आज का पंचांग: चरित्र का महल 

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आषाढ़ मास की 18 है।

आज का पंचांग

सोमवार, जुलाई 1, 2024
सूर्योदय: 05:27 ए एम
सूर्यास्त: 07:23 पी एम
तिथि: दशमी – 10:26 ए एम तक
नक्षत्र: अश्विनी – 06:26 ए एम तक
क्षय नक्षत्र: भरणी – 05:27 ए एम, जुलाई 02 तक
योग: सुकर्मा – 01:42 पी एम तक
करण: विष्टि – 10:26 ए एम तक
द्वितीय करण: बव – 09:32 पी एम तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: सोमवार
अमान्त महीना: ज्येष्ठ
पूर्णिमान्त महीना: आषाढ़
चन्द्र राशि: मेष
सूर्य राशि: मिथुन

आज का विचार

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरे सपने देखने के हौंसले को ज़िन्दगी कहते हैं। आज से हम हिम्मतवान बनें और अपने सपने को सच कर दिखाने की मेहनत करें।

बान प्रताप जान मारीचा। तासु कहा नहिं मानेहि नीचा॥
जनक सभाँ अगनित भूपाला। रहे तुम्हउ बल अतुल बिसाला॥

श्री रामजी के बाण का प्रताप तो नीच मारीच भी जानता था, परन्तु आपने उसका कहना भी नहीं माना। जनक की सभा में अगणित राजागण थे। वहाँ विशाल और अतुलनीय बल वाले आप भी थे॥

सुनु कपि जियँ मानसि जनि ऊना
तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना ।
समदरसी मोहि कह सब कोऊ
सेवक प्रिय अनन्य गति सोऊ।
( किष्किन्धाकांड )
राम राम बंधुओं, परमात्मा सीता जी को खोजते रिष्यमूक पर्वत पहुँचते हैं । सुग्रीव हनुमान जी को इनका पता लगाने के लिए भेजते हैं। हनुमान जी राम जी को पहचान कर उनके चरणों में गिर पड़ते हैं। परमात्मा उन्हें उठाकर ह्रदय से लगाते हैं और कहते हैं कि आप ग्लानि नहीं करना, आप लक्ष्मण से दूने मुझे प्रिय हो। मुझे सब समदर्शी कहते हैं पर मुझे सेवक प्रिय हैं कारण उसकी मुझमें अनन्यगति होती है ।

मित्रों, हमें राम प्रियता पानी है तो हमें राम जी का अनन्य होना पड़ेगा। हम सबके हैं और पूर्णरूप से किसी के भी नहीं हैं। राम जी की प्रियता प्राप्त करना चाहते हैं तो केवल राम जी के बन के रहें व राम जी में ही लगें रहें अतएव श्रीराम जय राम जय जय राम।

 आज का भगवद् चिन्तन

चरित्र का महल 

हमारे जीवन में चरित्र का महल सुंदर के साथ-साथ टिकाऊ भी होना चाहिए। जिस प्रकार महल बनाने में वर्षों लग जाते हैं पर उसे ध्वस्त करने के लिए एक क्षण पर्याप्त होता है। ठीक इसी प्रकार चरित्र निर्माण में तो वर्षों लग जाते हैं लेकिन चरित्र के पतन होने में भी एक क्षण मात्र लगता है। ऐसे कर्म मत करो जिससे कि आपको दूसरों की नजरों से गिरना पड़े। प्रत्येक कार्य को करने से पहले उसके परिणाम का विचार अवश्य कर लेना चाहिए।

परिणाम के बाद नहीं अपितु कार्य करने के पहले सोचने की आदत बनाओ ताकि कार्य बिगड़ने की संभावना नगण्य बनी रहे। किसी भी ऐसे कार्य को करने से पहले हजार बार सोचो जिसे करने से आपका चरित्र अपवित्र होता हो।अपने आपको दूसरों की नजरों में गिरने से बचाओ क्योंकि पहाड़ से गिरकर फिर उठा जा सकता है लेकिन दूसरों की नजरों से गिरकर उठना आसान बात नहीं है।

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