भारतीय जनता पार्टी के थिंक टैंक रहे गोविंदाचार्य गंगा यात्रा के बाद अब यमुना नदी के संरक्षण के लिए आगे आएंगे। गोविंदाचार्य का कहना है कि कोरोना संकट ने इस तथ्य को पूरी दुनिया को बता दिया है कि प्रकृति केंद्रित विकास ही विकास का सही माॅडल है। इस बात को केंद्रित रखते हुए ही 28 अगस्त से यमुना दर्शन यात्रा एवं प्रकृति केंद्रित विकास पर संवाद किया जाएगा।
देहरादून
एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के थिंक टैंक कहे जाने वाले के.एन. गोविंदाचार्य अब यमुना यात्रा पर निकलने जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के बैनर तले होने वाली यात्रा का शुभारंभ 28 अगस्त को यमुनोत्री के निकट जानकीचट्टी से होगा। इसके साथ ही 14 सितंबर को यात्रा का समापन प्रयागराज में होगा। यात्रा के दौरान यमुना किनारे प्रकृति के विकास माॅडल पर कार्य कर रहे लोगों के साथ संवाद भी किया जाएगा।
अध्ययन अवकाश के बाद सक्रिय राजनीति से दूर
भाजपा के थिंक टैंक रहे केएन गोविंदाचार्य सितंबर 2000 में सक्रिय राजनीति से अलग अध्ययन अवकाश पर चले गए थे। दो वर्षीय अध्ययन अवकाश में उन्होंने भारतवर्ष में सघन प्रवास कर देश की जमीनी हकीकत का अध्ययन किया। अध्ययन अवकाश से लौटने के बाद गोविंदाचार्य ने सक्रिय राजनीति से दूर रहकर समाज के लिए अपना पूरा जीवन अर्पण करने की घोषणा की थी। तब से गोविंदाचार्य प्रकृति संरक्षण, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्र के उन्नयन के लिए जुटे हुए हैं। साथ ही वे अपना ज्यादातर समय गंगा तट पर विभिन्न शहरों में ही बिता रहे हैं। उन्होंने 2006 से 2008 तक अविरल गंगा-निर्मल गंगा के लिए चलाए गए आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। 2010 में गंगा किनारे के स्थलों में यात्रा की। 1 सितंबर से 2 अक्टूबर तक 2020 तक राम तपस्थली से लेकर गंगा सागर तक यात्रा की।
28 अगस्त से शुरू होगी यमुनोत्री दर्शन यात्रा
स्वतंत्रता के 75 वें अमृत महोत्सव के शुभ वर्ष में के.एन. गोविंदाचार्य ने यमुना यात्रा एवं अध्ययन प्रवास करने का फैसला लिया है। 28 अगस्त को यात्रा यमुनोत्री के निकट जानकीचट्टी से शुरू होगी और 14 सितंबर को प्रयागराज में संपन्न होगी। इसके बाद 15 सितंबर को वृदांवन में बांके बिहारी के दर्शन तथा बरसाने राधा क्षेत्र एवं भगवान श्रीकृष्ण के लीला स्थलों का दर्शन कर यात्रा दल अपने गंतव्य को प्रस्थान करेंगे।
प्रकृति केंद्रित विकास ही सही माॅडल
चिंतक, विचारक गोविंदाचार्य का मानना है कि कोरोना संकट ने इस तथ्य को पूरी दुनिया को बता दिया है कि प्रकृति केंद्रित विकास ही विकास का सही माॅडल है। भारत की असली ताकत ही प्रकृति और पर्यावरण है। इनकी अनदेखी कर विकास किए जाने पर पर्यावरणीय चक्र असंतुलन और प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप बढ़ना स्वाभाविक है। आज के समय में प्रौद्योगिकी पर लोकपाल, लोकायुक्त जैसी नियंत्रणकारी व्यवस्था की ओर दुनिया को कदम बढ़ाना चाहिए। प्रकृति केंद्रित विकास की दिशा में कार्य करना वक्त की मांग है। प्रकृति केंद्रित विकास की अवधारणा पर संवाद यात्रा का सामाजिक आयाम है।
नवतीर्थ और नवदेवता से किया जाएगा संवाद
यात्रा के मीडिया समन्वयक विवेक त्यागी ने बताया कि यात्रा के दौरान यमुना नदी के आस-पास प्रकृति आधारित विकास माॅडल पर रचनात्मक कार्य कर रहे विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों से संवाद किए जाने के साथ ही उनके विचारों का संकलन भी किया जाएगा। बताया कि गोविंदाचार्य का मानना है कि, प्रकृति केंद्रित विकास के मॉडल वााले स्थान नवतीर्थ हैं। इसके साथ जो लोग प्रकृति केंद्रित विकास माॅडल पर कार्य कर रहे हैं, ऐसे लोग नव देवता हैं।