नई दिल्ली
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने आज नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईआईडीईएम) में भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों के 74वें बैच को संबोधित किया। राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) के सहयोग से आईआईआईडीईएम द्वारा भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 74वें बैच के 61 प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए आयोजित यह विशिष्ट कार्यक्रम अपनी तरह का पहला प्रशिक्षण मॉड्यूल है।
यह पाठ्यक्रम भविष्य में चुनाव प्रक्रिया में आईआरएस अधिकारियों की भूमिका के बारे में जानकारी के साथ – साथ निर्वाचन आयोग, निर्वाचन आयोग की भूमिका और उसके कार्यों का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करता है। चुनाव प्रणाली को ठीक से समझाने के लिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए कक्षा / ऑनलाइन सत्र और क्षेत्र का दौरा आयोजित किया जाता है।
इन प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड में प्रधान महानिदेशक (मानव संसाधन विकास) स्मिता झिंगरान और आईआईआईडीईएम, ईसीआई एवं एनएडीटी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
युवा प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि दृढ़ संकल्प, प्रतिबद्धता और निष्पक्षता सिविल सेवाओं के आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवाएं हमें देश की सेवा करने की आकांक्षाओं को पूरा करने और अपनी प्रतिभा का उपयोग करने का अवसर प्रदान करती हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने युवाओं को उत्कृष्टता को अपनी एक आदत बनाने और ईमानदारी एवं समर्पण के साथ देश की सेवा करने की सलाह दी। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से ईमानदार करदाताओं के साथ और अधिक मित्रतापूर्ण व्यवहार करने और कर की चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल में शुरू कराए गए विभिन्न पहलों को याद करते हुए उन्होंने सुशासन के लिए प्रणालीगत बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र के साथ जमा की जाने वाली सभी परिसंपत्तियों और देनदारियों के विवरण की घोषणा के प्रारूप के तौर पर फॉर्म 26 में 2018 में किए गए व्यापक संशोधन की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।
इन अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त चंद्रा ने कहा कि प्रशिक्षु आईआरएस अधिकारियों का यह बैच किसी भी ग्रुप-ए सेवा का दूसरा बैच है, जिसे इसके परिवीक्षाधीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक अभिन्न अंग के रूप में चुनावी प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि खर्च की निगरानी, वित्त एवं लेखा से संबंधित अपने गहन ज्ञान की वजह से आईआरएस अधिकारी निर्वाचन आयोग की चुनाव निगरानी प्रक्रिया की एक अहम कड़ी साबित हुए हैं।
चुनाव के दौरान खर्च की निगरानी के महत्व को स्वीकार करते हुए चंद्रा ने कहा कि निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि व्यय प्रेक्षक के रूप में कई आईआरएस अधिकारी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि धनबल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बीच समान अवसर की व्यवस्था को प्रभावित न कर पाये। विशेष व्यय पर्यवेक्षकों की तैनाती से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए, उन्होंने बताया कि हाल के कुछ चुनावों को वास्तव में वरिष्ठ आईआरएस अधिकारियों द्वारा निभाई गई सतर्क भूमिका के कारण रद्द कर दिया गया। श्री चंद्रा ने युवा अधिकारियों से कहा कि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करें ताकि वे भी एक अनुकरणीय भूमिका निभा सकें और अपनी विशेषज्ञता के माध्यम से स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने में योगदान दे सकें।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि प्रभावी निगरानी की वजह से हाल ही में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड स्तर पर बरामदगी हुई है। अधिकारियों के ठोस प्रयासों और कड़ी निगरानी के परिणामस्वरूप 2021 में बरामदगी में भारी वृद्धि हुई जोकि 2016 में इन राज्यों में हुए पिछले चुनावों में बरामदगी के आंकड़ों से 4.5 गुना से अधिक थी। श्री चंद्रा ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के साथ आईआरएस अधिकारियों की भागीदारी में हुई वृद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस साल सितंबर में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा दायर हलफनामों में गलत जानकारी की जांच के लंबित मामलों के निपटारे में तेजी लाने और राजनीतिक दलों के योगदान एवं वार्षिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए एक अलग चुनाव प्रकोष्ठ बनाया है।