डा. कमल टावरी बोले- आज पूरा देश राममय हुआ है: कहा- मंदिर निर्माण देखना परम सौभाग्य की बात

पूर्व केंद्रीय सचिव भारत सरकार

Uttarakhand

स्वामी कमलानंद (डा. कमल टावरी)


पूर्व केंद्रीय सचिव भारत सरकार, स्वामी कमलानंद (डा. कमल टावरी) ने कहा कि आज पूरा देश राममय हो गया है। हर जगह लोग राम की ही बात कर रहे हैं। सोशल मीडिया, टेलीविजन और समाचार पत्रों में बस राम के ही नाम की गूंज है। हो भी क्यों न, राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। जब वो मनुष्य रूप में अवतरित हुए तो उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा गया।

राम ने जो पत्थर फेंका वो डूब गया, बाकियों ने फेंका तो सेतु बना

स्वामी कमलानंद ने श्रीराम के वनवास के समय के कुछ अद्भुत बातों से पर्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘वानर सेना राम लिखे पत्थरों को समुद्र में फेंक रही थी, वो पत्थर सेतु बनते जा रहे थे। लेकिन श्रीराम ने जो पत्थर फेंका वो डूब गया। उन्होंने वहां मौजूद अपनी सेना से इसका कारण पूछा। सेना ने कहा कि प्रभु हम तो आपके नाम के पत्थर समुद्र में छोड़ रहे हैं, इसलिए वो सेतु बनते जा रहे हैं। लेकिन जिसे आपने छोड़ दिया उसका तो डूबना तय है।’

राम का नाम लेना जरूरी

स्वामी कमलानंद ने कहा, ‘राम चरित मानस में तुलसीदास जी ने यही कहा है कि राम का नाम लेना बहुत जरूरी है। चाहे वो मित्रता से लीजिए, या शत्रुता से। आज कई लोगों को राम नाम लेने में दिक्कत होती है। वो भगवान के अस्तित्व को ठुकराते हैं। वे भूल जाते हैं कि एक दिन उन्हें भी राममय हो जाना है। राम का नाम लेना कितने सौभाग्य की बात है, उन्हें इसका अंदाजा नहीं है।’

 

स्वामी कमलानंद ने कहा कि जीवन में राम नाम का बहुत महत्व है। जीवन के हर पल और हर क्षण में राम नाम चलन रहता है। बच्चे के जन्म में श्री राम का नाम लिया जाता है। विवाह आदि मांगलिक कार्यों के अवसर पर श्री राम के गीत गाए जाते हैं। यहां तक कि मनुष्य की अंतिम यात्रा में भी राम नाम का ही घोष किया जाता है। राम में शिव और शिव में राम विद्यमान हैं। राम सबकी चेतना का सजीव नाम है। श्री राम अपने भक्त को उसके हृदय में वास करके सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं उनमें सर्वाधिक श्रीफल देने वाला नाम राम का ही है। राम नाम सबसे सरल और सुरक्षित है और इसके जप से लक्ष्य की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है।

स्वामी कमलानंद ने कहा कि श्री राम ने हमेशा ही सामाजिक समानता का पालन किया। सबरी और केवट के भक्तिभाव को सहज रूप से स्वीकार किया। एक अच्छा प्रबंधक बनने के लिये यह आवश्यक है। श्री राम ने वनवास, सीता हरण, रावण जैसे विराट योद्धा के साथ युद्ध करते समय कभी भी उन्होंने धैर्य का स नहीं छोड़ा। अच्छे प्रबंधक को भी किसी भी परिस्थिति में धैर्य नही खोना चाहिए। कर्तव्यों का पालन किस तरीके से किया जाना चाहिए। श्री राम इसके सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। पुत्र, भाई, पति, शिष्य के रूप में श्री राम ने हर जगह अपने कर्तव्यों का पूर्णता से पालन किया। आज के युवा कठिन समय आने पर अवसाद से घिर जाते हैं, परन्तु श्री राम वह व्यक्तित्व थे जिन्हें राज्याभिषेक होने से एक दिन पहले वनवास हो जाने पर भी विचलित नहीं हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *