पूर्व केंद्रीय सचिव भाई कमलानंद पहुंचे सुल्तानपुर, बोले-गांव में ढूंढो रोजगार, मत रहो सरकार के भरोसे

हिमशिखर खबर ब्यूरो

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सुल्तानपुर: भारत सरकार में सचिव रहे पूर्व आईएएस और पंचगव्य विद्यापीठम् कांचीपुरम, चेन्नई के कुलपति भाई कमलानंद ने गांवों में विकास के लिए बिना सरकार की मदद (असरकारी) और असरकारी, स्वाभिमानी, स्वावलंबी, स्वतंत्र अभियान की जरुरत पर बल दिया। कहा कि समग्र विकास, ग्राम स्वराज और पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रकृति से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि गांवों के विकास की बात करो। जड़ से जुड़ो। प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरणपूरक धंधे तलाशने पर बल दिया। कहा कि स्वाबलंबी बनने के लिए युवाओं को स्वरोजगार पर ध्यान देना होगा, रोजगार बढ़ेगा तभी देश उन्नति के रास्ते पर चलते हुए भारत विश्वगुरु बन पाएगा। कृषि उत्पादन में अत्यधिक उर्वरक और दवाओं का उपयोग जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। तेजी से पनप रहीं बीमारियों पर नियंत्रण के लिए अब जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

रविवार को सुल्तानपुर में आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि भाई कमलानंद ने कहा कि गो स्वावलंबन आज के समय की मांग है। कहा कि गौमाता के पंचगव्य, गोबर गैस इत्यादि पर गांव-गांव में छोटे उद्यम तैयार करना आज के समय की जरूरत है। गो आधारित अर्थव्यवस्था से ही हम विश्व गुरु बन सकेंगे।

कार्यक्रम आयोजक रिटायर्ड जज राजेंद्र शुक्ला और जैविक से संपूर्ण क्रांति के मिशन डायरेक्टर अरूण कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे।

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भाई कमलानंद ने कहा कि वे पिछले तीन दिनों से गाजीपुर के बॉर्डर के गांवों में प्रवास कर रहे थे। अधिकतर बॉर्डर के गांव विकास में पिछडे होते हैं, उपेक्षित रहते हैं। वहां मैं गंगा तेरी गाय, स्वावलंबन, स्वाभिमानी लोगों को ढूंढने गया था। वहां मुझे छपरा यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति सिंह जी से मुलाकात हुई। वे शहरी चमक-दमक को छोडकर गांव में रह रहे हैं। वहां पर काफी प्राचीन मंदिर है, जिसमें धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। तो, मैंने वहां लोगों से अनुरोध किया कि हम लोग पीछे-पीछे मुड़कर देखें। कि हम आगे-आगे दौडे़ जा रहे हैं, कहीं हमसे कोई गलती तो नहीं हो रही है। कहीं हम गलत दिशा में तो नहीं जा रहे है।

आप भी अपने क्षेत्र में अपवादियों को ढूंढिए। वहां क्या क्या खाली पड़ा है, उसकी लिस्ट तैयार कीजिए। मा-बाप प्लान के अंतर्गत कैसे बिजनेस प्लान रोजगार का प्लान, निवेश का प्लान बन सकता है। आज हमने सिंह जी के एक ढाबे में काफी की चुस्कियां ली। इसको शुरू करने के लिए उन्होंने सरकार से कोई अनुदान नहीं लिया। तो अच्छा लगा। तो मैंने उनसे बोला कि अपने लड़के से रोजगार शुरू करने में आने वाले रोड़े के बारे में लिखे। नीति गलत है या अधिकारियों का सहयोग नहीं मिलता? तो उन्होंने बताया कि एक ही रोड़ा है भ्रष्टाचार का। तो मैंने कहा कि भ्रष्टाचार कैसे कम होगा, यह भी लिखिए। तो मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई ऐसे अफसर भी हैं, जो भ्रष्टाचारी नहीं हैं। तो वे तुरंत बोले कि कई अफसर हैं। मैंने कहा कि ऐसे अफसरों का तुरत अभिनंदन कीजिए। तो आगामी 26 फरवरी को गाजीपुर के उस मंदिर में अपवादियो का अभिनंदन किया जाएगा।

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कहा कि भ्रष्टाचार तब होता है जब कोई भी चीजें सेंटरलाईज्ड होती है। उसकी एकांउटीबिलिटी नहीं होती है। बड़े अधिकारी उसकी मॉनिटरिंग नहीं करते हैं। अब हमें सोचना है कि मैं क्या कर सकता हू। अपना हिसाब लो, अपना कर्तव्य पालन करो, अपनी ड्यूटी करो, अपने कर्तव्य का फर्ज ईमानदारी से निभाओ।

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