असफलता या निराशा के क्षणों को कभी भी जीवन पर हावी न होने दें। बल्कि जीवन के हताशा भरे क्षणों से कुछ सीखने का प्रयास करें। इन लम्हों से उबरकर आगे बढ़ना और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।
हिमशिखर खबर ब्यूरो
जो लोग किसी काम असफलता से डर जाते हैं और निराश हो जाते हैं, वे कभी भी सफल नहीं हो पाते हैं। सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है, जो अंतिम पल तक कोशिश करने से पीछे नहीं हटते हैं। ये बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं।
कथा के अनुसार एक राजा के सभी पड़ोसी राज्य उसके शत्रु हो गए थे। एक दिन सभी शत्रुओं ने एक साथ मिलकर उस राजा के राज्य पर आक्रमण कर दिया। राजा के सेना बहुत कम थी और शत्रु सेना बहुत बड़ी थी, इस कारण कुछ समय में ही राजा की सेना के अधिकतर सैनिक शत्रुओं के हाथों मारे गए।
राजा शत्रुओं से बचकर एक जंगल की ओर भाग गया। शत्रु सैनिक भी राजा के पीछे भागने लगे। राजा एक गुफा में छिप गया। शत्रु सैनिक भी उस गुफा तक पहुंच गए, लेकिन गुफा के अंदर जाने से डर रहे थे। सैनिकों ने उस गुफा में के बाहर बड़े-बड़े पत्थर लगा दिए और गुफा को बंद कर दिया।
गुफा के अंदर राजा कैद हो गया था। राजा युद्ध में लड़ते हुए और फिर भागते हुए काफी थक चुका था। भूख-प्यास की वजह से राजा की हालत खराब हो रही थी। वह सोच रहा था कि अब तो जीवन खत्म हो जाएगा। तभी राजा को अपनी मां की एक बात याद आई कि बुरे समय में हमें हा पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए, अंतिम समय तक कोशिश करते रहने से ही मुसीबतों को दूर किया जा सकता है।
मां की सीख याद आते ही राजा ने गुफा के द्वार से पत्थर हटाने की कोशिश शुरू कर दी। काफी मेहनत के बाद राजा ने गुफा से बाहर निकलने का छोटा सा रास्ता बना लिया। वह सावधानी से गुफा से बाहर निकला और शत्रुओं से बचकर अपने मित्र राजा के पास पहुंच गया। मित्र राजा की मदद से कुछ समय बाद उसने फिर से अपना राज्य हासिल कर लिया।
इस कथा की सीख यह है कि हालात चाहे जैसे भी हों, हमें हार नहीं माननी चाहिए। अंतिम समय तक कोशिश करने से ही सफलता मिल सकती है और बड़ी-बड़ी मुसीबतें खत्म हो सकती हैं।