पंडित हर्षमणि बहुगुणा
अत्यधिक दुखद समाचार, अविश्वसनीय, अकल्पनीय परन्तु अपरिहार्य। आठ दिसंबर का दिन हमारे लिए बहुत ही दुखद रहा।जिस दिन हमनें अपने सच्चे देश भक्त भारत के गौरव, उत्तराखंड में जन्मे राष्ट्र के पहले चीफ आफ डिफेंस (सी डी एस) बिपिन रावत एवं उनकी पत्नी श्रीमती मधूलिका रावत के साथ बारह अन्य जवान थे । केवल एक जवान अभी जिन्दगी व मौत के बीच लड़ रहे हैं शेष सभी तेरह भारतीय सपूत शहीद हो गए हैं।
श्री रावत ने भारतीय सेना में बयालीस वर्षों तक देश सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते-देते असमय अकाल कवलित हो गए। तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना के हेलीकॉप्टर से यात्रा कर रहे थे कि हेलिकॉप्टर अचानक दुर्घटना ग्रस्त हो गया और एक अत्यधिक व्यथित करने वाला समाचार सुनकर सभी भारतीयों को व्यथा दे गया।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में सन् 1958 में जन्में जनरल बिपिन रावत जी की धर्मपत्नी श्रीमती मधूलिका रावत आर्मी वुमन वैलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष रही, वह भी अकाल कवलित हुई। जनरल बिपिन रावत कहते थे कि “पहली गोली हमारी नहीं होगी, पर उसके बाद हम गोलियों की गिनती भी नहीं करेंगे। कश्मीर की शान्ति भंग करने में पाकिस्तान की भूमिका को सर्वोपरि मानते थे। आपकी दो बेटियां एक कृतिका रावत और दूसरी तारिणी रावत हैं।
दु:ख की इस घड़ी में उत्तराखंड राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक। मां भारती के इन महान सपूतों को हमारी अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि सादर समर्पित एवं श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इन दिवंगत विभूतियों को अपने श्रीचरणों में स्थान देते हुए हमें इस असहनीय वेदना को सहन करने की शक्ति भी प्रदान करेंगे। साथ ही आज की आवश्यकता देश के लिए सच्चे सपूतों को बार बार उत्पन्न (जन्म) करवाते रहेंगे, जिससे देश चारों दिशाओं से सुरक्षित रह सके। ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ शान्ति ॐ। श्रृद्धावनत