अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। ये मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव वास करते हैं। इसलिए अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं।
हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का प्रमुख मंदिर है। यहां भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी का वास है। इस मंदिर में बाल हनुमानजी की प्रतिमा है जोकि 6 इंच की है। हनुमागढ़ी का मंदिर एक टीले पर बसा है। बाल हनुमानजी के दर्शन के लिए करीब 76 सीढि़या चढ़नी पड़ती है। हनुमान के साथ उनकी माता अंजनी भी है। जो मंदिर परिसर में मां अंजनी की गोद में हैं। मंदिर के चारों तरफ की दीवारों में हनुमान चालीसा की चौपाइया लिखी हुई हैं।
अयोध्या नगरी यूं ही खास नहीं है, बल्कि इस नगर से विशेष धार्मिक महत्व भी जुड़े हैं। इसलिए तो अथर्ववेद में इसे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। सरयू नदी में बसी पवित्र नगरी अयोध्या को स्कंद पुराण में ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेवों की पवित्र स्थली कहा गया है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताते हुए इसकी तुलना स्वर्ग से की गई है। वहीं स्कंद पुराण के अनुसार, अयोध्या का ‘अ’ शब्द ब्रह्मा ‘य’ कार विष्णु और ‘ध’ कार रुद्र का स्वरूप है। वहीं महाकवि महर्षि वाल्मीकि ने भी महाकाव्य रामायण में अवध को पवित्र नगर बताया है।
मान्यता है कि धरती के प्रथम पुरुष मनु ने अयोध्या की स्थापना की थी। माना जाता है कि देवताओं के कहने पर मनु राजा बनने के लिए तैयार हुए और अयोध्या को राजधानी बनाया। युगों पुरानी इस नगरी ने देश-दुनिया को आदर्श राजा और राज्य की राह दिखाई। वैदिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या आदर्श राजा और राज्य की परिकल्पना की पहली साकार नगरी है, जिसने दुनिया भर में मानवता का सूत्रपात किया… जो सदियों तक रघुवंशियों की राजधानी रही और जिसे सप्तपुरियों में अग्रणी माना गया।
भगवान श्रीराम की पवित्र नगरी के रूप में मशहूर अयोध्या सनातनियों के लिए खास महत्व रखता है। अयोध्या एक प्राचीन नगरी है, जिसे भगवान राम की नगरी होने के कारण एक धार्मिक नगरी भी माना जाता है। भगवान राम के प्रति श्रद्धा रखने वालो के लिए अयोध्या सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में से एक है।
किसने बसाई थी श्रीराम की नगरी अयोध्या?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या की स्थापना विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी। ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि थे और मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। महर्षि कश्यप की पत्नी और देवमाता अदिति के गर्भ से सूर्य प्रकट हुए। भगवान सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु हुए। इस धरती का मानवीय सभ्यता का सबसे प्रथम नगर अयोध्या है। पुराणों में अयोध्या को भगवान् का मस्तक कहा गया है।
अयोध्या का अर्थ
स्कंदपुराण में अयोध्या का जिक्र मिलता है। अयोध्या को अवध का हिस्सा माना जाता है और अवध का अर्थ है कि वो जगह जहां वध ना होता हो। अयोध्या के बारे में कहा जाता था कि यह वो नगरी है जिसे युद्ध से जीता नहीं जा सकता। महाकवि कालिदास ने साकेत और अयोध्या दोनों नामों का जिक्र किया है।धरती पर संस्कार, संस्कृति और आध्यात्म अयोध्या की ही देन है।
सप्तहरि की धरती
अयोध्या श्रीहरि के सात प्राकट्य की भी धरती है। इनमें विष्णुहरि, चक्रहरि, धर्महरि, गुप्तहरि, पुण्यहरि, चंद्रहरि और बिल्वहरि हैं। अयोध्या में 11 प्रमुख वाटिकाएं हैं। इनमें हनुमानबाग, हनुमान वाटिका, वल्लभकुंज, श्रवणकुंज, तुलसी उद्यान, केलिकुंज, राघवकुंज आदि शामिल हैं।
इन नामों से भी मिली ख्याति
अयोध्या को अलग-अलग काल में भिन्न-भिन्न नामों से ख्याति मिली है। इसमें कोशल, विशाखा, अयुधा, अपराजिता, विनीता, रघुपुरी, अजपुरी, अवधपुरी आदि नाम हैं। ये नाम अलग-अलग कालखंड में भिन्न-भिन्न राजाओं व विशेषताओं के आधार पर रखे गए। मसलन अयोध्या को सदैव अपराजेय माना गया, इसीलिए अपराजिता नाम पड़ा। भगवान राम के पूर्वज राजा रघु व अज के नाम पर इस नगरी को रघुुपुरी व अजपुरी नाम भी मिला, लेकिन इनमें सबसे प्राचीन नाम अयोध्या ही माना जाता है।