नीम करौली बाबा के आशीर्वाद से एप्पल कंपनी बनी तो फेसबुक बिकने से बचा


Uttarakhand

जिस प्रकार से बजरंग बली ने तमाम दुर्गम कायों को सुगमता से पूरा कर लंका विजय के भगवान राम के अभियान को आसान बना दिया था। चाहे समुद्र को लांघ जाना हो या फिर पूरे पहाड़ को उठा कर ले जाना हो। उनका कोई भी काम चमत्कार से कम नहीं था। ठीक वैसे ही हनुमान के परम भक्त नीम करौली बाबा भी अपने आराध्य की तरह ही चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। नीम करौली बाबा के भक्तों की फेहरिस्त सात समुंदर पार तक है।

हिम शिखर ब्यूरो

भारत को ऋषि-मुनियों की धरती के नाम से जाना जाता है। पुरातन काल से लेकर अभी तक भारत कई महात्माओं और महापुरुषों का जन्म स्थान रहा है। इन्हीं महात्माओं ने अध्यात्म को पूरे विश्व में प्रचारित किया। संत-महात्मा लोग हमारे जीवन को प्रकाशवान करते हैं, अपितु सुख-सुविधा त्यागकर देश का भी कल्याण करते हैं। ऐसे ही विख्यात संत नीम करौली बाबा भी थे। हनुमान भक्त नीम करौली के आशीर्वाद से एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग की किस्मत चमक गई थी। बाबा ने बहुत लोगों की निराश और हताश जिंदगी को सुधारा था।

एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स पहुंचे थे कैंची धाम
एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जाॅब्स 1974 से 1976 के बीच भारत भ्रमण पर निकले। उनके लिए भारत यात्रा एडवेंचर नहीं थी। आध्यात्मिक यात्रा पर आए थे। हरिद्वार के बाद कैंचीधाम आश्रम आ गए। आश्रम पहुंचने पर उन्हें पता चला कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहा जाता है कि एप्पल के लोगों का आइडिया स्टीव को बाबा के आश्रम से ही मिला। कथित तौर पर नीम करौली बाबा को सेब पंसद थे और वह बड़े चाव से सेब खाया करते थे। भक्तों का कहना है कि इसी वजह से स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगो के लिए कटे हुए एप्पल को चुना था।

बाबा ने बदली फेसबुक के मालिक की जिंदगी
अपने शुरूआती दौर में मार्क जुकरबर्ग इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जाॅब्स ने उन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। उस समय जुकरबर्ग काफी निराश हो गए थे और फेसबुक बेचने तक का मन बना लिया था। ऐसे में जुकरबर्ग भारत आए और कैंची धाम गए। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली आध्यात्मिक शांति के बाद उन्हे फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।

कैंची धाम

उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर, भवाली से 98 किलोमीटर और अल्मोड़ा से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करौली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर नीम करौली बाबा ने बनवाया है। हर साल 15 जून को यहां एक विशाल मेले और भंडारे का आयोजन किया जाता है। यहां पर भगवान श्रीहनुमान जी का भव्य मंदिर भी 15 जून को ही बनाया गया था।

जब ट्रेन ने चलने से कर दिया इंकार

बाबा के चमत्कारों के बारे में कहा जाता है कि नीम करौली बाबा हमेशा साधारण व्यक्ति के रूप में रहते थे। एक बार वह बिना टिकट ही ट्रेन पर सवार हो गए। टीसी ने उन्हें बिना टिकट के पकड़ लिया। करोरी स्थान में टीसी ने ट्रेन रुकवाकर उन्हें उतार दिया। इसके बाद दुनिया ने पहली बार बाबा का चमत्कार देखा। तमाम कोशिश की गई मगर ट्रेन स्टार्ट ही नहीं हुई और आगे ही नहीं बढ़ी। यह देख यात्रियों ने टीसी से अनुरोध किया गया कि उतारे गए बाबा को वापस बुलाया जाए। इसके बाद टीसी के अनुरोध पर बाबा ट्रेन पर सवार हुए और ट्रेन चल पड़ी।

भंडारे के लिए नदी से लाया पानी बन गया घी

15 जून को एक विशाल मेले और भंडारे का आयोजन होता है। एक दिन इसी मेले के भंडारे में बाबा जी के भक्त भंडारे का प्रसाद बना रहे थे। तो अचानक से प्रसाद में डालने वाला घी खत्म हो गया। तो बाबा ने अपने भक्तों से कहा कि नीचे जो नदी बह रही है, उसमें से एक कनस्तर पानी भरकर ले आओ और उससे ही प्रसाद बनाकर सभी भक्तों को बांट दो। बाबा जी के कहने पर भक्त नदी से पानी भरकर लाए और उससे प्रसाद बनाने लगे। प्रसाद में डालते समय पानी घी में बदल गया।

गोलियों से हुई भक्त की रक्षा

कहा जाता है कि बाबा के कई भक्त थे। उनमें से ही एक बुजुर्ग आदमी थे, जो फतेहगढ़ में रहते थे। यह घटना लगभग 1943 की है। एक दिन बाबा अचानक उनके घर पहुंच गए। वे रात में वहीं रूके। उस बुजुर्ग का एक बेटा फौज में नौकरी करता था। बाबा जी रात को कंबल ओढ़कर चारपाई में सो गए। महाराज जी रात भर कराहते रहे। करीब एक माह बाद बुजुर्ग आदमी का बेटा वापस लौटा। उसने घर आकर बताया कि एक माह पूर्व वह दुश्मन सेना से घिर गया था। रात भर गोलीबारी हुई। उसके सारे साथी मारे गए, लेकिन वह अकेला बच गया। भोर में जब उसके साथी जवान आए तो उसकी जान में जान आई। यह वही रात थी, जिस रात नीम करौली बाबा जी उस बुजुर्ग आदमी के घर रूके थे।

नशेबाज को दिखाई सही राह

‘‘एक नशा करने वाला व्यक्ति अमेरिका से भारत आया था। वह इतना बड़ा नशेबाज था कि एक दिन में दो, तीन एलएसडी निगल सकता था। एक दिन वह नीम करौली बाबा के पास गया और बोला, मेरे पास एक असली माल है जो स्वर्ग का आनंद देता है। आप इसे खाएंगे तो ज्ञान के सारे दरवाजे खुल जाएंगे। नीम करौली बाबा ने पूछा, ‘‘यह क्या है? मुझे बताओ।’’

उस नशेबाज ने बाबा को सारी गोलियां दी। वह बोले,‘‘तुम्हारे पास कितनी है? मुझे दिखाओ।’’ उसके पास बहुत सारी गोलियां था, जो उसने कई महीनों तक खानी थी। वह बोले, ‘‘सारी गोलियां मुझे दे दो।’’ उसने मुट्ठी भर एलएसडी दे दीं। बाबा जी ने सारी गोलियां को मुंह में डाला और निगल लिया। फिर वहां बैठकर अपना काम करते रहे। नशेबाज वहां इस उम्मीद में बैठा रहा कि यह आदमी अभी मरने वाला है। मगर नीम करोली बाबा पर एलएसडी का कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने नशेबाज को कहा कि, तुम एक फालतू चीज पर अपना अमूल्य जीवन बर्बाद कर रहे हो, असली आनंद इन गोलियों में नहीं है।

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