हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय सचिव भारत सरकार स्वामी कमलानंद (डा. कमल टावरी) ने तिरुपति बालाजी की तर्ज पर अयोध्या में श्रीराम मंदिर में बद्री गाय के घी से दीपक प्रज्ज्वलित करने की मांग की है। कहा कि इससे उत्तराखण्ड की बद्री गाय को देश-विदेश में बड़ी पहचान मिलेगी और इसके संरक्षण और संवर्धन को बल मिलेेगा।
स्वामी कमलानंद ने कहा कि बद्री गाय को उत्तराखंड के पहाड़ की कामधेनु का दर्जा दिया गया है। बद्री गाय की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। बद्री गाय हिमालय के पर्वतीय भू-भाग में जंगलों में होने वाली घास के साथ वहां उत्पन्न जड़ी-बूटी भी चरती है, जिस कारण बद्री गाय के दूध में लगभग 90 प्रतिशत ए2 बीटा कैसिइन प्रोटीन होता है, जो किसी भी देशी किस्मों में अधिक होता है। इसलिए इसका दूध अमृत के समान होता है। इनके दूध से बने घी और पंचगव्य काफी गुणकारी और लाभकारी माने जाते हैं। कहा कि उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन तेजी से हो रहा है।
स्वामी कमलानंद ने कहा कि तिरुपति बालाजी में पुंगनुर गाय के घी से देवपूजन और आरती की जाती है। जिससे देशभर में पुंगनुर गाय के प्रति लोगों में अधिक आस्था जागृत हुई और उसके उत्पादों को मार्केट मिला है। इसी तरह यदि अयोध्या में श्रीराम मंदिर में बद्री गाय के घी से आरती- दीपक प्रज्ज्वलित करने की परंपरा शुरू की जाए तो इस गाय की उपयोगिता का विश्वभर में आसानी प्रचार प्रसार हो सकेगा। जिससे इस गाय के उत्पादों की मांग बढ़ने से इनका संरक्षण और संवर्द्धन आसानी से हो सकेगा।
स्वामी कमलानंद ने चिंता जताते हुए कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में कई गांव खाली हो गए हैं। पलायन वाले गांवों में बद्री गाय का पालन किया जाए और पलायन के गांव बद्री गाय के गांव घोषित किया जाना चाहिए।