डा. कमल टावरी ने पीएम मोदी को लिखा खुला पत्र

डा कमल टावरी (भाई कमलानंद) 

Uttarakhand

राष्ट्र की वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए अब समय आ गया है कि क्विक समाधान देने वाला, असर करने वाला मॉडल जनता के सम्मुख रखा जाए। इस मॉडल के निर्माण के लिए क्लाइमेट इमरजेंसी की चुनौतियों को सबसे आगे रखा जाएगा। हम ऐसे मॉडल की बात कह रहें, जिससे ग्राम स्तर पर रोजगार, स्वावलंबन और स्वाभिमान बढ़ेगा। साथ ही सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा। सबसे पहले हमें क्रेडिट डिपोजिट रेस्यू बढ़ाए जाने की दिशा पर कार्य करना होगा। हर जिले में फारेस्ट कवर की कमी से हम वाकिफ हैं। हर जिले में लोगों को नेतृत्व की जरूरत है। इसके समाधान के लिए हमने मास्क अवेयरनेस इन ब्लाक एडोपशन प्रोग्राम बनाया है। यह यूएनएसीसी के अंतर्गत चल रहा है। इसके क्रियान्वयन के लिए पैसा सरकार से नहीं चाहिए। सरकार से केवल 29 विषयों, जो ग्राम सभा के अंतर्गत गांव में ही रोजगार, फारेस्ट कवर, सीडीआर और गांव में समृद्धि-संपन्नता आदि विषयों पर तुरंत कार्य हो सकता है।

यह कार्यक्रन अ- सरकारी असरकारी स्वानिमानी सलाहकार समिति के तहत डिजिटल मीडिया में चल रहा है। अब यह समय आ गया है कि जिससे सरकार पर भार न पड़े सरकार पर निर्भरता न हो और फटाफट लोगा की समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही मिल सके। ग्राम सभा एक फोरम है। इसके अंदर सभी पावर है। जरूरत है यूएनएसीसी को विश्व में यूएनओ, आईएलओ, डब्ल्यूएचओ के विकल्प के रूप में लाया जाए। इस अभियान में 100 करोड़ रुपए प्रति ब्लाक अगले एक महीने का अभियान होगा। इन इसको अ-सरकारी अन्तरकारी स्वानिमानी सलाहकार समिति के तहत जिसका ट्रस्ट और एनजीओ की है। अगले एक महीने अभियान के रूप में इनको खाली पड़े सरकारी भवन में चलाया जा सकता है। इसमें हारे-थके हुए लोगों को शामिल किया जा सकता है।

स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में जड़ से जुड़ो, सतों से समृद्धि गायों से वृद्धि चलो गांव की ओर, निराशा छोड़ो जब से जुड़ी और इसमें जितने पत्रकार है वे पत्रकार प्रेरित पर्यावरणीय परिवर्तन में आ सकते हैं। इसकी शुरूआत अपवादियों के अभिनंदन करने से होगी। हम अपने आस-पास से इसकी शुरूआत कर सकते हैं। जिन लोगों ने जिस क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य किया है, उनको अभिनंदन करने की श्रृंखला जनपद, ब्लाक और ग्राम स्तर पर शुरू की जाए। नीचे से करंट पैदा किया जाए। जो किया जा सकता है। केवल उसमें गति देने की जरूरत है। यूएनएसीसी अंतरराष्ट्रीय संगठन है। उसका बड़ौदा में हेड ऑफिस है। रजत भाई इसके ग्लोबल चेयरमैन हैं। आपकी सरकार ने को-ओपरेटिव के बहुत अच्छे ऑर्डर जारी किए हैं। लेकिन यह जब सरकारी व्यवस्था सरकारी ग्रांट के माध्यम से नहीं चल सकता है। इसे चलाने के लिए हमें अ-सरकारी असरकारी स्वाभिमानी सभ्य समाज के साथ 75 वें वर्ष में लोकलाइजेशन डिजिटाइजेशन डिसेंटलाइजेशन और सेल्फ रिलाइजेशन एंड शत प्रतिशत पारदर्शिता पर काम करना होगा। इसी से भ्रष्टाचार हटेगा। गांव गांव में जबाबदारी आइगी। हर काम जो सरकारी सरकारी के माध्यम से हो रहा है। उसकी जरूरत नहीं रहेगी। क्योंकि जब ग्रांट रिबेट सब्सिडी रहेगी ही नही तो सरकारी व्यवस्था की जरूरत ही नहीं पडेगी। अ-सरकारी असरकारी स्वाभिमानी समाज से राष्ट्र निर्माण होगा। इसका समय अभी हैं। तुरंत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *