भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हर वर्ष हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
पंडित हर्षमणि बहुगुणा
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत आज 18 सितम्बर, सोमवार को है। मान्यता है कि विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।
पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं। व्रत पर्व मनाने का यथार्थ समय
‘हर व्रत का कार्यकाल अलग- अलग होता है। कुछ सौरव्रत होते हैं, कुछ चान्द्रव्रत होते हैं, कुछ प्रदोषकालिक व्रत होते हैं, तो कुछ निशीथकालिक व्रत होते हैं। तत्तद् व्रतों में व्रत की तिथि का संयोग अपेक्षित है, यथा :–
1- सत्यनारायण व्रत अनेक वार चतुर्दशी में आता है, लेकिन चंद्रोदय के समय पूर्णिमा ही होती है। यह चांद्रव्रत है। चंद्रोदय के समय पूर्णिमा होनी चाहिए। सूर्योदय से कोई मतलब नहीं।
2- गणेश चतुर्थी व्रत अनेक बार तृतीया में आता है। लेकिन चंद्रोदय के समय चतुर्थी ही रहती है। सूर्योदय से कोई मतलब नहीं है।
3- प्रदोष व्रत अनेक बार द्वादशी में आता है; लेकिन प्रदोषकाल (सायंकाल ) में त्रयोदशी ही रहती है। सूर्योदय से कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ‘व्रत प्रदोष’ है।’