हिमशिखर खबर ब्यूरो
भारतीय सभ्यता और संस्कृति की पोषक गंगा नदी का अवतरण दिवस ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। कई दशकों बाद इस वर्ष गंगा दशहरा पर हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस दिव्य संयोग की जोड़ी में गंगा स्नान, तप, दान मनोवांछित फल प्रदान करने वाला होगा।
राजा भगीरथ के पुरखों को तारने के लिए भगवति गंगा युगों-युगों से प्राणी मात्र को जीवनदान के साथ ही मुक्ति भी देती आ रही है। स्वर्ग लोक से देवी गंगा ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, कन्या के चंद्र, वृष के रवि योग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। धर्मशास्त्रीय मान्यतानुसार गंगा दशहरा पर जिन 10 योगों की मान्यता है, उनमें ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार का दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनंद योग, कन्या राशि का चंद्रमा तथा वृषभ राशि का सूर्य का होना दर्शाया गया है।
इस बार इन 10 में से 8 योग 9 जून को गंगा दशहरा पर विद्यमान रहेंगे। इसमें ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, कन्या राशि का चंद्रमा तथा वृषभ राशि का सूर्य रहेगा। इससे गंगा दशहरा पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है। इन दुर्लभ योगों की जोड़ी से इस दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास का बहुत महत्व है। गंगा दशहरा स्नान एवं दान के साथ ही तन-मन को शुद्ध करने का पर्व है। ज्योतिषाचार्य पंडित उदय शंकर भट्ट का कहना है कि विशिष्ट योग की साक्षी में गंगा माता का पूजन विशेष फल देने वाला होगा। कल्याण करने वाली माता के रूप में मां गंगा भारतीय संस्कृति की रीढ़ है।