प्रकृति के ऋण उतारने का दिन: हरियाली अमावस्या आज, स्नान-दान, श्राद्ध-तर्पण और प्रकृति की सेवा करने का शुभ योग

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

आज 28 जुलाई को सावन महीने की अमावस्या है। ये प्रकृति के ऋण को उतारने का दिन है। प्रकृति से हमें हवा, पानी, धूप, भोजन सब कुछ मिलता है। इंसान अपनी सुख-सुविधाओं के लिए लगातार प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, ऐसे में हरियाली अमावस्या का संदेश ये है कि हमें प्रकृति की देखभाल करनी चाहिए। कुछ ऐसे काम करना चाहिए, जिनसे प्रकृति को लाभ मिल सके। प्रकृति की हरियाली बनी रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना चाहिए।

हरियाली अमावस्या पर पूजा-पाठ, स्नान-दान, श्राद्ध-तर्पण के साथ ही प्रकृति की सेवा करने का दिन है। इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करें। दोपहर में गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और उस पर गुड़-घी डालकर पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। धूप देते समय हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें।

हरियाली अमावस्या पर स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल और वस्त्रों का दान करें। यदि नदी में स्नान कर रहे हैं, तो लापरवाही बिल्कुल न करें। अभी बारिश की वजह से सभी नदियों में पानी काफी अधिक है।

हरियाली अमावस्या पर लगाएं पौधे

इस दिन अपने घर के आसपास किसी सार्वजनिक जगह पर या किसी मंदिर में पीपल, नीम, बिल्व, आंवला, आम या किसी अन्य छायादार वृक्ष का पौधा लगाएं। पौधा ऐसी जगह लगाएं, जिससे आम लोगों को उसकी छाया और फल मिल सके।

गुरुवार को शिव जी और विष्णु जी की करें पूजा

 ऊँ नम: शिवाय का जप करते हुए शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं। बिल्व पत्र, दुर्वा, आंकड़े के फूल आदि चीजें चढ़ाएं। विष्णु जी का अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा-पाठ करें। गुरु ग्रह की पूजा भी शिवलिंग रूप में ही की जाती है। शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं। दीपक जलाएं और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

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