पंडित उदय शंकर भट्ट
आज आपका दिन मंगलमयी है, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आषाढ़ मास की 12 गते है।
आज का पंचांग
बुधवार, जून 26, 2024
सूर्योदय: 05:25 ए एम
सूर्यास्त: 07:23 पी एम
तिथि: पञ्चमी – 08:55 पी एम तक
नक्षत्र: धनिष्ठा – 01:05 पी एम तक
योग: विष्कम्भ – 06:14 ए एम तक
क्षय योग: प्रीति – 03:21 ए एम, जून 27 तक
करण: कौलव – 10:03 ए एम तक
द्वितीय करण: तैतिल – 08:55 पी एम तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: बुधवार
अमान्त महीना: ज्येष्ठ
पूर्णिमान्त महीना: आषाढ़
चन्द्र राशि: कुम्भ
सूर्य राशि: मिथुन
आज का विचार
बुराई को देखना और सुनना ही बुराई की शुरुआत है। आज के परिणाम अतीत के कर्मो से तय होते है। अपने भविष्य को बदल पाने के लिए आज के फैसलों को बदले.!
श्रीरामचरितमानस
सुनहु भानुकुल केतु, जामवंत कर जोरि कह ।
नाथ नाम तव सेतु, नर चढ़ि भवसागर तरहिं ।।
( लंकाकांड , सोरठा 1)
सागर पार करने के लिए राम जी को समुद्र ने उपाय बताया है। राम जी ने मंत्रियों को बुलाकर पुल तैयार करने को कहा है। इसी बीच जामवंत जी राम जी से कहते हैं कि हे सूर्य कुल के ध्वज, सुनिए ! आपका नाम सेतु है जिसपर चढ़कर मनुष्य संसार सागर पार कर लेते हैं।
मित्रों! राम नाम रूपी सेतु सबसे मज़बूत पुल है, इस पर चढ़कर अभी तक अनगिनत लोग संसार सागर पार उतर गये हैं । हम आप हैं कि भटक रहें हैं। आइए, साथ चलते हैं और राम नाम रूपी पुल पर चढ कर संसार सागर से पार उतर जाते हैं।
आज का भगवद् चिन्तन
हमारा मूल स्वभाव
पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर शीतल हो जायेगा।इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में,भय में अशांति में रह लें पर थोड़ी देर बाद बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना ही होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है।इतना ऊर्जा सम्पन्न जीवन परमात्मा ने हमें दिया है स्वयं का तो क्या लाखों-लाखों लोगों का कल्याण करने के निमित्त भी हम बन सकते हैं।
हमें स्वयं की शक्ति और स्वभाव को समझने की आवश्यकता है।निज स्वभाव की विस्मृति ही मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी बाधा है।हम थोड़ी देर में ही परिस्थिति के आगे घुटने टेक कर उसे अपने ऊपर हावी कर लेते हैं। किसी संग दोष के कारण, किन्हीं बातों के प्रभाव में आकर निराश हो जाना, यह संयोग जन्य स्थिति है। आनंद, प्रसन्नता, उत्साह, उल्लास और सात्विकता यही हमारा मूल स्वभाव है, यही हमारा निज स्वरूप भी है।