सुप्रभातम् : क्यों कहते हैं बजरंगबली को हनुमान

पंडित उदय शंकर भट्ट

Uttarakhand

हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार का दिन उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि कलियुग में हनुमान जी की पूजा सभी प्रकार के दुख और कष्टों को दूर करने में सक्षम है। हनुमान जी बल और बुद्धि के दाता हैं। उनमें अपार शक्तियां हैं। वे आठ प्रकार की विधाओं के जानकार हैं। उनके सामने किसी भी प्रकार का भय नहीं टिकता है। हनुमान जी की पूजा शिक्षा और करियर से जुड़े मामलों में भी सफलता देती है। मंगलवार को हनुमान जी की पूजा विधि पूर्वक करनी चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

हनुमान जी सूर्य को निगल गए

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी ने बाल्यावस्था में खेल खेल में ही सूर्य को निगल लिया था। जब इस बात की जानकारी इंद्र देव को हुई तो अपने श्वेत ऐरावत हाथी पर सवार सूर्य का पता लगाने के लिए निकले। दूर से इंद्र को आता देख हनुमान जी को प्रतीत हुआ कि ये कोई सफेद रंग का फल है। हनुमान जी तेजी से इंद्र की तरफ लपके, इंद्र को हनुमान जी की इस शरारत को देख क्रोध आ गया, अपनी सुरक्षा करते हुए हनुमान जी की ठुड्डी पर अपना वज्र मार दिया। जिससे हनुमान जी का मुख खुल गया और सूर्य देव बाहर आ गए। लेकिन वज्र के प्रहार से हनुमान जी बेहोश हो गए।

हनुमान जी के पिता पवन और माता अंजनी को इस बात का जब पता चला तो वे क्रोध में आ गए। क्रोध में आकर हनुमान जी के पिता ने वायु को रोक दिया। वायु को रूकने से सभी परेशान हो गए। तब सभी देवी देवताओं ने क्षमा मांगी, ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को ठीक किया। ब्रह्मा जी और सभी देवताओं ने मिलकर वरदान दिया कि इस वालक पर कोई भी अस्त्र और शस्त्र का असर नहीं होगा। इन्द्र के वज्र से हनुमानजी की ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिये देवताओं ने उनको हनुमान का नाम दिया।

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