विशेषज्ञ की रायः भविष्य की अर्थव्यवस्था को गढ़ने एवं उसे संवारने की पर्याप्त क्षमताओं वाला बजट

सी.ए. राजेश्वर पैन्यूली (आर्थिक विशेषज्ञ) 

Uttarakhand

इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल 2024 में आम चुनाव होने हैं। ऐसे में मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट पर पूरे देश की नजरें थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बुधवार को बजट पेश कर समाज के सभी वर्गों को खुश करने की कोशिश की है। आम बजट अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को उम्मीद की किरण दिखाने वाला है। यह बजट भारत की तेज वृद्धि और विकास का खाका है। आखिर, यह अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है। बजट में जिंदगी को बेहतर बनाने, कारोबार में आसानी, न्यायिक प्रशासन और भरोसेमंद शासन को लेकर ध्यान रखा गया है। यह बजट अमृतकाल की मजबूत आधारशिला रखने वाला साबित होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत खर्च में वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान के मुकाबले 37.4 फीसदी की बढ़ोतरी कर 10 लाख करोड़ रुपए करने का ऐलान किया ताकि बढ़ते वैश्विक अवरोध के बीच सार्वजनिक निवेश की अगुवाई में वृद्धि जारी रहे। कैपिटल एक्सपेंडिचर का मतलब ऐसा निवेश है जिससे कोई फिजिकल एसेट या संपत्ति बनती है। कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए सरकार काफी पैसा छोटी बचत योजनाओं और दूसरे जरियों से जुटाएगी। बजट से साफ जाहिर होता है कि सरकार की प्राथमिकता तात्कालिक लाभ न होकर भविष्य पर केंद्रित है। खास बात यह है कि ये पहला बजट है जिसमें मोदी सरकार ने निम्न मध्यम वर्ग का भला करने की सोची है। अब नई आयकर प्रणाली में सात लाख की सालाना इन्कम वाले लोग करमुक्त हो जाएंगे।

नया टैक्स सिस्टम चुनने वालों के लिए छूट की लिमिट 7 लाख रुपए कर दी गई है। पहले ये 5 लाख रुपए थी। बजट में सैलरीड क्लास को एक और राहत दी गई है। नए टैक्स सिस्टम में 50,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल कर लिया गया है। यानी 7.5 लाख रुपए तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इसको इस तरह से समझा जा सकता है…7.5 लाख रुपए सैलरी पर पहले 50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा लें। बचे 7 लाख रुपए। 7 लाख रुपए होते ही आप रिबेट के दायरे में आ जाएंगे और पूरी टैक्स छूट मिल जाएगी।

बजट से शेरयर बाजारों में उत्साह पैदा हुआ है। सार्वजनिक निवेश मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहचान रहा है और पांच वर्षों में पूंजी आवंटन में 150 फीसदी बढोतरी हुई है।अमृतकाल की ओर कूच करती सरकार देश को 2047 तक विकसित बनाने की राह तैयार कर रही है। भविष्य में निवेश करने वाला यह नए भारत का बजट है जो देश की नियति से साक्षात्कार कराने की प्रक्रिया में उसकी संभावनाओं को भुनाने के लिए तैयार किया गया हैं

बजट में ‘सप्तर्षि’ के रूप में सरकार की सात प्राथमिकताओं का दर्शन झलकता है। पहली प्राथमिकता समावेेशी विकास की है। विगत नौ वर्षों से सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ की अवधारणा के अनुरूप कार्य कर रही है। सरकार कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य गतिविधियों के जरिए किसानों को समृद्ध बनाना चाहती है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पशुपालन, मत्स्य पालन और डेरी पर फोकस रखते हुए कृषि कर्ज का दायरा बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रूप्ए कर दिया गया है। बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जैसे कि 157 नए नर्सिंग कालेज स्थापित किए जाएंगे।

दूसरी प्राथमिकता अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने की है। इसके लिए सरकार दूर-दराज के दुर्गम और अल्पविकसित क्षेत्रों तक आवश्यक सुविधाएं पहुुंचाने की दिशा में प्रयासरत है। इसमें जनजाति जैस वंचित वर्गों के क्षेत्रों को वरीयता देने की बात कही गई है।

तीसरी प्राथमिकता दीर्घकालिक इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में निवेश से जुड़ी है। सरकार ने इस दिशा में पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी कर 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। यह वृद्धि को बल देने, रोजगार सृजन करने और निजी निवेश को साधने में सहायक होगा। इसमें राज्यों को प्रोत्साहन के लिए केंद्र ने उन्हें 50 वर्षों के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त कर्ज की पेशकश की है। रेलवे के लिए अभी तक का सर्वाधिक 2.40 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत आवंटन हुआ है। वहीं 75,000 करोड़ रुपये के निवेश से 100 महत्वपूर्ण परिवहन इन्फ्रा परियोजनाएं तैयार की जाएंगी। चौथी प्राथमिकता में सरकार सुशासन, परिवहन, जवाबदेह प्रशासन और नागरिक कल्याण को लेकर है। कारोबारी सुगमता के लिए सरकार ने 39,000 अनुपालनों को घटाने और 3,400 विधिक प्रविधानों को गैर-आपराधिक प्रवृत्ति का बनाया है। पांचवीं प्राथमिकता सतत विकास के लिए हरित वृद्धि सुनिश्चित करने की है। इस दिशा में कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता घटाने के लिए 19,700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ऊर्जा संक्रमण और नेट-जीरो लक्ष्य की पूर्ति के लिए 35,000 करोड़ का प्रविधान किया है।

छठी प्राथमिकता के तहत युवाओं की क्षमताओं को नया आयाम देने के लिए सरकार ने पीएम कौशल विकास योजना 4.0, स्किल इंडिया डिजिटल प्लेटफार्म और नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम जैसी तमाम पहल की हैं। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआइ और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों में भी युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें भत्ते प्रदान करने के साथ ही नियोक्ताओं के साथ भी जोड़ा जाएगा।

सातवीं प्राथमिकता उस वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी है, जिसका सशक्त स्वरूप विकसित भारत के लिए अत्यंत आवश्यक है। वित्तीय सुधारों और तकनीकी उन्नयन ने वित्तीय समावेशन बढ़ाने के साथ बेहतर सुविधाएं दी हैं। बजट में एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजना के कायाकल्प के साथ ही नेशनल फाइनेंशियल इन्फार्मेशन रजिस्ट्री और वित्तीय क्षेत्र नियमनों को सरल किया है।

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