गंगा दशहरा विशेष: गंगा स्नान के दौरान भूलकर भी न करें ये गलतियां, कहीं पुण्य की जगह पाप के भागीदार न बन जाएं

हिमशिखर खबर ब्यूरो

Uttarakhand

हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा जी धरती पर अवतरित हुईं थीं और इस दिन को गंगा दशहरे के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा सेवन यानी गंगा स्नान करने से अनजाने में हुए पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. इसलिए हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व माना जाता है. आइए जानते हैं कि गंगा दशहरे के दौरान आपको किन बातों का ध्यान रखना चहिए.


– गंगा स्नान करते समय मां गंगा को प्रणाम करके गंगा में डुबकी लगाना चाहिए. शरीर का मैल रगड़कर गंगा में नहीं डालना चाहिए. न ही अपने कपड़ों को पवित्र गंगा में धोना या निचोड़ना चाहिए.

– गंगा स्नान करने से पहले सबसे पहले सूर्य देव और अपने ​इष्ट देव का ध्यान करें, फिर मां गंगा को प्रणाम करें और गंगा में हर हर गंगे बोलकर डुबकी लगाएं. आप चाहें तो गंगा मैया के मंत्र ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.

– गंगा आपके पापों को दूर करती है, इसलिए गंगा में डुबकी लगाने के बाद कभी भी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए. स्वा​भाविक रूप से शरीर को सूखने दें और वस्त्र धारण करें.

– जन्म सूतक या मृत्यु सूतक के समय भी पवित्र गंगा का स्नान किया जा सकता है. लेकिन महिलाओं को अपवित्र स्थिति में गंगा स्नान नहीं करना चाहिए.

– गंगा स्नान के बाद मां गंगा का विधिवत पूजन करना चाहिए. उन्हें रोली, पुष्प, माला, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें और गंगा मंत्रों और स्तुति को पढ़ें. इसके बाद जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए.

– किसी भी तरह की गंदगी, प्लास्टिक, कूड़ा और कचरा गंगा नदी में न डालें. इससे गंगा मैली होती हैं और इसे मां गंगा का निरादर माना जाता है.

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