कोरोना संकट का एक साल: जब वीरान हो गए गांव-शहर

Uttarakhand

हिमशिखर ब्यूरो।
22 मार्च 2020 का दिन हर किसी के जेहन में आज भी याद है। आज से ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। सुबह से देर रात तक चारों ओर सन्नाटे के साथ ही लाॅकडाउन की शुरूआत हो गई। ऐसा लाॅकडाउन, जिसने निराशा, भय, अनिश्चितता की ओर धकेल दिया। गाड़ियों के पहिए थमने से सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। इतना ही नहीं कारोबार से लेकर रोजगार तक सब कुछ नेपथ्य में चले गए। कुछ शेष रहा तो जीवन प्रत्याशा… जिंदा रहने की उम्मीद। नहीं मालूम था कि लाॅकडाउन के बाद की दुनिया कैसे होगी? आज उसी जनता कफ्र्यू के एक साल पूरे हो गए हैं। बावजूद इसके इस मुश्किल वक्त से हमने बहुत कुछ सीखा भी है।

नई तकनीक: डिजिटल प्लेटफार्म
कोरोना काल के दौरान सुरक्षित शारीरिक दूरी को बनाए रखने में डिजिटल प्लेटफार्म ने अहम भूमिका निभाई है। नौकरी पेशा को डिजिटल प्लेटफार्म पर ला दिया, अधिकांश विभागों के कामकाज और बैठकें आॅनलाइन निपटाए गए। यही नहीं स्कूल की क्लास से लेकर सीखने के लिए डांसिंग, म्यूजिक तक सब कुछ डिजिटल प्लेटफार्म से संभव हुआ। इसके लिए गूगल मीट, जूम जैसे ऐप ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी रामतीर्थ परिसर निदेशक प्रो एए बौड़ाई का कहना है कि कोरोना काल में छात्रों के साथ ही आमजन को डिजिटल प्लेटफार्म ने एक बड़ा संबल दिया है। इससे घर बैठे ही छात्रों को पढ़ने का काफी हद तक लाभ मिला है।

फिजूलखर्ची नहीं: जरूरी चीजों पर खर्च
फिजूलखर्ची की बजाए लोगों ने जरूरी चीजों सेहत, तकनीकी पर खर्च करना शुरू किया। इम्यूनिटी बढ़ाने के प्रति लोग गंभीर हुए। इसके साथ ही पोषणयुक्त चीजों का प्रयोग भी बढ़ा। वर्क फ्राॅम होम व बच्चों की आॅनलाइन क्लास के चलते डिवाइसेस, गैजेट्स और हैल्थ इंश्यारेंस पर भी फोकस किया।

Uttarakhand

आपातकालीन निधि: आपदा के लिए बजत जरूरी
किसी भी इमरजेंसी के समय धन बचाने के लिए एक आपातकालीन निधि का होना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए कम से कम 6 माह तक घरेलू व जरूरत की चीजों पर खर्च के लिए धनराशि जरूरी है। ताकि आपातकाल या नौकरी जाने की स्थिति में बिना किसी दिक्कत के रोजमर्रा की चीजों के लिए आश्रित न होना पड़े। अब लोगों ने इसके लिए सेविंग करना शुरू कर दिया है।

कर्म करो फल की चिंता मत करो
कोरोना काल ने यह भी सिखाया कि जीवन में जो कुछ भी स्थिर है वह बदल सकता है। आज हमारे पास धन-दौलत है, कल हो सकता है वह हो या न हो। कल क्या होगा, यह मालूम नहीं है, लेकिन यह मानना चाहिए कि जीवन एक सुंदर यात्रा है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन ही नहीं मनुष्य मात्र को यह उपदेश दिया है कि ‘कर्म करो और फल की चिंता मत करो।’ फल की इच्छा रखते हुए कोई काम मत करो। अतः सुखी रहना है तो सिर्फ अच्छे कर्म करो और वह भी निष्काम भाव से। श्रीकृष्ण का उपदेश सुनकर जिस प्रकार अर्जुन का मोहभंग हो गया था और उन्हें पाप और पुण्य का ज्ञान हो गया था। इसलिए इस जीवन रूपी यात्रा का आनंद लेना चाहिए।

Uttarakhand

ऐसे शुरू हुई महामारी …
30 जनवरी: चीन के वुहान से अपने घर घर लौटी केरल की एक छात्रा में कोविड-19 की पुष्टि हुई थी।
31 जनवरी: डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक आपदा घोषित किया
03 फरवरी: केरल में 3 छात्र संक्रमित
11 फरवरी: डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस का नाम कोविड-19 दिया
02 मार्च: दिल्ली में दो और नए केस
11 मार्च: डब्ल्यूएचओ ने महामारी घोषित किया
12 मार्च: कर्नाटक में कोरोना से पहली मौत
22 मार्च: जनता कफ्र्यू
25 मार्च: 21 दिन का लाॅकडाउन
30 मार्च: तबलीगी जमात मुख्यालय कोरोना हाॅटस्पाॅट बना
05 अप्रैल: महामारी के खिलाफ मोमबत्ती-दीया जलाने का आग्रह
01 मई: प्रवासियों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन
19 मई: संक्रमितों की संख्या एक लाख पार
04 जून: वैक्सीन उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका-सीरम इंस्टीट्यूट के बीच समझौता
08 जून: अनलाॅक 1.0 माॅल, होटल, रेस्तरां, पूजा स्थल खोलने की अनुमति
01 जुलाई: अनलाॅक 2.0 ट्रेन सेवा शुरू
जनवरी 2021: 60 वर्ष से अधिक आयु के 1 करोड़ से अधिक लोगों को 15 दिन में वैक्सीनेशन

Uttarakhand

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *