कोरोना संकट : भयभीत नहीं भयमुक्त हों

Uttarakhand

काका हरिओम्
हिम शिखर ब्यूरो

यह दौर डराने वाला है. लेकिन सवाल तो यह उठता है कि इससे उपलब्धि क्या होगी. मनो-चिकित्सकों की मानें, तो ऐसा करके आप खुद को उलझा लेंगे. इसलिए इस आपदा के कारणों को समझें और अपने मन-शरीर के स्वभाव को देखते हुए उनका निदान करने का प्रयास करें.

मीडिया के विभिन्न स्रोतों से आपको इस बारे में जो तरह-तरह की जानकारी मिल रही है, उसने भी आपको एक अजीब सी अनिश्चय की स्थिति में डाल दिया है, जिसकी वजह से आपमें उपेक्षा पनपी है. यह विनाशकारी है-व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर. ध्यान रहे, जब ज्यादा विकल्प हों तो निर्णय आपके विवेक को लेना होता है. क्या यह अच्छी बात नहीं है कि प्रत्येक इस मामले में अपनी रुचि दिखा रहा है, अपने तरीके से.

Uttarakhand

आप जानते ही हैं कि भय आपके आत्मबल को कमजोर करता है. भय की स्थिति आपके शरीर में ऐसी रासायनिक प्रक्रिया को बढ़ावा देती है, जिससे आपका एम्यून सिस्टम कमजोर होता है. मन पर हुए प्रयोगों ने सिद्ध किया है कि मन का प्रभाव शरीर पर काफी गहरा होता है.

Uttarakhand

आचार्य चाणक्य का कथन आज के संदर्भ में भी सही सिद्ध होता है कि आखिरी सांस तक लड़ो. और यह भी कि सावधान रहो. शत्रु को मौका न दो घर में प्रवेश करने का, क्योंकि एक बार वह यदि घर में घुस गया तो दिक्कत पैदा कर देगा. किसी ने सच ही कहा है, पहले हम मन से हारते हैं फिर जंग में.

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *