सुप्रभातम् : मिट्टी हवा पानी को दूषित मत करना, वर्ना संकट आ जाएगा

हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

भगवान श्रीकृष्ण ने बचपन में एक बार मिट्टी खाई थी। पूर्णावतार भगवान कोई भी कार्य ऐसे ही नहीं करते। उसके पीछे कारण होते हैं। परमेश्वर कन्हैया ने मिट्टी खाई। इस लीला के पीछे भी कल्याण के कई कारण थे।

कुछ ग्वाले इस बात की सूचना देने के लिए यशोदा जी के पास पहुंचे और कहा- ‘मैया कन्हैया ने मिट्टी खा ली है।’

यशोदा जी ने बलराम से पूछा- ‘दाऊ, क्या ये सभी सही कह रहे हैं?’

बलराम ने कहा- ‘हां, कन्हैया ने मिट्टी खाई है।’

यशोदा जी ने सभी बात सुनने के बाद कन्हैया को पकड़ा और पूछा- ‘तूने मिट्टी क्यों खाई?’

कन्हैया ने कहा- ‘मैया, मैंने मिट्टी नहीं खाई। तुम हमेशा इन लोगों की बातें सच मानती हो। लो मेरा मुंह तुम्हारे सामने है, अपनी आंखों से देख लो।’

यशोदा जी ने कन्हैया से मुंह खोलने के लिए कहा तो उन्होंने मुंह खोल दिया। जैसे ही यशोदा जी ने कृष्ण के मुंह में झांका तो वे चौंक गईं, क्योंकि कृष्ण के मुंह में तो पूरा जगत समाया हुआ था। सभी दिशाएं, पहाड़, द्वीप, पृथ्वी सब कुछ कृष्ण के मुंह में दिखाई दे रहा था।

ये देखकर यशोदा जी सोचने लगीं कि ये कोई इंद्रजाल है या मेरा बेटा है, कुछ देर के लिए यशोदा जी भ्रमित हो गईं। थोड़ी देर बाद यशोदा जी को ध्यान आया कि ये तो मेरा बेटा है। इसके बाद उन्होंने कृष्ण को गले से लगा लिया।

तब बहुत से ग्वालों ने कृष्ण से पूछा- ‘ये सब क्या है?’

कृष्ण ने जवाब दिया- ‘देखो तो लीला है और न समझो तो जादू है।’

कृष्ण के भक्तों के मन में ये प्रश्न हमेशा खड़ा होता है कि उन्होंने अपनी मां को अपने मुंह में पूरा ब्रह्मांड क्यों दिखाया? जब मिट्टी खाई तो मां से झूठ क्यों बोला?

दरअसल कृष्ण अपनी लीला से एक संदेश देना चाहते हैं कि मैं जो भी काम करता हूं, उसमें प्रतीकात्मक रूप से एक सीख होती है। मैंने मिट्टी नहीं खाई थी, मैं ये बताना चाहता था कि मेरे साथी ग्वाले जिस पृथ्वी पर घूमते हैं और गंदा करते हैं, उसे मान देने के लिए धरती के कुछ कण मैंने मुंह में रख लिए। जब मां डांट रही थीं तो मैं ये बताना चाहता था कि मां वो मिट्टी नहीं है, वो पृथ्वी का वह रूप है, जिसे सभी को सम्मान देना चाहिए।

सीख – श्रीकृष्ण ने संदेश दिया है कि जिस पृथ्वी को हम गंदा करते हैं, नदियों को दूषित करते हैं, पेड़ों को काटते हैं, उस पृथ्वी को श्रीकृष्ण भी बहुत सम्मान देते हैं। इसलिए हमें भी भूमि को गंदा करते उसे अपमानित नहीं करना चाहिए। अगर हम धरती को, नदियों को गंदा करेंगे, पेड़ों को काटेंगे तो भविष्य में इंसानों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *