आज चुनाव परिणामों का दिन है। लोकसभा की 542 सीटों की काउंटिंग जारी है। अगले 3 घंटे में नई सरकार की स्थिति लगभग साफ हो सकती है।
हिमशिखर धर्म डेस्क
रामचरितमानस के उत्तरकांड में एक प्रसंग है। राम जी आम के बगीचे में बैठे हैं, सनकादि ऋषि आकर उनका सम्मान करते हैं। और उसके बाद सनकादि ऋषि, जो राम जी के लिए बोलते हैं, ऐसा लगता है जैसे आज हमारे जीवन के लिए ये आदर्श वाक्य बड़े उपयोगी हैं। आज भारत के एक नए भविष्य की इबारत लिखी जानी है। बहुत सारे लोगों के सौभाग्य और दुर्भाग्य की कहानी बाहर निकलकर आएगी।
जो समझदार हैं, वो जानते हैं कि हमसे ऊपर भी एक शक्ति है। और एक सीमा बाद उसी का हस्तक्षेप शुरू होता है। जिन्हें राम पर भरोसा है, उनके लिए सनकादि ऋषि ने एक पंक्ति बोली है, ‘आस त्रास इरिषाद निवारक। बिनय बिबेक बिरति बिस्तारक’। ऋषि कह रहे हैं, ‘हे राम आप आशा, भय और ईर्ष्या आदि का निवारण करने वाले हैं’। चुनाव इसी का नाम था।
ऋषियों ने राम जी के लिए इसी के आगे बोला, ‘भूप मौलि मनि मंडन धरनी। देहि भगति संसृति सरि तरनी’। ‘हे राजाओं के शिरोमणि एवं पृथ्वी के भूषण रामजी, जन्म-मृत्यु के प्रवाह रूपी नदी के लिए नौका रूप अपनी भक्ति प्रदान कीजिए’।