सुप्रभातम्:जानिए मां दुर्गा के नौ रूप और उनके नामों का रहस्य !

मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विशेष पूजा के पर्व को नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। माता के नौ रूपों को हम सब पूजते तो हैं, लेकिन ये नौ नाम माता को मिले कैसे, इस बारे में नहीं जानते। यहां जानिए मां के नौ रूपों का रहस्य क्या है-


हिमशिखर धर्म डेस्क

Uttarakhand

या श्री: स्वयम स्वकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:

पापात्मनां कृतधियां हृद्येशु बुद्धि:। 

श्रृद्धा शतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा,

ता त्वां नतास्म परिपालय देवि विश्वं।। 

जो महा शक्ति पुण्यात्माओं के गृह में लक्ष्मी स्वरुप में, पापियों के घर में दरिद्रता रूप में, सत्पुरुषों में श्रृद्धा रूप में, शुद्ध:अंतःकरण वाले ह्रदय में बुद्धि रूप में तथा कुलीन मनुष्य में लज्जा रूप में निवास करती है . हे देवि ! आप समस्त विश्व का कल्याण करें, पोषण करें.

 माँ आदि शक्ति के अनेक स्वरुप हैं, जिनके माध्यम से भक्तों का कल्याण करते हुए इस चराचर जगत में सदैव विचरण करती रहती है, माँ आद्धा शक्ति मनुष्य ही नहीं अपितु शिव की की भी शक्ति हैं शिव भी शक्ति के बगैर शव समान हैं, ये सर्व विदित हैं, जिनके बिना ब्रह्मा श्रष्टि का निर्माण करने में असमर्थ हैं तो विष्णु पालन करने में. उस आदि शक्ति की पूजा न करने वाला व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ दुर्भाग्यशाली ही माना जायेगा. जो जगत्जननी अपने विभिन्न रूपों में मानव का कल्याण करती है जिनके एक एक स्वरुप की माया अति निराली है उस जो अति शीघ्र प्रसन्न होने वाली है उसी जगदम्बा के पर्व वर्ष में चार बार नवरात्रि के रूप में आते हैं जिनके माध्यम से अपनी उर्जा को संचार कर जगत का कल्याण करती है, क्योंकि इस वक्त माँ की उर्जा, माँ की कृपा, चहुँ ओर पूर्ण शांति, पुष्टि, तुष्टि और क्रियात्मक रूप में बरसती है. उसी माँ भगवती का आशीर्वाद प्राप्त और वरदान प्राप्त करना प्रत्येक साधक का न केवल कर्तव्य अपितु अधिकार भी है क्योंकि माँ के स्नेह पर तो सभी बच्चों का समान अधिकार है.

नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की परंपरा है. मार्कंडेय पुराण में शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक 9 देवियां बताई गई हैं. नौ दिनों के इस शक्ति पर्व के दौरान इन देवियों की विशेष पूजा से हर तरह की तकलीफ और दुख दूर हो जाते हैं. हर देवी का नाम उनकी शक्ति और खास रूप के मुताबिक है. इसलिए नवरात्रि में हर देवी की पूजा के लिए एक दिन तय किया है. इससे हर देवी की पूजा का विशेष फल मिलता है.

देवी शैलपुत्री की पूजा से शक्ति मिलती है, वहीं, ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से प्रसिद्धि, चंद्रघंटा से एकाग्रता, कूष्मांडा से दया, स्कंदमाता से सफलता और कात्यायनी देवी की पूजा से कामकाज में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। इनके साथ ही देवी कालरात्रि की पूजा से दुश्मनों पर जीत, महागौरी से तरक्की, सुख, ऐश्वर्य और सिद्धिदात्री देवी की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

देवी के 9 रूप
प्रथम शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेती कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः । – देवी कवच (मार्कंडेय पुराण)

कैसे पड़े माता के ये नौ नाम

1. शैलपुत्री: देवी पार्वती को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. शैल का शाब्दिक अर्थ पर्वत होता है. पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया.

2. ब्रह्मचारिणी: ब्रह्म का अर्थ है तपस्या, कठोर तपस्या का आचरण करने वाली देवी को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने वर्षों तक कठोर तप किया था. इसलिए माता को ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया.

3. चंद्रघंटा: देवी के मस्तक पर अर्ध चंद्र के आकार का तिलक विराजमान है इसीलिए इनको चंद्रघंटा के नाम से भी जाना जाता है.

4. कूष्मांडा: देवी में ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त है और वे उदर से अंड तक अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, इसलिए मातारानी को कूष्मांडा नाम से जाना जाता है.

5. स्कंदमाता: माता पार्वती कार्तिकेय की मां हैं. कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है. इस तरह स्कंद की माता यानी स्कंदमाता कहलाती हैं.

6. कात्यायिनी: जब महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया था, तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया. इस देवी की सर्वप्रथम पूजा महर्षि कात्यायन ने की थी. इसलिए इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना गया.

7. कालरात्रि: मां भगवती के सातवें रूप को कालरात्रि कहते हैं. काल यानी संकट, जिसमें हर तरह का संकट खत्म कर देने की शक्ति हो, वो माता कालरात्रि हैं. माता कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं और राक्षसों का वध करने वाली हैं. माता के इस रूप के पूजन से सभी संकटों का नाश होता है.

8. महागौरी: कहा जाता है कि जब भगवान शिव को पाने के लिए माता ने इतना कठोर तप किया था कि वे काली पड़ गई थीं. जब महादेव उनकी तप से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया, तब भोलेनाथ ने उनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया था. इसके बाद माता का शरीर विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान-गौर हो उठा था. इसके स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना गया.

9. सिद्धिदात्री: अपने भक्तों को सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी होने के कारण इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है. माना जाता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवियों की उपासना हो जाती है और भक्त के कठिन से कठिन काम भी सरल हो जाते हैं.

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