खुशखबरी: सिद्धपीठ सुरकंडा में लगा डॉप्लर रडार पहाड़ और चारधाम के लोगों को मिलेगी मौसम की जानकारी

नई टिहरी।

Uttarakhand

आपदा के लिहाज से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में अब भारी बारिश से होने वाले जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। गढ़वाल क्षेत्र में मौसम विभाग के पहले डाॅप्लर रडार ने सुरकंडा मंदिर क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया है। 100 किमी की रेंज में कार्य करने वाला रडार आधा से एक घंटे पहले ही मौसम के मिजाज को भांप लेगा, जिससे चार धाम यात्रियों के साथ ही सरकारी तंत्र को पहले ही मौसम की सटीक जानकारी मिल जाएगी।

हिमालय क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है। केदारनाथ में 16 जून 2013 को आई भीषण आपदा के बाद से मौसम के सटीक पूर्वानुमान के लिए पहाड़ी क्षेत्र में डाॅप्लर रडार लगाने की महसूस जरूरत हो रही थी। जिस पर केंद्र सरकार ने सुरकंडा मंदिर क्षेत्र में डाॅप्लर रडार लगाने के लिए हरी झंडी दी थी। जिस पर उत्तराखण्ड मौसम विभाग ने सुरकंडा मंदिर क्षेत्र में डाॅप्लर रडार लगाने की दिशा में काम शुरू करने की तैयारी शुरू कर किया था। अब गढ़वाल क्षेत्र के पहले रडार ने विधिवत काम करना शुरू कर दिया है। इस रडार से हिमालय क्षेत्र में लगातार प्राकृतिक आपदाओं और मौसम में आ रहे बदलावों की सटीक जानकारी मिल सकेगी। विशेषज्ञों के अनुसार डाॅप्लर रडार उंचाई वाले स्थानों पर लगाया जाता है, जिससे सूक्ष्म से सूक्ष्म तरंग भी बिना किसी बाधा के रडार तक पहुंच सके। डाॅप्लर रडार से तेज बारिश, ओलावृष्टि, बादल फटना और तेज हवाओं की जानकारी करीब आधा से एक घंटे पहले मिल सकेगी। यह रडार 100 किमी परिधि के दायरे में होने वाली गतिविधियों का डाटा भी रिकार्ड कर सकेगा। खास बात यह है कि चार धाम यात्रियों को भी इस रडार से मौसम का पूर्वानुमान मिल सकेगा। समय पर मौसम की जानकारी मिलने पर प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा। उत्तराखण्ड मौसम केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि सुरकंडा मंदिर क्षेत्र में रडार से रियल टाइम डाटा मिलने लगा है।

क्या है डाॅप्लर रडार

डाॅप्लर वेदर रडार मौसम की अतिसूक्ष्म तरंगों को भी कैच कर लेता है। जब अति सूक्ष्म तरंगे किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं, तो यह रडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। यह रडार तरंगों को भांपकर मौसम संबंधी भविष्वाणी करता है। इस रडार के जरिए 100 किमी तक की मौसम गतिविधियों की जानकारी मिल सकती है।

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