हिमशिखर खबर ब्यूरो
नई टिहरी।
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. पी.पी. ध्यानी ने पिछले दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वह मई 2017 में कश्मीर (जम्मू एंड कश्मीर) गये थे, तो उनके कुछ कश्मीरी साथियों ने उन्हें बताया कि अगर यहां कोई आपको पूछे कि आप कहां से आये हैं, तो उत्तराखण्ड मत कहना। जब उन्होंने इसका कारण जानना चाहा तो उन्हें कश्मीरी साथियों ने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड के जनरल रावत का यहां उग्रवादीयों और विघटनकारी तत्वों में बेहद खौफ है। अतः, यदि कुछ लोगों द्वारा किसी षड्यन्त्र के तहत यह खबर उनके पास चली गयी कि आप उत्तराखण्ड से हैं तो कुछ भी हो सकता है।
फिर, जब वह सन् 2017 में फिनलैण्ड किसी कार्यक्रम में गये थे तो कुछ विदेशी साथियों से मुलाकात होने पर उनके द्वारा बताया गया कि भारतीय सेना द्वारा, जनरल बिपिन रावत के नेतृत्व में, जब पकिस्तान में आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की गयी तो इससे भारतीय सेना का पराक्रम, वीरता और अन्र्तराष्ट्रीय छवि पूरी दुनिया में स्थापित हुयी है। इन दो दृष्टान्तांे से स्पष्ट होता है कि उग्रवादीयों और विशेषकर दुश्मन देशों में, वास्तव में, खौफ के पर्यायवाची थे जनरल बिपिन रावत।
डाॅ0 ध्यानी ने यह भी अवगत कराया कि उनकी बड़ी दिली इच्छा थी कि कभी इस जाबांज और असाधारण बहादुर सैन्य अफसर से मुलाकात हो जाए और उनसे वार्तालाप का भी सानिध्य प्राप्त हो जाए। उनकी यह इच्छा पूर्ण हुयी, जब लगभग एक माह पहले 09 नवम्बर 2021 को राजभवन उत्तराखण्ड में उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की 21वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर उनसे मूलाकात हुई। चार पांच मिनट उनसे वार्ता करने का उन्हे परम सौभाग्य प्राप्त हुआ और वह अत्यन्त गौरवन्वित हुए। उच्च शिक्षा पर वार्ता करने पर उनके विचारों ने उन्हें निडरता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए और प्रेरित किया और शैक्षणिक भ्रष्टाचार पर सर्जिकल स्ट्राइक की उनकी सोच को बल मिला।
कुलपति डाॅ0 ध्यानी ने कहा कि जनरल रावत उत्तराखण्ड और देश के गौरव थे व हमेशा रहेंगें। जनरल रावत एक जाबांज और बहादुर अफसर थे, जिनका देश की सुरक्षा और सेनाओं के प्रति बहुत ही स्पष्ट और फोकस्ड नजरीया था। पूर्वोŸार में उग्रवाद को खत्म करने में, म्यांमार में क्रास बाॅर्डर आॅपरेशन चलाने में और पाकिस्तान में स्थित आंतकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को अन्जाम देने में जनरल बिपिन रावत जी की अति महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिसे कोई भी भारतीय भूला नही सकता।
जनरल रावत जी की सपत्नीक आकस्मिक और असमायिक निधन से वह स्तब्ध हैं और उन्हें वह अपनी भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित करते हैं, श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और माॅ चन्द्रबदनी और भगवान बद्री विशाल से दिवगंत आत्माओं को शांति प्रदान करने और उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं। कुलपति डाॅ. ध्यानी ने यह भी सुझाया कि केन्द्र सरकार को भारतीय सैन्य अकादमी (आई0एम0ए0), जो कि देहरादून में स्थित है, का नाम उत्तराखण्ड के इस अमर वीर सपूत जनरल बिपिन रावत के नाम करना चाहिए।