पूर्वोत्तर के विकास के लिए केंद्र ने खोला पिटारा, इतने हजार करोड़ रुपए के खर्च का किया ऐलान

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग (2022-23 से 2025-26 तक) की शेष अवधि के लिए 12882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है।

व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों के आधार पर, पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना योजना (एनईएसआईडीएस) के लिए परिव्यय 8139.5 करोड़ रुपये होगा, जिसमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारियां भी शामिल होंगी। ‘एनईसी योजनाओं’ के लिए परिव्यय 3202.7 करोड़ रुपये होगा, जिसमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारियां भी शामिल होंगी। असम में बीटीसी, डीएचएटीसी और केएएटीसी के लिए विशेष पैकेज का परिव्यय 1540 करोड़ रुपये है, (बीटीसी- 500 करोड़ रुपये, केएएटीसी- 750 करोड़ रुपये और बीटीसी, डीएचएटीसी और केएएटीसी के पुराने पैकेज- 290 करोड़ रुपये)। 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण वाली केंद्रीय क्षेत्र की योजना, एनईएसआईडीएस, को दो घटकों – एनईएसआईडीएस (सड़कें) और एनईएसआईडीएस (सड़क अवसंरचना के अलावा) के साथ पुनर्गठित किया गया है।

मंत्रालय की नई योजना “पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल – पीएम-डिवाइन” (6,600 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ) को पहले अक्टूबर, 2022 में अलग से अनुमोदित किया गया था, जिसके तहत अवसंरचना, सामाजिक विकास और आजीविका क्षेत्रों के बड़े और व्यापक प्रभाव वाले प्रस्तावों को शामिल किया जाता है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं का उद्देश्य एक ओर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के प्रयासों में पूरक की भूमिका निभाना है और दूसरी ओर पूर्वोत्तर क्षेत्र की शामिल नहीं हो पायी विकास/कल्याण गतिविधियों के संबंध में राज्यों की जरूरतों को समझना है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाएं, आठ पूर्वोत्तर राज्यों में अनुभव की गई जरूरतों के अनुरूप, विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से मौजूदा कमियों को पूरा करने में मदद करती हैं – उदाहरण के लिए, कनेक्टिविटी और सामाजिक क्षेत्र की कमी को पूरा करने के लिए अवसंरचना का विकास करना तथा क्षेत्र में आजीविका और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।

15वें वित्त आयोग की शेष अवधि अर्थात वित्त वर्ष 2025-26 तक के लिए स्वीकृत योजनाओं का विस्तार

परियोजना चयन के संदर्भ में योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बेहतर नियोजन सक्षम करना, परियोजनाओं की मंजूरी के पहले की तैयारी और योजना अवधि के दौरान परियोजना कार्यान्वयन 2025-26 तक अधिकांश परियोजनाओं को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि इस वर्ष के बाद कम से कम प्रतिबद्ध देनदारियां हों। इसलिए, मुख्य रूप से 2022-23 और 2023-24 में योजनाओं को नई मंजूरी मिलेगी; जबकि 2024-25 और 2025-26 के दौरान व्यय किया जाता रहेगा। स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तंभों, अर्थात् अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग, को इस योजना के माध्यम से बढ़ावा मिलेगा।

सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री ने पिछले 8 वर्षों में 50 से अधिक बार पूर्वोत्तर क्षेत्र का दौरा किया है, जबकि 74 मंत्रियों ने भी 400 से अधिक बार पूर्वोत्तर की यात्राएं कीं हैं।

पूर्वोत्तर पहले अशांति, बम-विस्फोट की घटनाओं, बंद आदि के लिए जाना जाता था, लेकिन पिछले आठ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में क्षेत्र में शांति स्थापित हुई है।

उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है, सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों की मौत में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है। लगभग 8,000 युवाओं ने आत्मसमर्पण किया है तथा अपने और अपने परिवारों के लिए बेहतर भविष्य का स्वागत करते हुए मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।

इसके अलावा, 2019 में त्रिपुरा के राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चे, 2020 में बीआरयू और बोडो समझौते और 2021 में कार्बी समझौते पर सहमति बनी। असम-मेघालय और असम-अरुणाचल सीमा विवाद भी लगभग समाप्त हो चुके हैं और शांति बहाली के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के पथ पर अग्रसर हो गया है।

2014 के बाद से, इस क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में भारी वृद्धि देखी गयी है। 2014 से, इस क्षेत्र के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि आवंटित की गयी है।

एमडीओएनईआर योजनाओं के तहत पिछले 04 वर्षों में वास्तविक व्यय 7534.46 करोड़ रुपये रहा है, जबकि, 2025-26 तक अगले चार वर्षों में व्यय के लिए उपलब्ध निधि 19482.20 करोड़ रुपये (लगभग 2.60 गुना) है।

क्षेत्र में अवसंरचना विकास के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए हैं। कनेक्टिविटी में सुधार मुख्य फोकस रहा है।

रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 2014 से अब तक 51,019 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 77,930 करोड़ रुपये की 19 नई परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं।

2009-14 के दौरान 2,122 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक बजट आवंटन की तुलना में, पिछले 8 वर्षों में, कुल 9,970 करोड़ रुपये के साथ औसत वार्षिक बजट आवंटन में 370 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सड़क संपर्क में सुधार के लिए, 1.05 लाख करोड़ रुपये की 375 परियोजनाएं का काम चल रहा है। सरकार अगले तीन साल में 209 परियोजनाओं के तहत 9,476 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार 1,06,004 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

हवाई संपर्क में भी व्यापक सुधार हुआ है। पिछले 68 वर्षों में, पूर्वोत्तर में केवल 9 हवाईअड्डे थे, आठ वर्षों की अल्प-अवधि में यह संख्या बढ़कर 17 हो गयी है।

आज, पूर्वोत्तर में एयर ट्रैफिक 2014 से (साल दर साल) 113 प्रतिशत बढ़ा है। हवाई संपर्क को और बढ़ावा देने के लिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र में नागरिक उड्डयन के तहत 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।

दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए, 2014 से, 10 प्रतिशत जीबीएस के तहत 3466 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। कैबिनेट ने पूर्वोत्तर के 4,525 गांवों में 4जी कनेक्टिविटी को भी मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने 2023 के अंत तक क्षेत्र में पूर्ण दूरसंचार संपर्क प्रदान करने के लिए 500 दिनों का लक्ष्य निर्धारित किया है।

जलमार्ग, पूर्वोत्तर क्षेत्र के जीवन और संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकसित करने के सभी प्रयास कर रही है। 2014 से पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल 1 राष्ट्रीय जलमार्ग था। अब पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जलमार्ग 2 और राष्ट्रीय जलमार्ग 16 के विकास के लिए 6000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

एनईआर में कौशल विकास अवसंरचना को बढ़ाने और मौजूदा सरकारी आईटी को मॉडल आईटी में अपग्रेड करने के लिए, 2014 और 2021 के बीच, लगभग 190 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 193 नए कौशल विकास संस्थान स्थापित किए गए हैं। कौशल विकास पर व्यय के रूप में 81.83 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। विभिन्न योजनाओं के तहत कुल 16,05,801 लोगों को कौशल-सक्षम बनाया गया है।

उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत एमएसएमई को बढ़ावा दिया गया है। 978 इकाइयों को समर्थन/स्थापना करने के लिए 645.07 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। डीपीआईआईटी के अनुसार, पूर्वोत्तर से 3,865 स्टार्टअप पंजीकृत थे।

स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार पिछले आठ वर्षों में एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। सरकार रुपये खर्च कर चुकी है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार 2014-15 से 31,793.86 करोड़ व्यय कर चुकी है।

कैंसर योजना के तृतीयक स्तर की देखभाल के सुदृढ़ीकरण के तहत 19 राज्य कैंसर संस्थान और 20 तृतीयक स्तर की देखभाल कैंसर केंद्र स्वीकृत किए गए हैं।

पिछले आठ वर्षों में, इस क्षेत्र में शिक्षा अवसंरचना में सुधार के लिए प्रयास किए गए हैं।

2014 से अब तक, सरकार ने पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 14,009 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उच्च शिक्षा के लिए, 191 नए संस्थान स्थापित किए गए हैं। 2014 से स्थापित विश्वविद्यालयों की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014-15 से उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है। 2014-15 से, सरकार ने 37,092 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिनमें से अब तक 10,003 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

9,265 करोड़ रुपये की नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड (एनईजीजी) परियोजना पर काम चल रहा है, जिससे एनईआर की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों को रोशन करने के लिए 550 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है।

पहली बार जिला स्तरीय एसडीजी सूचकांक स्थापित किया गया है। एसडीजी सूचकांक का दूसरा संस्करण तैयार है और इसे जल्द ही जारी किये जाएगा।

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