सुप्रभातम्: होलिका दहन में गोबर से बनी लकड़ी और कंडे जलाएं, पेड़ कटने से बचाएं

पूर्व सचिव, भारत सरकार स्वामी कमलानंद ने होली में गोबर के कंडे और गोकाष्ट से होलिका दहन की अपील सभी लोगों से की है। उनका कहना है कि ऐसा करने से हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकेंगे। साथ ही गोकाष्ट से गोपालकों को भी आर्थिक मदद मिलेगी, जिससे गोपालन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगामी “होलिकोत्सव पर्वपर्व” पर होलिका दहन लकड़ी से न करके गायों के गोबर से बने कण्डों एवं गोकाष्ट से करने का आह्वान किया। साथ ही लोगों में जागरूकता फैलाने का आह्वान भी उन्होंने किया।

Uttarakhand
Uttarakhand

स्वामी कमलानंद

पूर्व सचिव, भारत सरकार

Uttarakhand

हर साल होलिका दहन के लिए शहर से लेकर गांवों तक पेड़ो का उपयोग किया जाता है। पेड़ों की लकड़ी जलाए जाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। पेड़ों को काटकर जलाने के बजाय यदि गोबर से बनी लकड़ी और कंडों को जलाया जाए तो पर्यावरण को बचाया जा सकेगा। कंडे के उपयोग से वातावरण में आक्सीजन का विस्तार व सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वैदिक परंपरा में सदियों से पवित्र कार्यों और संस्कारों में कंडों का प्रयोग होता रहा है। पर्यावरण को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा गोबर की लकड़ी का उपयोग करने के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
महिलाओं को रोजगार
होलिका दहन में गोबर की लकड़ी जलाने से प्रदूषण नहीं फैलता और इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। गोबर की लकड़ी से कम कार्बन उत्सर्जित होता है। गोकाष्ठ तीन-चार घंटे में ही जलकर खत्म हो जाता है, जबकि पेड़ की लकड़ी दो दिनों तक जलती रहती है। पहले गोशाला का गोबर केवल कंडे जलाने में उपयोग में लाया जाता था। अब इससे लकड़ी बनने से गोशाला की आमदनी भी बढ़ती है। महिलाओं को घर बैठे काम मिल जाता है।
पर्यावरण संरक्षित रहेगा
गांव से लेकर शहरों तक कई पेड़ होलिका दहन में जला दिए जाते हैं। इससे पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। पेड़ों को बचाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। भारतीय संस्कृति में पेड़ों का धार्मिक महत्व है। देवी-देवता निवास करते हैं। पेड़ों को न काटें, गोबर की लकड़ी ही जलाएं।
वातावरण की शुद्धि
गली-कूचों में होलिका दहन में प्लास्टिक, टायर आदि डाल दिए जाते हैं, जो उचित नहीं है। यह स्वास्थ्य के लिए भी घातक है। होलिका दहन में गोबर के कंडे, लकड़ी ही इस्तेमाल किया जाए। गोबर को पवित्र माना जाता है। गोबर का कंडा जलने से वातावरण शुद्ध होता है। विषैले कीट, जंतुओं का खात्मा होता है, जिससे बीमारी पर नियंत्रण रहता है। पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ों को बचाना होगा। मंदिर में होलिका दहन करने के लिए श्रद्धालुओं से अपील करनी चाहिए कि वे अपने घर से कंडे अथवा बाजार में बिक रही गोबर की लकड़ी खरीदकर लाएं।
Uttarakhand

One thought on “सुप्रभातम्: होलिका दहन में गोबर से बनी लकड़ी और कंडे जलाएं, पेड़ कटने से बचाएं

  1. 👌👌🙏🙏👍 एकदम सटीक सुझाव l जिसकेद्वारा पर्यावरण,सृष्टि और स्वास्थ्यवर्धक वातावरण बना रहेगा । रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। रोगराई तथा बीमारियों पर अंकुश प्राप्त कर सकेंगे ।प्रदूषण नियंत्रण में रहेगा l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *