सुप्रभातम्: क्या आप हनुमान जी की शक्तियों को जानते हैं?

हिमशिखर धर्म डेस्क

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आमतौर पर देखा जाता है कि कुंडली में मंगल ग्रह से पीड़ित लोग ज्यादा हनुमान जी की पूजा-पाठ करते हैं। इंसान के शरीर में कष्ट बहुत अधिक बढ़ने पर हनुमान जी की पूजा की सलाह दी जाती है। क्योकि हनुमानजी को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद है। हनुमान जी की आराधना करने से सभी ग्रहों की कष्ट पीडा कम होती जाती है। हनुमान जी का आशीर्वाद मिलने पर ग्रहों की कष्ट-पीडा जीवन से जाने लगती है और सुख-समृद्धि आने लगती है।

हनुमानजी को मंगल ग्रह का देवता कहा जाता है। मंगल आपके साहस, शक्ति, ऊर्जा और जीवन में मांगलिक काम करने वाला ग्रह है। इस ग्रह से ही जमीन और घर का प्रभाव देखा जाता है।

हनुमानजी का शरीर चर्बी से रहित और गठीला है। मजबूत शरीर ही उनकी ऊर्जा का मूल है। शारीरिक बल के कारण ही उन्होंने समुद्र पार किया, लंका को जलाया और संजीवनी पर्वत लाकर लक्ष्मण को दोबारा जीवन दिया।

बीमारियों से लड़ने की ताकत भी इसी ग्रह से देखी जाती है, इसलिए व्यवहारिक ज्योतिष से समझें तो दैनिक जीवन में मंगल ग्रह को मजबूत करने के लिए कसरत भी बहुत जरूरी है। इसके लिए दौड़ लगाएं, योगाभ्यास करें, जिम करें, सुबह टहलें।

किसी भी तरह से नियमित व्यायाम करें। ऐसा करने से आपके शरीर मजबूत होगा और उस पर मंगल का असर बढ़ेगा। कसरत करने पर शरीर से मंगल के शत्रु शनि के तत्व बाहर निकलते हैं। यानी वसा और नमक। शरीर में वसा तैलीय खाने से बढ़ती है। शनि आलस्य के कारक है।

इस कारण कसरत में लोगों की दिलचस्पी कम ही होती है। जिससे शरीर धीरे-धीरे मोटा हो जाता है और ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानी शुरू हो जाती है।

यहां पर आपको हनुमान जी की शक्तियों को समझने की जरूरत है। हनुमान जी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता हैं। हनुमान जी की पूजा से मंगल ग्रह के गुण आपके अंदर आने लगते हैं। कई बार लोगों को उन शक्तियों का अहंकार हो जाता है। कहते है कि शक्तियां मिलती हैं तो व्यक्ति को उन शक्तियों का संचालन करना भी आना चाहिए। यहीं अक्सर लोग गलतियां कर बैठते हैं। शक्तियों का दुरुप्योग करना हनुमान जी को नापसंद है। हनुमान जी ने कभी भी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं किया। यदि आप में शक्तियां हैं, तो उनका संचालन करना भी आपको आना चाहिए। यदि शक्तियाें का दुरुपयोग किया तो हनुमान जी क्षमा नहीं करेंगे। साथ ही दंडित भी करेंगे। हनुमान जी को समझें कि वे बहुत शक्तिशाली हैं और कभी नहीं चाहते हैं कि उनके भक्त किसी का अहित करें।

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श्रीराम भक्त हनुमान को आठ सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान मां जानकी ने दिया था। दुनिया में सबसे कीमती वस्तुएं हैं- नौ निधियां जिन्हें पा लेने के बाद किसी भी प्रकार के धन और संपत्ति की आवश्यकता नहीं रहती हैं। हनुमानजी के पास आठ प्रकार की सिद्धियां थीं।

कौन सी हैं अष्ट सिद्धियां?

अणिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं।
महिमा: इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है।
गरिमा: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं।
लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं।
प्राप्ति: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं।
प्राकाम्य: इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं।
ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं।
वशित्व: इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं।

 क्या हैं नव निधियां?

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पद्म निधि: पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
महापद्म निधि: महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
नील निधि: निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
मुकुंद निधि: मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्य संग्रह में लगा रहता है।
नन्द निधि: नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणों वाला होता है वही कुल का आधार होता है।
मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है।
कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुण वाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।

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