आज का पंचांग: जानिए आपका गण और उससे संबंधित क्या शक्तियां हैं आपके पास

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

आज आपका दिन मंगलमयी हो, यही मंगलकामना है। ‘हिमशिखर खबर’ हर रोज की तरह आज भी आपके लिए पंचांग प्रस्तुत कर रहा है। आज आषाढ़ मास की 17 है।

आज का पंचांग

रविवार, जून 30, 2024
सूर्योदय: 05:27 ए एम
सूर्यास्त: 07:23 पी एम
तिथि: नवमी – 12:19 पी एम तक
नक्षत्र: रेवती – 07:34 ए एम तक
योग: अतिगण्ड – 04:15 पी एम तक
करण: गर – 12:19 पी एम तक
द्वितीय करण: वणिज – 11:21 पी एम तक
पक्ष: कृष्ण पक्ष
वार: रविवार
अमान्त महीना: ज्येष्ठ
पूर्णिमान्त महीना: आषाढ़
चन्द्र राशि: मीन – 07:34 ए एम तक
सूर्य राशि: मिथुन

ज्‍योतिषशास्‍त्र में मनुष्‍य को तीन गणों में बांटा गया है – देव गण, मनुष्‍य गण और राक्षस गण। तीनों गणों में सर्वश्रेष्‍ठ गण ‘देव’ को माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति का गण राक्षस है तो इसका क्या मतलब है, क्या उसका व्यवहार राक्षसी प्रवृत्ति का होगा?

3 गण होते हैं
राक्षस गण
मनुष्य गण
और देव गण

गणों की सबसे ज्यादा आवश्यकता विवाह मिलान के समय पड़ती है

गण के आधार पर मनुष्य का स्वभाव और उसका चरित्र बताया गया है। जन्म के समय मौजूद नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति का गण निर्धारित होता है।

देव गण वाले जातक के गुण

देवगण में उत्पन्न पुरुष दानी, बुद्धिमान, सरल हृदय, अल्पाहारी व विचारों में श्रेष्ठ होता है। देवगण में जन्‍म लेने वाले जातक सुंदर और आकर्षक व्‍यक्‍तित्‍व के होते हैं। इनका दिमाग काफी तेज होता है। ये जातक स्‍वभाव से सरल और सीधे होते हैं। दूसरों के प्रति दया का भाव रखना और दूसरों की सहायता करना इन्‍हें अच्‍छा लगता है। जरूरतमंदों की मदद करने के लिए इस गण वाले जातक तत्‍पर रहते हैं।

मनुष्य गण वाले जातक के गुण

मनुष्य गण में उत्पन्न पुरुष मानी, धनवान, विशाल नेत्र वाला, धनुर्विद्या का जानकार, ठीक निशाने बेध करने वाला, गौर वर्ण, नगरवासियों को वश में करने वाला होता है। ऐसे जातक किसी समस्या या नकारात्मक स्थिति में भयभीत हो जाते हैं। परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता कम होती है।

राक्षस गण के जातक के गुण

राक्षस गण में उत्पन्न बालक उन्मादयुक्त, भयंकर स्वरूप, झगड़ालु, प्रमेह रोग से पीड़ि‍त और कटु वचन बोलने वाला होता है। मगर, इसके बावजूद भी राक्षस गण के जातकों में कई अच्छाइयां होती हैं। ये अपने आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियों को आसानी से पहचान लेते हैं। भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास इन्हें पहले ही हो जाता है। इनका सिक्स सेंस जबरदस्त होता है। ये परिस्थितियों से डरकर भागते नहीं हैं, बल्कि उनका मजबूती से मुकाबला करते हैं।

इन नक्षत्रों में बनता है ‘देव गण’

जिन जातकों का जन्म अश्विनी, मृगशिरा, पुर्नवासु, पुष्‍य, हस्‍त, स्‍वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती नक्षत्र में होता है, वे देव गण के जातक होते हैं।

मनुष्य गण के नक्षत्र

जिन जातकों का जन्म भरणी, रोहिणी, आर्दा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा, उत्तर षाढा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद में होता है, वे मनुष्य गण के जातक होते हैं।

राक्षस गण के नक्षत्र

जिन जातकों का जन्म अश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग राक्षण गण के अधीन माने जाते हैं।

राक्षस गण

 राक्षस गण वाले लोग नकारात्मक चीजों को बहुत जल्दी पहचान लेते हैं
सिक्स सेंस यानि छठी इंद्री काफी तेज होती है
निडर साहसी , कठोर वचन बोलने वाले
हर परिस्थिति का डटकर सामना करने वाले होते हैं
राक्षस गण को देव गण से शादी नहीं करना चाहिए क्योंकि स्वभाव में ज्यादा अंतर होने की वजह से तालमेल नहीं बैठ पाता

देवगण में पैदा होने होने का फल
दानी, सरल हृदय, विचारों में श्रेष्ठ होता है।
देवगण में जन्‍म लेने वाले जातक आकर्षक व्‍यक्‍तित्‍व के होते हैं।
ये जातक स्‍वभाव से सरल और सीधे होते हैं।
दूसरों के प्रति दया का भाव रखना और दूसरों की सहायता करना इन्‍हें अच्‍छा लगता है।
जरूरतमंदों की मदद करने के लिए इस गण वाले जातक तत्‍पर रहते हैं।

मनुष्य गण में पैदा होने होने का फल
परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता कम होती है।
ऐसे जातक किसी समस्या या नकारात्मक स्थिति में शीघ्र ही भयभीत हो जाते हैं
अपनी बुद्धि से अपना कार्य करवाने की दक्षता रखते हैं
मनुष्य स्वभाव + संगत के कारण कभी देवता तो कभी दानव के गुण इन में देखे जाते हैं

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