जीवन में हर व्यक्ति कामयाबी के सपने देखता है, लेकिन उस क़ामयाबी को हासिल करने के लिए जो कठिन परिश्रम किया जाता है वो नहीं करता। क़ामयाबी सिर्फ उन्हीं के भाग्य में लिखी होती है जो कड़ी मेहनत करते है, दुनियां में जितने भी लोग सफल हुए है, उन्होंने सिर्फ एक ही चीज़ पर ज़ोर दिया है और वो है मेहनत।
हिमशिखर धर्म डेस्क
श्रीराम पूरी वानर सेना के साथ समुद्र तट पर पहुंच गए थे, उन्हें समुद्र पार करके लंका जाना था। जामवंत श्रीराम की सेना के सबसे बूढ़े और अनुभवी व्यक्ति थे। जामवंत ने श्रीराम से कहा, ‘आप तो अपनी कृपा से ही समुद्र लांघ सकते हैं।’
हनुमान जी बोले, ‘आप तो थोड़ा सा प्रताप दिखाइए। समुद्र यूं ही सूख जाएगा।’
सभी लोग जय-जयकार भी करने लगे, लेकिन श्रीराम चुप रहे। फिर उन्होंने मुस्कान के साथ कहा, ‘हमें समुद्र ने ये जानकारी दी है कि हमारी सेना में नल और नील, दो वानर ऐसे हैं, जिन्हें ये वरदान मिला है कि अगर वे कोई पत्थर जल में फेंकेंगे तो वह डूबेगा नहीं। हम उन्हीं के सहयोग से समुद्र पर पत्थरों से सेतु बनाएंगे।’
नल-नील की मदद से वानर सेना ने समुद्र पर सेतु बांध दिया और श्रीराम वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए।
सीख – श्रीराम का ये निर्णय हमें समझा रहा है कि जीवन में कभी भी चमत्कार और शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहिए। अपनी मेहनत पर भरोसा रखें। आप कितने ही योग्य और समर्थ हों, अपने पुरुषार्थ और परिश्रम से काम को पूरा करें। कोई भी बड़ा काम सामूहिक परिश्रम के साथ करेंगे तो उसमें सफलता जरूर मिलती है।
इसीलिए जिस ढंग से वानर सेना ने समुद्र पर सेतु बनाया, वह आज भी चर्चा का विषय है। श्रीराम ने इस काम में सेना के प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग लिया था। सबको जोड़कर, सबको प्रोत्साहित करके, सामूहिक परिश्रम के साथ जो काम होता है वो ऐतिहासिक होता है।
आज का पंचांग
आज का दिन विशेष महत्व वाला है. आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है और इस दिन आंवला नवमी मनाई जाती है. मंगलवार का दिन है, तो इस दिन व्रत रखकर बजरंगबली की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं. आंवला नवमी के दिन व्रत रखकर आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी से आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक उसमें श्रीहरि का वास रहता है. आंवला नवमी को अक्षय नवमी और कूष्मांड नवमी भी कहते हैं. आंवला नवमी के दिन व्रत और पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, इसलिए यह अक्षय नवमी कहलाती है.
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पढ़ते रहिए हिमशिखर खबर, आपका दिन शुभ हो…