हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी; खाड़ी क्षेत्र के व्यापारियों ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाते हुए बेसहारा गोवंश को कड़कड़ाती ठंड में सुरक्षित रखने को खुद पहल की है। इसके लिए सर्दी में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने वाले गोवंश के लिए मुख्य बाजार के निकट तिरपाल का शेड बनाकर ठिकाना बनाया है। वहीं, हाईवे से गुजरने वाले लोग इस नेक काम को देखकर व्यापारियों की खूब प्रशंसा भी कर रहे हैं।
जनवरी माह में इन दिनों रात्रि में कड़कड़ाती ठंड पड़ रही है। ऐसे में चंबा-ऋषिकेश राजमार्ग पर खाड़ी में बेसहारा गोवंश हाड़कंपाती ठंड में खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को मजबूर थे। इन बेसहारा गायों के लिए सरकारी तंत्र की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई तो खुद खाड़ी के व्यापारियों और टैक्सी यूनियन के लोगों ने इन गोवंश की निःस्वार्थ सेवा करने का बीड़ा उठाया। फिर क्या था, व्यापारियों और टैक्सी यूनियन ने खुद ही आपस में पैसे एकत्रित किए और गायों के लिए आसरा बनाने के लिए तिरपाल और अन्य सामग्री खरीदी। हाईवे पर बाजार के निकट ही तिरपाल का एक अस्थायी शेड बनकर तैयार हो चुका है। अब इस शेड में खाड़ी में सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा गोवंश को सर्दी मे बारिश-पाला से बचाव हो रहा है। व्यापार मंडल खाड़ी के सचिव शीशपाल सजवाण, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनिल भंडारी, महावीर रौतेला, राकेश भंडारी, राजवीर रौतेला, राजेश उनियाल, विनोद नेगी, बादल मंदरवाल, प्रताप रावत, राजपाल गुसाईं आदि इस नेक काम में लगे हुए हैं।
व्यापारी खुद ही जुटा रहे चारा-पानी की व्यवस्था
खाड़ी में निराश्रित गोवंश के लिए आसरा बनाने के साथ ही चारा-पानी की भी व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए व्यापारी खुद ही घास-पानी की व्यवस्था भी कर रहे हैं। व्यापारी शीशपाल सजवाण ने बताया कि व्यापारियों के द्वारा ही बेसहारा गोवंश के लिए चारा-पानी की व्यवस्था की जा रही है।
अन्य स्थानों पर भी की जा सकता है यह पहल
गोवंश संरक्षण के लिए बने नियम-कानून फाइलों में कैद होकर रह गए हैं। यही कारण है कि ठंड बढ़ने के बावजूद अभी तक उनके संरक्षण के लिए कई स्थानों पर ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। व्यापार मंडल खाड़ी के सचिव शीशपाल सजवाण, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनिल भंडारी कहते हैं कि दूध देना छोड़ देने के बाद लोग गाय को सड़कों पर छोड़ देते हैं। ऐसे गोवंश का संरक्षण किया जाना चाहिए। कहा कि अन्य बाजारों के व्यापारियों को भी इस तरह के प्रयास करने चाहिए, जिससे गोवंश को ठंड से बचाया जा सके।