सुप्रभातम्: हैप्पी न्यू ईयर लेकिन कौन सा?

स्वामी कमलानंद (डा कमल टावरी) 

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पूर्व केंद्रीय सचिव, भारत सरकार


अंग्रेजी नववर्ष 2024 भी तमाम उतार-चढ़ावों के बाद आखिर अलविदा हो ही गया और 2025 भी आ गया। आज अंग्रेजी नववर्ष 2025 का लोग कड़ाके की ठंड में बेहद गर्मजोशी व उत्साह के साथ अपने अलग-अलग अंदाज में स्वागत करने में व्यस्त हैं। प्रत्येक व्यक्ति जीवन के पिछले वर्ष कैसे बीते उसे याद करते हुए नववर्ष को जीवन में एक नई उम्मीद से देखते हुए सकारात्मक ऊर्जा के साथ नए वर्ष की शुरुआत कर रहा है। आज के दिन हर व्यक्ति अपने कष्टों को भूल कर ईश्वर की आराधना करके हर तरफ खुशियों का माहौल बनाने में व्यस्त है। वैसे तो अलग-अलग देशों में नववर्ष अलग-अलग दिन भी मनाया जाता है और हमारे देश भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी हमारे हिन्दू नववर्ष की शुरूआत अलग-अलग दिन से होती है। लेकिन बहुत लंबे समय से देश में जिस तरह से हर कार्य में अंग्रेजी कैलेंडर प्रचलन में है, जिसके अनुसार 31 दिसंबर का दिन एक वर्ष के अंत होने का सूचक है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी से ही अंग्रेजी नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है। इसलिए ही 1 जनवरी के दिन को भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया के अधिकांश देशों में नववर्ष के शुरू होने के उपलक्ष्य में बेहद हर्षोल्लास के साथ पर्व की तरह मनाना शुरू कर दिया है। हम सभी देशवासी भी अंग्रेजी नववर्ष का दिल खोलकर स्वागत करते हैं, हम लोग पूजा पाठ करके अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या का आरंभ करते हैं।

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चूंकि हर व्यक्ति के जीवन के लिए साल नया है, इसलिए हर व्यक्ति अपनी नई उम्मीदें, नए सपने, नए लक्ष्य, नए आईडियाज के साथ उसका दिल खोलकर स्वागत करता है। नये साल को पर्व की तरह हर्षोल्लास से मनाने के पीछे मान्यता है कि साल का पहला दिन अगर उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाए, तो साल भर इसी उत्साह और खुशियों के साथ सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ व्यक्ति का जीवन व्यतीत होगा।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि हिन्दू पंचांग के मुताबिक नया साल 1 जनवरी से शुरू नहीं होता, यह तो पाश्चात्य सभ्यता की तर्ज पर होता है। देश में हिंदू नववर्ष हर साल चैत्र प्रतिपदा से ही शुरू हो जाता है। हमारे कैलेण्डर की शुरुआत उस दिन से होती है, जिस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की शुरुआत की थी। ब्रह्मा जी का एक घंटा, एक दिन और एक वर्ष की गणनाएं भी आपने सुनी होंगी, जिनसे पता चलता है कि इस ब्रह्माण्ड की कितनी उम्र है। हमारे नव वर्ष के साथ कुछ और भी कहानियां जुड़ी हुई हैं; यथा, मर्यादा पुरूषोत्‍तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक, मॉं दुर्गा की उपासना की नवरात्र व्रत का प्रारम्‍भ, युगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ, उज्‍जयिनी सम्राट- विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत् प्रारम्‍भ, शालिवाहन शक् संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचाग), शक्ति संप्रदाय’ के अनुसार इसी दिन से नवरात्रि का शुभारंभ होता है, सतयुग का आरंभ भी इसी दिन से हुआ, भगवान श्री विष्णु ने भी मत्स्यावतार इसी दिन लिया आदि।

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अपने देश में नया साल अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग दिन शुरू होता है। आम तौर पर जनवरी से अप्रैल के बीच ही हिन्दुओं के नव वर्ष आरम्भ होते हैं। हमारे कैलेंडरों का सम्बन्ध आम तौर पर कृषि और ऋतुओं से रहा है। इसलिए देश के अलग-अलग हिस्सों में तीज-त्यौहार भी स्थानीय जरूरतों के हिसाब से ही तय किये जाते हैं।

हमने संविधान में अपना राष्ट्रीय कैलेंडर शालिवाहन शक को अंगीकृत किया है, लेकिन सरकारी कैलेंडर के अलावा हम उसे नहीं जानते। या शादी-व्याह या पूजा-पाठ के लिए ही हमें अपने स्वदेशी कैलेंडर की याद आती है। यह ठीक वैसा ही है, जैसे देश की राजभाषा तो हिन्दी है लेकिन कामकाज होता है अंग्रेज़ी में। सवाल सिर्फ एक नए साल के दिन का नहीं है। सवाल यह है कि इसके साथ ही आप के ऊपर एक अलग संस्कृति थोपी जाती है। नए साल का जश्न आधी रात को होता है। होटलों में मौज-मस्ती मनाई जाती है, जबकि अपने युगादी के दिन पवित्र भाव से सुबह पूजा पाठ की जाती है। उसके बाद उत्सव मनाया जाता है।

हम धीरे-धीरे अपनी संस्कृति और जड़ों के कटते चले जा रहे हैं। और खुद को पश्चिमी बनाने और दिखलाने में गर्व का अनुभव करते हैं। इसलिए नए वर्ष पर हम हैप्पी न्यू इयर जरूर कहें लेकिन अपने नव वर्ष के साथ ही तीज-त्योहारों को भी उचित स्थान दें। अपने बच्चों को भी अपनी जड़ों से परिचित करवाएं। साथ ही यह भी सोचें कि यह कब तक चलता रहेगा?

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इस बार नये साल पर हम सभी देशवासियों को संकल्प लेना चाहिए कि नववर्ष 2025 में देश को खुशहाल बनाने के लिए हम सभी देशवासी एकजुट होकर सरकार के साथ मिलकर देशहित के लिए धरातल पर ठोस कारगर पहल करेंगे और देश में खुशहाली के नये आयाम स्थापित करेंगे। नववर्ष 2025 में अपना प्यारा भारत अमनचैन व आपसी भाईचारे के साथ ईश्वर के आशीर्वाद से इस वर्ष सभी देशवासियों के सकारात्मक सहयोग से कामयाबी का नया इतिहास लिखेगा और भारत हर क्षेत्र में तरक्की के नये आयाम स्थापित करके विश्व गुरु बनेगा।

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