिता-1555, अनुवाद-27, यात्रा बृतांत-61, संस्मरण-128, इंटरब्यू-21, शब्द चित्र-25, डायरी-08, आत्मकथा अंश-19, निबंध-127, जीवनी-145, पत्र लेखन-0 5। तेर सालों में 2009 बटि शुरू ‘कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान’-110, 2011 बटि शुरू ‘कुमाउनी भाषा सेवी सम्मान’-43 व 2015 बटि शुरू ‘कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान’-24, कुल-177 सज्जनों कें सम्मानित करी गो और 2010 बटि 2020 तक चली लेखन पुरस्कार योजनाओं में कुल-186 रचनाओं कें पुरस्कृत करी गो। 2009 बटी शुरू ‘शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कविता पुरस्कार’ में-11, 2012 बटि शुरू ‘बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कथा साहित्य पुरस्कार’ में 08, ‘शेर सिंह मेहता उपन्यास पुरस्कार’ (2015-2016) में 02, ‘प्रेमा पंत स्मृति खंड काव्य लेखन पुरस्कार‘ 2016 में 03, ‘टीकाराम पांडे स्मृति महाकाव्य लेखन पुरस्कार’ 2013 में 01, ‘विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार’ 2018 व 2019 में 02, गंगा अधिकारी स्मृति नाटक पुरस्कार 2019 व 2020 में 02, ‘के.एन.जोशी स्मृति कुमाउनी अनुवाद पुरस्कार 2020 में 01, कुल- 30 रचनाकारों कैं पुरस्कृत करी गो। तेर सालों भितर बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’, शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’, मथुरादत्त अंडोला, महेन्द्र मटियानी, बचीराम पंत ‘श्री कृष्ण’, ब्रजेन्द्रलाल शाह, गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’, बालम सिंह जनोटी, शेरसिंह मेहता, मोहम्मद अली ‘अजनबी’, प्रतापसिंह स्यूनरी, रमा पंत, चामूसिंह मेहता, डाॅ. केशवदत्त रुवाली पर विशेषांक तथा उनार जीवन काल में चारूचन्द्र पांडे, बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’ व मथुरादत्त मठपाल, पं. राम प्रसाद आर्य, देवकी महरा पर केंद्रित अंक और महिला व युवा रचनाकारों कें बढ़ावा दिनै लिजी युवा व महिला बिशेषांक निकाली गई।
‘पहरू’ मात्र एक पत्रिका न्हातैं, बलकन एक अभियान छ, एक आंदोलन छ-कुमाउनी भाषा कें अघिल बढूनक, वीकें देशाक हौर भाषाओं सामणि बराबरी में ठा्ड़ करनक, उनरि जमात में शामिल करनक, कुमाउनी भाषा कें मान्यता दिलौनक और उत्तराखंड में एक विषयाक रूप में इस्कूली कोर्स में शामिल करनक। यो लक्ष्य कें हासिल करनै लिजी हम सबन कें भौत मिहनत करणकि जरवत छ। रचनाकारों कंे साहित्यकि हर विधा में श्रेष्ठ रचना लिजी साहित्य साधना करन पड़लि। जब हमा्र रचनाकार हर विधा में श्रेष्ठ साहित्य लेखाल, तब जैबेर कुमाउनी भाषा लै देशाक और संसाराक हौर भाषाओं सामणि बराबरी में ठा्ड़ है सकैं।
कुमाउनी भाषाक बिकास और उकैं आदर, मान-सम्मान, मान्यता दिलौणै लिजी संस्थागत सामूहिक प्रयासोंकि जरवत समझी गै। किलैकी भाषा और संस्कृति आपस में सानी हुई छन। जब भाषा बचलि, अघिल बढ़लि, तबै हमरि संस्कृति लै बचलि, उ लै अघिल बढ़लि, तबै हमरि पछयाण लै बचलि। संस्कृति कें बचूणै लिजी भाषा कें बचैण जरूरी समझी गौ। तब जै बेर ‘कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति’ कसारदेवी, अल्मोड़ा नामल एक संस्थाक पंजीकरण सन् 2004 में करई गौ और नवम्बर 2008 बटि ‘पहरू’ पत्रिका शुरू भैछ। 2009 बै हर साल तीन दिनी राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन कराई गई। आज तलक 12 सालाना सम्मेलन है गई। रचनाकारों सहयोगल समिति द्वारा तमाम बिधाओं में आज तक 50 किताब छपि गई।
आज ‘पहरू’ कंे बार साल पुर है गई। पाठकोंक प्यार और सहयोग हमरि ताकत लै छ और पूंजी लै। यैका बल पर ‘पहरू’ बार साल तक उरातार बिना नागा छपते रौ। उमीद छ कि अघिल कै लै ‘पहरू’ कें पाठकोंक, रचनाकारोंक, कुमाउनी भाषा प्रेमियोंक प्यार, सहयोग और आशीर्वाद मिलते रौल, तबै हम आपण लक्ष्य कंे हासिल करि सकुंल।
25,26,27 दिसम्बर 2021 का आप सबको राष्ट्रीय कुमाऊनी भाषा साहित्य सम्मेलन में बागेश्वर आने का न्यूता भी भेजा जा रहा हैं।