हिमशिखर धर्म डेस्क
भारतीय सनातन संस्कृति में भगवान की मूर्ति का बड़ा महत्व है और मूर्ति पूजा आस्था का प्रतीक है। इसलिए, सब लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार अलग-अलग अवसरों पर अलग-अलग भगवान् की मूर्तियाँ लाकर पूजा करते हैं। मूर्ति से शुभ और सकारात्मक ऊर्जा जुड़े होने कारण कई लोग कुछ विशेष अवसरों पर इसे गिफ्ट के रूप में भी देना चाहते हैं लेकिन जब बात आती है मूर्ति को गिफ्ट के रूप में देने या लेने की, तो इससे जुड़े कुछ विशेष धार्मिक और वास्तु शास्त्र के नियम होते हैं, जिसके बारे में लोगों को कम ही जानकारी होती है।
भगवान की मूर्ति गिफ्ट में लेनी चाहिए या नहीं?
भगवान की मूर्ति को गिफ्ट के रूप में न तो देना चाहिए और ना ही लेना चाहिए। अगर कोई मूर्ति गिफ्ट में लेता भी है, तो वह अपने पूजाघर में उस मूर्ति को उचित स्थान नहीं दे पाता। इसलिए, अगर कोई भगवान की मूर्ति गिफ्ट में देता है, तो उसे लेने के बजाय, उसके दर्शन कर, उसे प्रणाम कर मूर्ति को वापस कर देना चाहिए। कई मूर्तियाँ हो जाने से आप उसे केवल एक शोपीस बना पाते हैं, उस मूर्ति की उचित सेवा नहीं कर पाते क्योंकि आपके घर में पहले से ही आपकी आस्था के अनुसर मूर्तियाँ स्थापित होती हैं। इसलिए, उन मूर्ति को ग्रहण करने के बजाय उसे वापस करने में ही समझदारी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान की मूर्ति या फोटो को गिफ्ट में देना या लेना उचित नहीं माना जाता क्योंकि इससे आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास नहीं होता है। लेन-देन में कई सारी मूर्तियाँ आपके पास इकठ्ठा हो जाती हैं, जिसके कारण आप उन मूर्तियों की ठीक ढंग से रख-रखाव और पूजा नहीं कर पाते हैं। शादी के कार्ड पर भी भगवान की तस्वीर प्रिंट नहीं करानी चाहिए, क्योंकि शादी में जाने के बाद उस कार्ड को फेंक दिया जाता है और इससे भगवान का अपमान होता है। इसके बदले कोई और शादी-विवाह अथवा भारतीय संकृति से जुड़ा फोटो प्रिंट कराना बेहतर रहता है।
इसलिए, अगर कोई भगवान की मूर्ति गिफ्ट के रूप में देता है, तो उसे विनम्रता से वापस कर देना चाहिए। यह न केवल धार्मिक और वास्तु शास्त्र के अनुसार सही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि आप उस मूर्ति की उचित सेवा कर पाएंगे या नहीं। अगर आप उस मूर्ति की सेवा नहीं कर सकते, तो उसे ग्रहण करना उचित नहीं होगा।