पितृ मोक्ष का पर्व:अश्विन महीने की अमावस्या आज, श्राद्ध करने से तृप्त हो जाते हैं पितर

आचार्य अमित कोठारी

Uttarakhand

आज सर्व पितृ अमावस्या है, यानी पितृ पक्ष का अंतिम दिन। यह दिन पितरों की विदाई का भी होता है। इस अमावस्या का खासकर उन लोगों को विशेष इंतजार रहता है, जिन्हें अपने किसी पितृ या पूर्वज की तिथि ज्ञात नहीं है। धर्मशास्त्रों के मुताबिक ऐसे देवलोक गमन करने वाले पितरों के निमित्त इसी दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर सकते हैं।

इस अमावस्या पर तीर्थ के जल से स्नान करें। इसके बाद पितरों की संतुष्टि के लिए श्रद्धा के मुताबिक जरूरतमंद लोगों को अन्न-जल, कपड़े या अन्य जरूरी चीजों का दान कर सकते हैं। इस दिन गाय को घास भी खिलाना चाहिए। साथ ही इस पर्व पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। जिससे पितर संतुष्ट होते हैं।

पितृमोक्ष अमावस्या पर दान-पुण्य का बहुत महत्व होता है। इस पर्व पर घर में पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में घास या धन का दान करें। माना जाता है कि इस दिन दिए गए दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलता है।

ऐसे करें पितरों को खुश

अमावस्या के दिन सुबह में पवित्र नदियों में स्नान करें और फिर सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों को स्मरण कर जल अर्पित करें। घर में गाय के दूध से बनी हुई खीर और अन्य विशेष व्यंजन बनाएं और इसे पितरों के निमित्त निकाल लें और किसी ऐसे स्थान पर रखें, जहां पर कौए पहुंच सके। भोजन का कुछ अंश सबसे पहले गाय, फिर कौए और चीटियों के लिए निकाले। इसके बाद पितरों को श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से विदा करें और उन्हें स्मरण कर आशीर्वाद की प्रार्थना करें। साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराएं। उन्हें अन्न और कपड़ों का दान दें।

भूलकर भी न करें ये काम
मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन अगर कोई व्यक्ति दान- दक्षिणा लेने आता है तो उसे खाली हाथ न लौटाएं। इस दिन कोई व्यक्ति आपके घर खाना मांगने आता है तो खाली पेट नहीं जान दें। ऐसे लोगों को आटा- चावल का दान करना चाहिए। अमावस्या के दिन मांस- मंदिरा और प्याज, लहसुन खाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष लगता है। इसलिए इन चीजों को नहीं खाना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए। इस दिन दाढ़ी भी नहीं बनानी चाहिए। शास्त्रों में इन चीजों को करना अशुभ माना जाता है।

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